अनुच्छेद 370 के रद्द होने के बाद जम्मू-कश्मीर में नया सूर्योदय

Friday, Aug 06, 2021 - 06:19 AM (IST)

अनुच्छेद 370 के रद्द होने की वीरवार को दूसरी वर्षगांठ थी। 5 अगस्त 2019 को 2 वर्ष पूर्व भारत ने देश के एकीकरण के अधूरे एजैंडे की तरफ उस समय एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया जब पीछे ले जाने वाला तथा एक पुरातन अनुच्छेद 370 को कूड़े के ढेर में डाल दिया गया। अनुच्छेद 370 के प्रावधान बेहद भेदभाव पूर्ण थे तथा इन्होंने घाटी के लोगों के बीच एक स्थिर अलगाववादी विचारों को उत्पन्न किया है। जम्मू-कश्मीर में परिवारवाद के कुछ राजनीतिक दलों ने लोगों की भावनाओं को बुरी तरह से लूटा तथा अपने हितों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुच्छेद 370 की हिफाजत का गलत इस्तेमाल किया। 

अनुच्छेद 370 को खत्म करना जन संघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को एक श्रद्धांजलि है जिन्होंने ज मू-कश्मीर के भारत के साथ एकीकरण के लिए अपना बलिदान दिया। भारत के एकीकरण में यह बात बड़ी बाधा थी। भविष्य में इस कदम का उल्लेख किए बिना कोई भी इतिहास की किताब स पूर्ण नहीं होगी। पिछले 2 वर्षों के दौरान जो बदलाव हुए वह सैद्धांतिक चर्चा का विषय है। इन सब बातों को उचित दृष्टिकोण में रखना होगा। कौन जानता था कि कश्मीर घाटी की गलियां जोकि पत्थरबाजों, आंसू गैस के गोलों तथा पैलेट गनों से भरी पड़ी थीं आज पर्यटकों का एक प्रवाह देख रही हैं। 

किसी ने भी यह कभी सोचा न होगा कि पाक समॢथत अलगाववादियों द्वारा बुलाई जाने वाली बंद तथा हड़ताल की कालें आज पूर्व की बातें बन जाएंगी। आज यह क्षेत्र कारोबारी तथा वाणिज्यिक गतिविधियों से भर गया है।

कश्मीर के युवक एक बदलाव को देख रहे हैं। इस वर्ष 8000 से ज्यादा नौकरियां पहले से ही दी गई हैं। रोजगार के नए मौके दिखाई दे रहे हैं। किसी समय आतंक का बड़ा केन्द्र कहलाने वाला गुरेज सैक्टर आज एक पर्यटन हब बन चुका है। पर्यटन विभाग ने पहले से ही एक पर्यटन उत्सव आयोजित किया है जिसमें कैपिंग, ट्रैकिंग, एग्लिंग, वाटर स्पोर्ट्स तथा अन्य मनोरंजक कार्यक्रम शामिल थे। यह कार्यक्रम ऐसे क्षेत्र में आयोजित हुआ जो आतंकियों का आश्रय स्थल था। 

जम्मू-कश्मीर देश का मुकुट है जिसने अलगाववाद तथा आतंकवाद को झेला है। इसका उपयोग राष्ट्र विरोधी तत्वों ने हमारे पड़ोसी मुल्क की सहायता से किया है। आतंकवाद के तीन तंत्र हैं जिसमें पहले न बर पर आतंकी गतिविधियां, दूसरे न बर पर लॉजिस्टिक समर्थन और तीसरे न बर पर एक विचारधारा के तौर पर आतंकवाद का प्रचार शामिल है। जहां तक आतंकी गतिविधियों का सवाल है इसमें कमी आई है। अपने हितों के लिए मूर्ख बनाए जाने वाले घाटी के युवक अब सब बातें जान चुके हैं। यहां तक कि आतंकियों के प्रभाव वाले 5 जिलों में ङ्क्षहसा में कमी आई है। आतंकी संगठनों के शीर्ष कमांडर ढेर कर दिए गए हैं। 

बमों के स्थान पर अब घाटी ने पर्यटन में उछाल देख लिया है। भारत वर्ष से लोग घाटी में आ रहे हैं और कश्मीरी लोगों के सत्कार से आनंद मान रहे हैं। कश्मीर घाटी ने सफलतापूर्वक कोरोना वायरस से युद्ध लड़ा है और वायरस पर नियंत्रण पाया है। जहां तक वैक्सीनेशन का सवाल है उसमें भी ज मू-कश्मीर ने बेहतर कर दिखाया है। जमीनी स्तर पर राजनीतिक भागीदारी शुरू हो चुकी है। दिस बर 2020 में डीडीसी के चुनाव शांतिपूर्वक आयोजित हुए। 

पिछले 2 वर्षों के दौरान जम्मू-कश्मीर सरकार ने 24 घंटे सातों दिन सभी के लिए घरेलू बिजली का 100 प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया है। घरेलू पानी के कनैक्शन तथा पाइपों से मिलने वाले जल की आपूर्ति भी सुनिश्चित की गई है। ज मू-कश्मीर के कठुआ में 60 करोड़ का बहुआयामी इरीगेशन कम पावर प्रोजैक्ट स्थापित किया गया है। इसके अलावा दो ए स, 7 नए मैडीकल कालेज तथा 5 नए नॄसग कालेज भी इस क्षेत्र के लोगों को जल्द मिलने वाले हैं जिसके लिए कार्य प्रगति पर है। कश्मीर में आईआईटी तथा आईआईएम भी आ रहे हैं। कश्मीर में एक नया इतिहास रचने जा रहा है और एक नया सूर्योदय हो रहा है।-तरुण चुघ(भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री)

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