‘राष्ट्रहित’ में है राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर

punjabkesari.in Saturday, Nov 23, 2019 - 03:13 AM (IST)

केन्द्र सरकार शीतकालीन सत्र में नागरिकता संशोधन बिल पेश करने की तैयारी में है। संसद के शीतकालीन सत्र में गृहमंत्री ने एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि बहुत जल्द ही पूरे देश में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लागू किया जाएगा। हालांकि  उन्होंने इस दौरान यह भी साफ  कर दिया है कि इस मामले पर किसी को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस प्रक्रिया में धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। नागरिकता संशोधन बिल का पूर्वोत्तर के कुछ राज्य विरोध कर रहे हैं। पूर्वोत्तर के लोग इस बिल को राज्यों की सांस्कृतिक, भाषायी और पारम्परिक विरासत से खिलवाड़ बता रहे हैं। 

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एन.आर. सी.) का फाइनल ड्राफ्ट आने के बाद असम में विरोध-प्रदर्शन भी हुए थे, हालांकि इसमें जिन लोगों के नाम नहीं हैं, उन्हें सरकार ने शिकायत का मौका भी दिया। सुप्रीम कोर्ट ने एन.आर. सी. से बाहर हुए लोगों के साथ सख्ती बरतने पर रोक लगा दी थी।

अब, जबकि सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक लाने जा रही है तो विरोध एक बार फिर मुखर होने लगा है कि नागरिकता संशोधन बिल अब नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया जा रहा है, जिससे नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव होगा। नागरिकता बिल में इस संशोधन से बंगलादेश,पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिन्दुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा। सामयिक जरूरत है कि वांछित बदलाव लाए भी जाएं। 

नियम कहते हैं कि भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में 11 साल निवास करने वाले लोग योग्य होते हैं। इस नागरिकता संशोधन बिल में बंगलादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणाॢथयों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है। इनमें से अधिकतर भारतीय जड़ मूल के हैं, इसे सरकार की ओर से अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। यह कोई गलत प्रयास नहीं है। 

इस विषय पर समकक्ष जागरूकता के जानदार और ईमानदार प्रयास करने बहुत जरूरी हैं। दोहराना जरूरी होगा कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एन.आर. सी.)राष्ट्रीय भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मूल दस्तावेज है और एक जरूरी पहल है। विश्व के हर देश की तरह भारत में भी मूल नागरिकों का पंजीकरण बहुत जरूरी है। आधार कार्ड जैसी योजना का भी शुरूआत में इसी प्रकार अनावश्यक विरोध था। यह बात अक्षरश: ठीक है कि इस समय भारत एकमात्र ऐसा महत्वपूर्ण देश है, जिसके लाखों लोग 130 से ज्यादा  देशों में रहते हैं, वहां वे विदेशी नागरिक के तौर पर जीते हैं। भारत में भी विदेशी नागरिक रहते हैं। यह भी राष्ट्रहित में एक  बड़ा तर्कशील कारण है कि भारत में भी देशी नागरिकों के लिए रजिस्टर बने और एक काबिल प्रशासन इससे जुड़ी तमाम शंकाओं का समाधान करे।-डा. विरिन्द्र भाटिया
 


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