मतदान अधिकार का अवश्य मगर विवेकपूर्ण इस्तेमाल करें
punjabkesari.in Tuesday, Dec 21, 2021 - 04:55 AM (IST)

लोकतंत्र में मतदान को विशिष्ट स्थान प्राप्त है। चूंकि लोकतंत्र का मूलाधार ही ‘लोगों का, लोगों के लिए, लोगों के द्वारा’ रहा है, चुनावी प्रक्रिया में मतगणना के दौरान एक भी वोट का उलटफेर पल भर में संभावित परिणाम बदल डालने की सामथ्र्य रखता है।
फिलहाल विधानसभा चुनाव, 2022 को लेकर संबद्ध राज्यों में गहमागहमी का माहौल है। कुर्सी की इस खींचतान में निज महिमामंडन को अतिरिक्त चाशनी में डुबोकर परोसा जा रहा है, प्रचार अपने चरम बिंदू पर है। पंजाब की ही बात करें तो विभिन्र पार्टियां लुभावने प्रस्तावों के साथ मतदाताओं का ध्यानाकर्षित करने की होड़ में लगी हैं।
कहीं आवासीय सुविधाएं प्रदान करने, महंगी बिजली दरों में कटौती करने, अनुबंधित कर्मियों को नियमित करने का आश्वासन दिलाया जा रहा है तो कहीं महिला वोट बैंक भुनाने के प्रयास में, प्रतिमाह एक निश्चित राशि खाते में स्थानांतरित करने का प्रलोभन दिया जा रहा है। कहीं बेअदबी मामलों का संज्ञान प्रचार का अहम मुद्दा है तो कहीं रेत खनन माफिया, नशा तस्करों का सफाया करना प्रचार अभियान के मुख्य विषय हैं। जगह-जगह लगे होर्डिंग्स में मानो ‘मेरा विकास, सबसे बेहतर’ दर्शाने की प्रतियोगिता चल रही हो।
प्रचार के इस मुहाने पर वर्षों से त्रिशंकु अवस्था में लटकते प्रोजैक्ट अचानक ही हरकत में आ गए हैं। गतिशीलता की इस प्रक्रिया में वे खस्ताहाल सड़कें भी शामिल हैं, जिनकी सुध लिए बरसों बीत गए। अनगिनत गड्ढों ने नित्यप्रति कितने हादसों को अंजाम दिया, मामले अभी विचाराधीन हैं। मौजूदा लीपापोती में तो हर तरफ चमचमाती सड़कें ही नजर आ रही हैं। सर्द मौसम में निर्मित ये सड़कें कब तक अपना अस्तित्व कायम रख पाएंगी, भविष्य की बात है, अभी तो इन्हें देखकर ‘देर आयद, दुरुस्त आयद’ वाला सुखद एहसास ही होता है।
निश्चय ही विकास एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो किसी प्रांत को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पहचान दिलाने में मुख्य भूमिका का निर्वहन करता है। विकास के ठोस आधार को तलाशा जाए तो प्रांत की प्रति व्यक्ति औसत आय, लोगों का जीवन स्तर, शैक्षणिक व्यवस्था, रोजगार उपलब्धता आदि कारक मिल कर यह तय करते हैं कि संबद्ध प्रांत विकास के किस चरण में है।
पंजाब की भूत व वर्तमान परिस्थितियों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो आंकड़े बताते हैं कि हरित क्रांति के पश्चात, अर्थव्यवस्था में प्रति व्यक्ति आय के मामले में अग्रगण्य रहा पंजाब गत 3 दशकों से कृषि विकास दर में निरंतर कमी की समस्या से जूझ रहा है। मौजूदा स्थिति में पंजाब जी.डी.पी. के मामले में देश के 15वें तथा प्रति व्यक्ति आय के मामले में 16वें पायदान पर आ चुका है। आर्थिक विकास की यह सुस्त रफ्तार नशाखोरी, बेरोजगारी, कृषक आत्मघात जैसी अनेक समस्याओं के पनपने का कारण बन चुकी है।
अपनी जीवंत व गौरवशाली संस्कृति के माध्यम से ‘देश की खडग़ भुजा’ व अन्न के प्रचुर भंडारण के कारण ‘चावल की टोकरी’ के रूप में विश्वविख्यात पंजाब, भारतीय रिजर्व बैंक की राज्यों से संबंधित एक वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार भारत का सर्वाधिक ऋणग्रस्त राज्य माना गया है जहां राज्य के सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले ऋण का अनुपात 40 प्रतिशत रहा। पंजाब की आय का 20 प्रतिशत से अधिक ब्याज भुगतान पर खर्च होता है, जोकि देश में सबसे अधिक है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के स्तर पर राज्य कहीं पीछे है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एन.एस.एस.ओ.) के स्वास्थ्य खर्च संबंधी आंकड़े बताते हैं कि पंजाब में बसे परिवारों पर, एक औसत भारतीय परिवार की तुलना में स्वास्थ्य खर्च का बोझ कहीं अधिक है, वे अपनी जरूरतों के लिए मुख्य रूप से निजी स्वास्थ्य सेवाओं पर निर्भर हैं। आंकड़ों के अनुसार पंजाब के 20 लाख से अधिक लोग मानसिक रोगों से पीड़ित हैं, जिनमें से अधिकांश के लिए समुचित उपचार सुलभ नहीं है।
औद्योगिकीकरण के विकास में आए ठहराव के कारण पिछले 15 वर्षों में लघु व मध्यम स्तरीय उपक्रमों का पंजाब से अन्य भारतीय राज्यों में व्यापक पलायन हुआ है। विशेषकर कोरोना काल में उपजी आॢथक क्षति व श्रमिक-समस्या अनेक व्यावसायिक उपक्रमों के बंद होने का कारण बनी। ङ्क्षचता का विषय है कि पंजाब में बेरोजगारी की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। पंजाब का नवीनतम आर्थिक सर्वेक्षण वहां रोजगार के अवसरों और युवाओं की आकांक्षाओं में असंतुलन को उजागर करता है। विदेश पलायन बेरोजगारी का मुख्य कारण है।
मुद्दे और भी हैं, किंतु निष्कर्ष यही है कि कर्ज से लेकर बेरोजगारी तक पंजाब की पूरी अर्थव्यवस्था में भारी सुधार की आवश्यकता है। सक्षम, सुदृढ़ व एकजुट नेतृत्व चुनौतीपूर्ण समय की मांग है जो युवाओं को प्रांत में ही रोजगार के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध करवाना निश्चित करे, सीमावर्ती क्षेत्रों से जुड़े नशा तस्कर गिरोहों पर अंकुश लगाए, संसाधनों के अतिदोहन को रोके व औद्योगिकीकरण व कृषि व्यवस्था को नियमित तौर पर संवर्द्धित गति प्रदान करे, ताकि प्रति व्यक्ति आय में वृद्घि के साथ, राज्य की ऋणमुक्ति भी संभव हो पाए।
मतदान हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है, इसका विवेकपूर्ण प्रयोग अवश्य करें। प्रलोभन अथवा पक्षपात आधारित मतदान लोकहित पर भारी पड़ सकता है, वहीं अपूर्ण मतदान भी अयोग्य व्यक्ति को विजय दिलाकर प्रांत के सर्वपक्षीय विकास को प्रभावित करेगा। क्या पता लोकतांत्रिक शक्ति का अंतिम विकल्प उन लोगों को आगे आने के लिए प्रेरित करे जो राजनीति के वास्तविक अधिकारी हैं, जिनके कार्य ही स्वंय उनकी योग्यता के प्रचारक हैं।-दीपिका अरोड़ा