नैशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी करोड़ों टन खाद्य पदार्थों की बर्बादी घटाएगी

Wednesday, Oct 12, 2022 - 05:49 AM (IST)

भारत में कृषि और उससे संबंधित खाद्य पदार्थ देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तब तक पर्याप्त नहीं हैं जब तक उत्पादित सभी खाद्य पदार्थों का उपभोग नहीं किया जाता। असंगठित और अक्षम लॉजिस्टिक व्यवस्था के कारण देश में बड़े पैमाने पर खाद्य पदार्थों की बर्बादी हो रही है। इससे न केवल किसानों की आय प्रभावित हो रही है बल्कि उपभोक्ता महंगाई की आंच से परेशान हैं। खाद्य और कृषि संगठन (एफ.ए.ओ) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के लगभग 33 प्रतिशत कृषि और संबंधित उत्पाद बर्बाद हो रहे हैं जो भुखमरी के शिकार करीब 20 करोड़ लोगों की भूख मिटाने के लिए काफी हैं। 

खाद्य पदार्थों की सप्लाई के विभिन्न चरणों में खेत से खाने की थाली तक पहुंचने से पहले खाद्य पदार्थ खराब हो रहे हैं। 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जारी की गई नैशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी (एन. एल. पी)से उम्मीद है कि इस नीति के कारगर ढंग से लागू होने पर धरती पुत्र किसान के खून-पसीने से उपजाए गए खाद्य पदार्थों की बर्बादी कम करने के साथ लॉजिस्टिक व्यवस्था सक्षम और किफायती होने से घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खाद्य पदार्थों की सप्लाई बढ़ेगी। 

इंडियन काऊंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च एवं सैंट्रल इंस्टीच्यूट ऑफ पोस्ट-हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलॉजी द्वारा किए गए एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि खाद्य पदार्थों के भंडारण के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और समय पर प्रोसैसिंग न होने की वजह से सालाना लगभग 165 लाख टन सब्जियां, 78 लाख टन फल और 45 लाख टन अनाज के बर्बाद होने से 1.68 लाख करोड़ रुपए का नुक्सान हो रहा है। 

हालांकि खाद्य पदार्थों की बर्बादी कम करने के लिए देश की साल 1990 की 70 लाख टन कोल्ड स्टोरेज क्षमता बढ़ाकर 3.80 करोड़ टन कर दी गई है पर इसमें 72 प्रतिशत कोल्ड स्टोरेज इकाइयों में एक तरह के खाद्य पदार्थ ही स्टोरेज होते हैं। इसमें तीन-चौथाई बागवानी उत्पाद और बाकी डेयरी उत्पादों के लिए है। बागवानी उत्पादों की स्टोरेज में भी 68 प्रतिशत आलू का भंडारण हो रहा है। केवल 40 प्रतिशत कोल्ड स्टोर्स के पास छंटाई, ग्रेङ्क्षडग और पैक हाऊस की सुविधा है। 

देश में अभी तक इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन स्थापित नहीं हो पाई है जिससे खाद्य पदार्थों की बर्बादी घटाई जा सके। वर्तमान में विकसित कोल्ड चेन का लाभ चंद एक्सपोर्टर्स तक सीमित है जब छोटे, मझोले किसानों और किसान-उत्पादक संगठन इन सुविधाओं से वंचित हैं। नीति निर्धारक देश के किसानों को भी खाद्य पदार्थों के भंडारण के लिए कोल्ड चेन की सुविधा सुनिश्चित करें। इसके लिए शुरू किया गया पर्ची सिस्टम कारगर नहीं हो सका। 

फल और सब्जियां उगाने वाले छोटे किसान कोल्ड चेन का उपयोग इसलिए नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि कोल्ड स्टोरेज इकाइयों और रैफ्रिजेरेटेड परिवहन का उपयोग आलू व्यापारियों, डेयरी, पोल्ट्री, फिशरीज आदि उत्पादों के लिए अधिक हो रहा है। खेतों के निकट प्री-कूलिंग के लिए छोटी सोलर कोल्ड स्टोरेज इकाइयां स्थापित की जा सकती हैं। खाद्य पदार्थों की बर्बादी घटाने में फसल कटाई की बेहतर तकनीक, कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं और सप्लाई चेन इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर किसानों को ध्यान में रखने की जरूरत है। कोल्ड स्टोरेज का लाभ उठाते हुए छोटे किसान सही दाम मिलने पर ही फसलें मार्कीट में लाकर अतिरिक्त लाभ कमा सकते हैं। 

देश की सबसे बड़ी सब्जियों व फलों की दिल्ली की आजादपुर मंडी में भी कोल्ड चेन की सुविधा नहीं है। अध्ययनों से पता चलता है कि प्री-कूलिंग और ट्रांसपोर्ट रैफ्रिजरेशन से खुले ट्रकों में फलों- सब्जियों की बर्बादी 32 प्रतिशत तक घटाई जा सकती है जबकि रैफ्रिजरेटेड ट्रकों में यह नुक्सान 9 प्रतिशत तक होता है और फलों-सब्जियों के सडऩे से पैदा होने वाली कार्बनडाइऑक्साइड को भी 16 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। 

आगे की राह : आशा की जाती है कि नैशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी की मदद से गरीब छोटे किसानों, किसान उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ) और स्वयं सहायता समूहों (एस.एच.जी) को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार ग्रीन लॉजिस्टिक सिस्टम पर जोर देगी जिससे किसान भी कोल्ड चेन सुविधाओं का लाभ लेते हुए आय में वृद्धि कर सकें। कोल्ड चेन सुविधाओं के विकास एवं विस्तार से उत्पादक किसानों से लेकर उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाना ही नैशनल लॉजिस्टक पॉलिसी का उद्देश्य हो। नैशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी के तहत किसान की आय में वृद्धि के साथ उपभोक्ता की थाली तक सस्ते दाम पर पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए कोल्ड चेन सुविधाओं का जाल फैलाने का यह सही मौका है।-डा. अमृत सागर मित्तल(वाइस चेयरमैन सोनालीका)(लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पालिसी एवं प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन हैं।)

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