श्री अमरनाथ यात्रियों को पत्थरबाजों से सुरक्षित करने की जरूरत

Saturday, Jun 03, 2017 - 12:28 AM (IST)

जब से घाटी में आतंकवाद की शुरूआत हुई है उसके बाद से अमरनाथ यात्रियों की संख्या हर साल बढ़ती ही गई है। इसे आप भोले बाबा का चमत्कार समझो या लोगों की आस्था और विश्वास। हालांकि आतंकी इस कोशिश में रहते हैं कि यात्रा के दौरान ऐसी कोई घटना करें जिससे यात्रियों में भय का माहौल पैदा हो। कुछ एक घटनाओं को छोड़ दें तो सुरक्षा बलों ने उन्हें कभी कामयाब नहीं होने दिया और न ही ऐसी घटनाओं से यात्रियों की आस्था, मनोबल और न ही भोले बाबा के बर्फानी रूप के दर्शन करने की लगन कम हुई। 

लेकिन पिछले कुछ सालों से यात्रा के दौरान अलग सा भय बना रहता है आतंकवाद को लेकर नहीं, पत्थरबाजी को लेकर। जैसे ही यात्रा शुरू होती है कुछ अलगाववादी यात्रा के विरोध में आ जाते हैं। परन्तु ऐसा किसी भी साल नहीं हुआ कि इन विरोधी तत्वों के कारण कभी यात्रा न हुई हो। लेकिन पिछले 8-9 सालों में इन तत्वों ने अपने तरीके बदल लिए हैं यात्रा में अवरोध डालने के। इन अलगाववादियों ने पहले से ही पूरी रूपरेखा तैयार कर रखी होती है कि यात्रा शुरू होने पर कौन सा पुराना मुद्दा उठाना है जिससे हिंसा भड़क जाए और बाबा बर्फानी की यात्रा में यात्रियों को परेशानी और दिक्कतों का सामना करना पड़े और जैसे-तैसे यात्रा रुके, यह इनका मकसद होता है। 

अलगाववादियों ने कश्मीरी युवाओं में ऐसा जहर भर रखा है कि इनके एक इशारे पर ये युवक अपने हाथों में पत्थर लिए सड़कों पर आ जाते हैं और हर आने-जाने वाले यात्री वाहन पर पत्थर बरसाते हैं। यह सिलसिला शुरू हुआ था  2008 में केंद्र की मनमोहन सरकार और राज्य की गुलाम नबी सरकार द्वारा उस फैसले से जिसमें लगभग 99 एकड़ जमीन श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को दिए जाने से जिसका इस्तेमाल सिर्फ यात्रा के दौरान यात्रियों के ठहरने और दूसरी जरूरी सुविधाओं के लिए होना था। जिसका उस वक्त हुर्रियत नेताओं, नैशनल कांफ्रैंस, पी.डी.पी. सभी ने जम कर विरोध किया। पी.डी.पी. ने तो इसके विरोध में अपनी सहयोगी कांग्रेस की गुलाम नबी सरकार से अपना समर्थन तक वापस ले लिया जिसके चलते गुलाम नबी साहिब की सरकार तक गिर गई। 

हुर्रियत ने तो इस फैसले के विरोध में स्थानीय लोगों को भड़का कर जगह-जगह हिंसक प्रदर्शन करने शुरू कर दिए। इन प्रदर्शनों को रोकने के दौरान पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई में 6 से 10 लोग मारे गए और 100 के लगभग घायल हुए। हालांकि सरकार ने जमीनदेने वाले फैसले को वापस भी ले लिया था, फिर भी ये हुर्रियत अलगाववादी नेता कश्मीरी लोगों को भड़का कर हर साल इस बात की बरसी मनाने लग गए।यहीं से सही मायनों में पत्थरबाजी की शुरूआत हुई जो अभी तक न केवल चल रही है बल्कि बढ़ भी रहीहै। पिछले साल तो हद तब हो गई जब यात्रा शुरू हुए अभी एक सप्ताह ही हुआ था कि बुरहान वानी जैसे आतंकी को सुरक्षा बलों ने मार गिराया तो उसके बाद पूरी घाटी में जो हिंसात्मक प्रदर्शन हुए जिस कारण एक बार तो यात्रा पूरी तरह से रोक देनी पड़ी जो कोई यात्री जहां था वहीं फंस गया। 

अब मेरा सरकार से सवाल है कि जब आप यात्रियों की ऐसे तत्वों से सुरक्षा ही नहीं कर सकते कि एक आतंकी के मारे जाने पर श्रद्धालुओं को चोरों की तरह आधी रात में चुपके से, डरते हुए निकलना पड़े जहां 200-200 किलोमीटर तक गाड़ी नहीं रोक सकते चाहे किसी को कोई भी तकलीफ हो, तो यात्रा कुछ सालों के लिए स्थगित क्यों नहीं कर देते, आज कोई भी श्रद्धालु श्री अमरनाथ यात्रा पर निकलता है तो उसे आतंकवाद से नहीं, रास्ता रोकने, पत्थरबाजी जैसी परेशानियों से डर लगता है कि कहीं वहां  ऐसी-वैसी कोई घटना न हो जाए जिसके कारण वह वहां फंस जाए। 

क्यों राज्य और केंद्र सरकारें मिलकर ऐसा निर्णय नहीं लेतीं जिससे साल में लगभग 45 दिन तक चलने वाली यह यात्रा सुनिश्चित, सुरक्षित और आनंदमय हो और इसके लिए श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को भी राज्य और केंद्र सरकार के साथ बैठक कर यात्रियों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने होंगे और पत्थरबाजों और यात्रा में  खलल डालने वालों से कठोरता से निपटना होगा नहीं तो डर है कि आने वाले सालों में विस्थापित कश्मीरी पंडितों की तरह यह यात्रा भी कल की बात न हो जाए। मैं उन कश्मीरियों का भी ध्यान इस ओर दिलवाना चाहता हूं जो साल भर पर्यटकों का इंतजार करते हैं, उन्हें भी पता है कि साल में सबसे ज्यादा पर्यटक यात्रा के दौरान ही आते हैं।

यह भी अच्छी तरह जानते हैं कि सिर्फ एक-डेढ़ महीना चलने वाली इस यात्रा में वे इतनी कमाई कर लेते हैं जितनी ये पत्थरबाज सारा साल पत्थर मार कर भी नहीं करते, इन कश्मीरी लोगों को भी इस पत्थरबाजी और ऐसे अलगाववादियों का विरोध करना चाहिए जो यात्रा को रोकना चाहते हैं। उम्मीद करते हैं कि इस साल की 29 जून से शुरू होने जा रही श्री अमरनाथ यात्रा के लिए सरकार सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करेगी और कश्मीरी जनता से भी आग्रह है कि वह भी ऐसे लोगों की बातों में न आए जो कश्मीर का माहौल बिगाडऩा चाहते हैं। उन्हें चाहिए कि हिंदू भाइयों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए सरकार और सुरक्षा बलों का सहयोग कर यात्रा को सुरक्षित पूरा करवाएं।  

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