महिला पहलवानों का नया दंगल

punjabkesari.in Friday, Jun 02, 2023 - 05:03 AM (IST)

मंगलवार की देर शाम भारत के कुछ सबसे सफल खिलाड़ी हरिद्वार में गंगा के तट पर खड़े होकर अपनी कड़ी मेहनत से जीते हुए अंतर्राष्ट्रीय पदकों को पवित्र नदी में विसर्जित करने की धमकी दे रहे थे। जैसे ही गोधूलि अंधेरे में बदल गई, पीड़ित पहलवान न्याय को सुनिश्चित करने के लिए सरकार को एक और अवसर देने पर सहमत हुए। 

रविवार 28 मई को करीब 11.30 बजे भारत के प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन का उद्घाटन किया और पुनर्जीवित सामंती अनुष्ठानों के बीच एक महायाजक से सेंगोल (नैतिक और निष्पक्ष शासन का प्रतीक) प्राप्त किया। करीब उसी समय कुछ ही दूर दिल्ली पुलिस भारत के कुछ विश्व स्तरीय प्रसिद्ध पहलवानों के साथ दंगल में व्यस्त थी जो सरकार से न्याय की मांग कर रहे थे। 

महिलाओं की कुश्ती में भारत की पहली ओलम्पिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक को पुलिस ने हिरासत में खींच लिया था। उनके साथ राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगाट भी थी। भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर महिला पहलवान और उनके कुछ पुरुष साथी और समर्थक अप्रैल से जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे हैं। बृजभूषण के खिलाफ एक दशक पहले 7 महिला पहलवानों के यौन उत्पीडऩ के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। 

विरोध कर रहे पहलवानों ने मामले की शिकायत पहले पुलिस फिर भारतीय ओलम्पिक संघ और अंत में खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से की थी। अंत में उन्होंने सुप्रीमकोर्ट का रुख किया और जब अनुराग ने पुलिस को मामला दर्ज करने का आदेश दिया तो उसने ऐसा किया। आरोपी सांसद अभी भी बना हुआ है और उसने आरोपों को निराधार बताते हुए डब्ल्यू.एफ.आई. से इस्तीफा देने से इंकार कर दिया है। इसलिए पहलवानों ने महिलाओं की ‘महा पंचायत’ बुलाने का निर्णय किया। 28 मई को जब पहलवानों ने पुलिस अवरोधकों को तोड़ कर नए संसद भवन तक मार्च करने की धमकी दी तो पुलिस हरकत में आ गई। 

हरियाणा और यू.पी. की सीमाओं को बंद कर दिया गया था इसलिए महापंचायत में संभावित प्रतिभागी राजधानी में प्रवेश नहीं कर सके। प्रदर्शनकारियों को पुलिस वैन में धरना स्थल से दूर ले जाया गया। साक्षी मलिक ने कहा, ‘‘अगर एक ओलम्पियन न्याय की मांग नहीं कर सकता और उसकी बात नहीं सुनी जाती तो कल्पना कीजिए कि गांवों और शहरों में अन्य महिलाओं के साथ क्या हो रहा होगा?’’ विनेश फोगाट ने अपना सिर खिड़की से बाहर निकाला और कैमरे में चिल्लाई, ‘‘नया देश मुबारक हो।’’ 

नई संसद का उद्घाटन एक भव्य तमाशा था लेकिन लगभग पूरी तरह से सत्तारूढ़ दल का वर्चस्व था। राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति स्पष्ट रूप से अनुपस्थित थे साथ ही अधिकांश विपक्षी दल भी थे। टी.वी. स्क्रीन पर मंत्रों का जाप करते और सेंगोल को पवित्र करते हुए विस्तृत पोशाक पहने पुजारियों के दृश्य दिखाए गए। पी.एम. ने उनके समक्ष दंडवत प्रणाम किया और राजदंड स्वीकार किया। एक राजा की तरह उन्होंने औपचारिक रूप से राजदंड को स्पीकर की कुर्सी तक पहुंचाया और वहां स्थापित किया। 

लेकिन फिर वास्तविक दुनिया हमारे टी.वी. स्क्रीन पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। महिला ओलम्पियन, चैम्पियन पहलवानों के साथ पुलिस के दृश्य दिखाई दिए। छवियों को जारी करने वाला मीडिया इस सबकी अपार विडम्बना के प्रति उदासीन लग रहा था। टी.वी. एंकरों ने उस स्क्रिप्ट का पाठ करना जारी रखा जो उनके तैयार की गई थी। यह कोई रहस्य नहीं है कि कुश्ती महासंघ के प्रमुख को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है और जबकि एक विपक्षी नेता की संसद के सदस्यता हाल ही में अपेक्षाकृत मामूली और बहस योग्य आधारों पर समाप्त कर दी गई थी। एक दर्जन से अधिक महिलाओं द्वारा छेड़छाड़ का आरोप लगाया जा रहा एक व्यक्ति तब तक पद छोडऩे से इंकार करता है जब तक कि पूछताछ खत्म नहीं हो जाती। 

मार्टिन लूथर किंग ने कहा था, ‘‘कहीं भी अन्याय हर जगह न्याय के लिए खतरा है।’’ मैं महिला पहलवानों के माता-पिता के बारे में सोचती हूं जो अपनी प्रतिभाशाली बेटियों के लिए चिंतित, भयभीत और व्याकुल हैं। पी.एम. ने उन्हें हर बार देश के लिए पदक जीतने पर बधाई संदेश भेजा। यह पहलवान भारत के लिए जीते गए इन पदकों को विसर्जित करने के लिए तैयार थे। ऐसे पदक जो उनके खेल के प्रति पूर्ण समर्पण का प्रतीक हैं। पदकों को पवित्र गंगा में विसॢजत और फिर आमरण अनशन शुरू करना बेहद महत्वपूर्ण है। भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक गंगा में दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पदकों से कुछ को विसर्जित करने का इशारा हालांकि दुखद है। यह बात अपने अपमान करने वालों के खिलाफ न्याय की मांग के लिए खड़ी महिलाओं के संकल्प को भी पवित्र करती है। 

अपने उद्घाटन भाषण में पी.एम. मोदी ने कहा कि नया संसद भवन एक आत्मनिर्भर भारत की सुबह का गवाह बनेगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा, ‘‘हम स्थापित अच्छी परम्पराओं को आगे बढ़ाते हैं। लोकसभा हमारी अनमोल विरासत है। भारत की संसद लोकतांत्रिक व्यवस्था का सर्वोच्च और सबसे सम्मानित केंद्र है।’’ पहलवानों से जुड़े मामले न केवल हमारी महिला खिलाडिय़ों बल्कि सभी महिलाओं को बदनाम करते हैं। अधिकारी कथित तौर पर महापंचायत को जानबूझ कर उकसावे के रूप में बुलाने के महिला खिलाड़ी के कदम को देखते हैं। गंभीर आरोपों वाला एक सांसद भारत की नई संसद के भव्य उद्घाटन का आनंद ले रहा है जबकि शिकायतकत्र्ता हफ्तों तक खुले आसमान के नीचे बैठते हैं, यह उत्तेजक नहीं है।-मृणाल पांडे


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News