भारत के लिए सीमा पर नए खतरे

Friday, Jan 25, 2019 - 05:04 AM (IST)

जब से नया साल शुरू हुआ है हिमालयन मोर्चे से भारत के लिए कुछ अच्छे समाचार आ रहे हैं और बुरे भी। सिक्किम में नए पाकयोंग हवाई अड्डे पर भारतीय वायुसेना के एंटोनोव-32 ए.एन.-32 परिवहन विमान की लैंडिंग भारतीय सेना के लिए एक गेमचेंजर साबित हो सकती है।

पाकयोंग हवाई अड्डा तिब्बत में रणनीतिक चुम्बी घाटी, सिलीगुड़ी कॉरिडोर तथा डोकलाम के नजदीक स्थित है। कुछ दिन पहले रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने उत्तराखंड में नेपाल की सीमा के नजदीक कैलाश मानसरोवर रूट के एक महत्वपूर्ण हिस्से का निर्माण करने के लिए सीमा सड़क संगठन (बी.आर.ओ.) को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट करके बताया कि 15 जनवरी 2019 को बी.आर.ओ. द्वारा लखनपुर को नाजांग के साथ जोड़कर एक अत्यंत महत्वपूर्ण मील पत्थर हासिल किया गया है। यह सम्पर्क उत्तराखंड की धारचूला सब-डिवीजन में भारत की नेपाल सीमा के साथ चिकन नैक कॉरिडोर होने के नाते अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहां एकमात्र वैकल्पिक रूट खच्चरों का मार्ग था। 

अरुणाचल प्रदेश में भी एक विशाल ढांचागत निर्माण चल रहा है। नई सीमा सड़कों के अतिरिक्त लोअर डिबांग वैली जिला में रोइंग से 25 किलोमीटर दूर डिफो नदी पर 426 मीटर लंबा एक रणनीतिक पुल खोल दिया गया है। यह पुल लोअर डिबांग घाटी को लोहित जिलों के साथ जोड़ता है, जिससे घाटी में सेना की तीव्र तैनाती में मदद मिलेगी। लेकिन इसके साथ ही चीन भी सो नहीं रहा। दरअसल आधारभूत ढांचा विकास के मामले में यह भारत से कहीं आगे बना हुआ है। 

शिन्हुआ समाचार एजैंसी के अनुसार तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र (टी.ए.आर.) का उद्देश्य 2019 के अंत तक इसके सभी नगरों तथा ग्रामों को आपस में जोडऩे के लिए 4,500 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण तथा उन्नयन करना है। शिन्हुआ ने पुष्टि की कि इस कदम से वर्तमान में जारी गरीबी घटाने के अभियान में योगदान डालने की सम्भावना है, विशेषकर तिब्बत की एक टाऊनशिप तथा 12 गांवों में, जहां अभी तक सड़क सम्पर्क नहीं है। 

चूंकि ये सभी आधारभूत ढांचे अब कानूनी रूप से ‘दोहरे इस्तेमाल’ के लिए हैं, इसका अर्थ यह हुआ कि पिपुल्स लिबरेशन आर्मी (चीनी सेना) को 2018 में निवेश किए गए 37 अरब युआन (लगभग 5.5 अरब डालर) का काफी लाभ मिलेगा, जिसमें 13000 किलोमीटर लम्बी ग्रामीण सड़कों का निर्माण तथा उन्नयन शामिल है। 2018 के अंत तक टी.ए.आर. पहले ही 68,863 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनवा चुका है, जिससे तारकोल अथवा कंक्रीट की सड़कों के माध्यम से 34 टाऊनशिप्स तथा 533 गांवों तक पहुंच मिलेगी। 

लेकिन अधिक चिंताजनक सूचना पठार से आ रही है, जो तिब्बत तथा नेपाल के बीच बनाया जा रहा एक नया कॉरिडोर है तथा सिक्किम में भारतीय सीमा के सर्वाधिक करीब है। पूर्वी नेपाल के उत्तर-पूर्वी संखुवासभा जिला में किमाथांका सबसे छोटा तथा सर्वाधिक दुर्गम एक छोटा-सा गांव है। इस गांव की स्थिति अत्यंत रणनीतिक है क्योंकि यह तिब्बत (चीन) की सीमा पर पड़ता है। यह एक तथ्य है कि हाल के वर्षों में नेपाल तथा तिब्बत के बीच सम्पर्क तथा सीमा व्यापार में काफी वृद्धि हुई है। तिब्बत बिजनैस डेली के अनुसार तिब्बत के विदेश व्यापार में 2017 में 5.8 अरब युआन की वृद्धि हुई। नेपाल-चीन की एक ट्रांस-हिमालयन मल्टी डाइमैंशनल ट्रांसपोर्ट नैटवर्क तथा चीन-नेपाल-भारत आर्थिक कॉरिडोर बनाने की भी योजना है। भारत को सम्भवत: इस संबंध में जानकारी नहीं दी गई। 

मुख्य निवेश भारत की नेपाल सीमा पर किरोंग स्थित शुष्क बंदरगाह में है। यद्यपि 2015 में आए भूकम्प के कारण शिगात्से तथा किरोंग के बीच रेल लाइन की परियोजना में कम से कम 3 वर्ष के लिए देरी हो गई लेकिन भूकम्प के बाद झांगमू बंदरगाह बंद होने के पश्चात चीन तथा नेपाल के बीच जमीनी व्यापार का अब यह मुख्य चैनल है। नई किमाथांका शुष्क बंदरगाह (नेपाल तथा तिब्बत के बीच छठी) के खुलने से ल्हात्से/टिंगरी हवाई अड्डे का महत्व बढ़ेगा। हालांकि स्थानीय ग्रामीण चिंतित हैं। सांखुवासभा के मुख्य जिला अधिकारी गणेश अधिकारी ने बताया कि ढांचागत निर्माणों के कारण अरुण नदी पहले ही अपना मार्ग बदल चुकी है। 

मगर यह क्षेत्र नेपाल की ओर वाले हिस्से में समतल जमीन का एकमात्र टुकड़ा नजर आता है जहां काठमांडू नए कस्टम्स आफिसिज, एक इमीग्रेशन प्वाइंट, एक बार्डर आऊट पोस्ट तथा क्वारंटाइन व बैंकिंग सुविधाएं  बनाने की योजना बना रहा है। चीन एक दिन बंगलादेश के लिए कॉरिडोर खोलने का भी प्रयास कर सकता है, सम्भवत: किशनगंज के रास्ते, ताकि भारत विरोधी बंगलादेशी शासन की मदद कर सके लेकिन यह एक जटिल कार्य है। दिल्ली को सतर्क रहने तथा काठमांडू से प्रश्र पूछने शुरू करने की जरूरत है। भारत डोकलाम जैसी एक अन्य स्थिति बर्दाश्त नहीं कर सकता।-क्लाऊडे ए.

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