राष्ट्रीय डेंगू दिवस डेंगू का समय पर इलाज करना जरूरी

Thursday, May 16, 2019 - 03:46 AM (IST)

जानकारी के अभाव के कारण हर साल हजारों लोग डेंगू बुखार की चपेट में आ जाते हैं, जिसके कारण स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया, जिससे कि डेंगू के प्रति लोगों में जागरूकता लाई जा सके। डेंगू बुखार एक संक्रमण है जो डेंगू वायरस के कारण होता है। 

डेंगू का इलाज समय पर करना बहुत जरूरी होता है। एडीज मच्छर डेंगू वायरस को फैलाते हैं। डेंगू बुखार के कुछ लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, त्वचा पर चेचक जैसे लाल चकत्ते तथा मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द शामिल हैं। कुछ लोगों में डेंगू बुखार एक या दो ऐसे रूपों में हो सकता है जो जीवन के लिए खतरा हो सकते हैं। पहला, डेंगू रक्तस्रावी बुखार है, जिसके कारण रक्त वाहिकाओं(रक्त ले जाने वाली नलिकाएं) में रक्तस्राव या रिसाव होता है तथा रक्त प्लेटलैट्स (जिनके कारण रक्त जमता है) का स्तर कम होता है। दूसरा डेंगू शॉक सिंड्रोम है, जिससे खतरनाक रूप से निम्न रक्तचाप होता है। 

एशिया में अधिक प्रभाव
डेंगू बुखार का पहला वर्णन 1779 में लिखा गया था। 20वीं शताब्दी की शुरूआत में वैज्ञानिकों ने यह जाना कि बीमारी डेंगू वायरस के कारण होती है तथा यह मच्छरों के माध्यम से फैलती है। वैज्ञानिक जॉन बर्टन क्लेलैंड तथा जॉसेफ फ्रैंकलिन सिलर ने डेंगू के वायरस के विस्तार के आधार पर पता लगाया। डेंगू वायरस, एडीज मच्छरों द्वारा फैलता है, विशेष रूप से एडीज आएजेप्टी प्रकार के मच्छर से। ये मच्छर आमतौर पर 350 उत्तर तथा 350 दक्षिण अक्षांश पर होते हैं। ये अधिकतर दिन के समय काटते हैं। डेंगू से पीड़ित अधिकतर लोग ठीक हो जाते हैं और उनको बाद में किसी तरह की कोई समस्या नहीं होती है। डेंगू से संक्रमित लोगों में 1 से 5 प्रतिशत की उपचार के अभाव में मृत्यु हो जाती है। अच्छे उपचार के बावजूद 1 प्रतिशत से कम लोगों की मृत्यु हो जाती है। हालंकि, गंभीर डेंगू से पीड़ित लोगों में से 26 प्रतिशत की मृत्यु हो जाती है। डेंगू 110 से अधिक देशों में है। 

प्रत्येक वर्ष, पूरी दुनिया के 50 से 100 मिलियन लोग इससे प्रभावित होते हैं। डेंगू सबसे अधिक भू-मध्य रेखा के आसपास  होता है। उस क्षेत्र में 2.5 बिलियन लोग निवास करते हैं। इनमें से 70 प्रतिशत लोग एशिया और प्रशांत क्षेत्र से हैं। अमरीका में डेंगू प्रभावित इन क्षेत्रों से यात्रा करके वापस आए लोगों में से 2.9 प्रतिशत से 8 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिनको बुखार हो जाता है और जो यात्रा के दौरान प्रभावित हो जाते हैं। लोगों के इस समूह में मलेरिया के बाद डेंगू दूसरा सबसे आम संक्रमण है जिसका निदान होता है। डेंगू पूरी दुनिया में और अधिक आम होता जा रहा है। 1960 के मुकाबले 2010 में डेंगू 30 गुना अधिक आम था। डेंगू के विस्तार के लिए कई सारी चीजें जिम्मेदार हैं। ग्लोबल वाॄमग को भी डेंगू के विस्तार का एक कारण माना जाता है। 

जब मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो डेंगू वायरस मच्छर की लार के साथ व्यक्ति की त्वचा में प्रविष्ट हो जाता है। वायरस व्यक्ति की श्वेत रक्त कणिकाओं से जुड़ कर उनमें  प्रवेश कर जाता है। जब श्वेत रक्त कणिकाएं शरीर में इधर-उधर जाती हैं तो वायरस अपने प्रतिरूप पैदा करता है। श्वेत रक्त कणिकाएं कई तरह से प्रतिक्रिया करती हैं, जिसके कारण डेंगू के साथ बुखार, फ्लू जैसे लक्षण तथा गंभीर दर्द पैदा होते हैं। यदि किसी व्यक्ति को गंभीर संक्रमण हैं तो वायरस उसके शरीर में और अधिक तेजी से बढ़ता है, क्योंकि वायरस की संख्या बहुत अधिक है इसलिए ये कई अंगों को प्रभावित कर सकता है। 

छोटी रक्त कोशिकाओं की दीवारों से रक्त रिस करके शरीर के कोटरों में चला जाता है। इस कारण से रक्त कोशिकाओं में कम रक्त का प्रवाह होता है। व्यक्ति का रक्तचाप इतना कम हो जाता है कि हृदय महत्वपूर्ण अंगों को पर्याप्त रक्त की आपूॢत नहीं कर पाता है। साथ ही, अस्थि मज्जा पर्याप्त प्लेटलैट्स का निर्माण नहीं कर पाती है, जो रक्त का थक्का बनाने के लिए जरूरी है। पर्याप्त प्लेटलैट्स के बिना व्यक्ति को रक्तस्राव की समस्या होने की काफी संभावना है। रक्तस्राव डेंगू के कारण पैदा होने वाली मुख्य जटिलता है। डेंगू के रोगी को भूख कम लगती है और इस रोग में पाचन शक्ति भी कमजोर रहती है इसलिए जरूरी है कि आप उसे योग्य आहार दें जो आसानी से पच सके। 

कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं
डेंगू वायरस से बचाने के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। वैज्ञानिक, डेंगू बुखार के आक्रमण का उपचार करने के लिए वायरस विरोधी दवाओं को बनाने तथा लोगों को गंभीर जटिलताओं से बचाने की दिशा में काम कर रहे हैं। वे इस बात पर भी काम कर रहे हैं कि वायरस की प्रोटीन संरचना किस प्रकार की है। इससे डेंगू के लिए प्रभावी दवाओं के निर्माण में सहायता मिल सकती है। डेंगू से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका मच्छरों की आबादी पर काबू करना है। इसके लिए या तो लारवा पर नियंत्रण करना होता है या वयस्क मच्छरों की आबादी पर। एडीज मच्छर कृत्रिम जल संग्रह पात्रों में जनन करते हैं जैसे टायर, बोतलें, कूलर, गुलदस्ते। इन जलपात्रों को अक्सर खाली करना चाहिए यही सबसे बेहतर तरीका लारवा नियंत्रण का माना जाता है। 

एक नया तरीका मेसोसाक्लोपस नामक जलीय कीट जो लारवा भक्षी है, को रुके जल में डाल देना है जैसे कि गम्बूशिया मछली मलेरिया के विरुद्ध प्रभावी उपाय है। यह बेहद प्रभावी, सस्ती तथा पर्यावरण मित्र विधि है, इसके विरुद्ध मच्छर कभी प्रतिरोधक क्षमता हासिल नहीं कर सकते हैं किन्तु इस हेतु सामुदायिक भागीदारी सक्रिय रूप से चाहिए।-डा. बी.एस. भल्ला

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