जलियांवाला बाग का नया विकसित परिसर पी.एम. मोदी द्वारा राष्ट्र को समर्पित

punjabkesari.in Sunday, Apr 13, 2025 - 05:25 AM (IST)

13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में ब्रिटिश सैनिकों द्वारा निहत्थे भारतीयों पर अंधाधुंध गोलीबारी की घटना, जिसे जलियांवाला बाग हत्याकांड के नाम से जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। 13 अप्रैल 1919 को, अमृतसर के जलियांवाला बाग में, जोकि स्वर्ण मंदिर के पास एक छोटा-सा बगीचा है, यह घटना हुई। ब्रिटिश सैनिकों ने निहत्थे भारतीयों की भीड़ पर गोलियां चला दीं, जिसमें कई लोग मारे गए और घायल हुए। 

ब्रिगेडियर जनरल रेजीनाल्ड एडवर्ड डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश सैनिकों ने यह कार्रवाई की। सैनिकों ने लगभग 10 मिनट तक गोलियां चलाईं, जिसमें 1650 राऊंड फायर किए गए। इस घटना में सैंकड़ों लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। कुछ लोग बचने के लिए बाग के अंदर एक कुएं में कूद गए, जहां कई लोगों की डूबने से मौत हो गइ। जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद, महात्मा गांधी ने कहा,‘भारत के लोग उठेंगे और अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र कराएंगे।’ जलियांवाला बाग हत्याकांड भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसने भारतीयों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ और अधिक एकजुट किया। यह घटना भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बन गई।

जलियांवाला बाग में एक स्मारक बनाया गया है, जो इस घटना की याद दिलाता है। साइट पर शहीद गैलरी भी है, जहां इस घटना की कहानी बताई गई है। 1997 में महारानी एलिजाबेथ ने इस स्मारक पर मृतकों को श्रद्धांजलि दी थी। 2023 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन भी इस स्मारक पर आए थे। विजिटर्स बुक में उन्होंने लिखा कि ‘ब्रिटिश इतिहास की यह एक शर्मनाक घटना थी’। 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी का दिन था। बैसाखी वैसे तो पूरे भारत का एक प्रमुख त्यौहार है परंतु विशेषकर पंजाब और हरियाणा के किसान सर्दियों की रबी की फसल काट लेने के बाद नए साल की खुशियां मनाते हैं। इसी दिन, 13 अप्रैल 1699 को सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। 

इस हत्याकांड की विश्वव्यापी निंदा हुई जिसके दबाव में भारत के लिए सैक्रेटरी ऑफ स्टेट एडविन मॉन्टेगू ने 1919 के अंत में इसकी जांच के लिए हंटर कमीशन नियुक्त किया। कमीशन के सामने ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर ने स्वीकार किया कि वह गोली चला कर लोगों को मार देने का निर्णय पहले से ही लेकर वहां गया था और वह उन लोगों पर चलाने के लिए 2 तोपें भी ले गया था जो कि उस संकरे रास्ते से नहीं जा पाई थीं। हंटर कमीशन की रिपोर्ट आने पर 1920 में ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर को पदावनत करके कर्नल बना दिया गया और अक्रिय सूची में रख दिया गया। उसे भारत में पोस्ट न देने का निर्णय लिया गया और उसे स्वास्थ्य कारणों से ब्रिटेन वापस भेज दिया गया।

हाऊस ऑफ कॉमन्स ने उसका निंदा प्रस्ताव पारित किया परंतु हाऊस ऑफ लॉर्ड्स ने इस हत्याकांड की प्रशंसा करते हुए   उसका प्रशस्ति प्रस्ताव पारित किया। विश्वव्यापी निंदा के दबाव में बाद को ब्रिटिश सरकार ने उसका निंदा प्रस्ताव पारित किया और 1920 में ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर को इस्तीफा देना पड़ा। गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने इस हत्याकांड के विरोध-स्वरूप अपनी नाइटहुड की उपाधि वापस कर दिया। जब जलियांवाला बाग में यह हत्याकांड हो रहा था, उस समय उधमसिंह वहीं मौजूद थे और उन्हें भी गोली लगी थी। उन्होंने तय किया कि वह इसका बदला लेंगे और उन्होंने लंदन में डायर को गोली मारी।

जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक बनाने के लिए एक ट्रस्ट की स्थापना की गई थी। 1923 में ट्रस्ट ने स्मारक परियोजना के लिए भूमि खरीदी थी। अमरीकी वास्तुकार बेंजामिन पोल्क द्वारा डिजाइन किया गया एक स्मारक, साइट पर बनाया गया था और 13 अप्रैल 1961 को जवाहरलाल नेहरू और अन्य नेताओं की उपस्थिति में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने इसका उद्घाटन किया था। केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने बिल पेश करते हुए कहा कि जलियांवाला बाग एक राष्ट्रीय स्मारक है तथा घटना के वर्ष 13 अप्रैल को 2019 में,100 साल पूरे होने के अवसर पर हम इस स्मारक को राजनीति से मुक्त करना चाहते हैं। 

प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा जलियांवाला बाग के विकास के लिए 20 करोड़ की राशि जारी की गई जिससे प्रवेश द्वार वाली गली, शहीदी कुआं, गोलियों के निशान सरंक्षित करने का कार्य हुआ वहीं हत्याकांड के बारे आने वाले स्वदेशी व विदेशी नागरिकों को जानकारी के लिए लाइट एंड साऊंड शो, डिजिटल 3 डी डाक्यूमैंट्री, स्वतंत्रता सेनानियों के बारे जानकारी, एयर कंडीशंड गैलरी एवं गाइड्स, वृक्षारोपण, लिली पोंड, सुंदर लाइटिंग व स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था की गई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने कोविड के कारण वीडियो कांफ्रैंस के माध्यम से अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग स्मारक के पुनॢनमित परिसर को राष्ट्र को समर्पित किया।-श्वेत मलिक(पूर्व सांसद व ट्रस्टी जलियांवाला बाग ट्रस्ट)


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