महाराष्ट्र में ‘अध्यापक-अध्यापिकाओं’ के लिए नया ‘ड्रैस कोड’

punjabkesari.in Sunday, Mar 17, 2024 - 05:04 AM (IST)

विश्व के अधिकांश देशों में विभिन्न व्यवसायों से जुड़े लोगों के लिए एक ड्रैस कोड बना हुआ है। उदाहरणार्थ अस्पतालों में डाक्टर सफेद कोट पहनते हैं और अदालतों में वकील काला कोट पहनते हैं। सफेद कोट डाक्टर के शांतिपूर्र्ण स्वभाव को व्यक्त करता है और रोगी की आंखों को भी सुकून देता है। इसमें एक बड़ी जेब भी होती है जिसमें वे तत्काल जरूरत पडऩे पर चिकित्सा से जुड़ा सामान रख सकते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि सफेद कपड़े पर गंदगी तुरंत पता चल जाती है, जबकि डाक्टरी के पेशे में सफाई का बहुत महत्व है। 

जहां तक वकीलों के काले रंग के कोट का संबंध है, बताया जाता है कि यह ड्रैस कोड वकीलों में अनुशासन लाता है और न्याय के प्रति उनमें विश्वास को बढ़ाता है। अनेक धर्मस्थानों में प्रवेश के लिए भी ड्रैस कोड निर्धारित हैं। इसी प्रकार चूंकि अध्यापन से जुड़े व्यक्ति में भी बुद्धिमत्ता और अनुशासन की झलक दिखाई देनी चाहिए, अत: इसी शृंखला में अब महाराष्ट्र में शिक्षकों के लिए नया ड्रैस कोड लागू किया गया है। इसके अंतर्गत 15 मार्च को जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार महिला अध्यापक साड़ी, सलवार-सूट पहन सकती हैं। पुरुष अध्यापकों को शर्ट और ट्राऊजर पहनना होगा तथा जींस और टी-शर्ट पहनने की अनुमति नहीं होगी। 

यह फैसला पूरे महाराष्ट्र में छात्रों के बीच अध्यापक-अध्यापिकाओं की छवि को बेहतर बनाने के लिए किया गया है। प्रदेश के शिक्षा विभाग ने इसे सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य कर दिया है। राज्य सरकार के इस फैसले से जहां अध्यापक-अध्यापिकाओं के प्रति छात्रों में आदर भाव बढ़ेगा, वहीं छात्रों में भी शालीन परिधान पहनने की भावना उत्पन्न होगी। अन्य राज्यों में भी महाराष्ट्र की भांति अध्यापक-अध्यापिकाओं के लिए इसी प्रकार का ड्रैस कोड जल्द लागू किया जाना चाहिए।—विजय कुमार  


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