हिंदुस्तान में बराबर के शहरी हैं मुसलमान

punjabkesari.in Friday, Aug 05, 2022 - 06:23 AM (IST)

15 अगस्त 1947 में जब देश आजाद हुआ तो दो सियासी पार्टियों के आपसी फैसले से देश दो भागों में बंट गया। इंडियन नैशनल कांग्रेस को हिंदुस्तान मिला और मुस्लिम लीग को पाकिस्तान। देश की और कोई पार्टी इस फैसले के खिलाफ अपना प्रभाव नहीं डाल सकी। अब आर.एस.एस. ने झूठ का प्रचार करना शुरू कर दिया कि यह बंटवारा दो धर्मों के बीच हुआ था। इंडियन नैशनल कांग्रेस में सब धर्मों के लोग शामिल थे और उन्होंने इस बंटवारे को दो धर्मों के बीच बंटवारा नहीं माना था। 

आजाद हिंदुस्तान में सरकार कांग्रेस पार्टी की बनी थी जिसमें मौलाना अबुल कलाम आजाद, रफी मोहम्मद किदवई और शाहनवाज खां कुशवाहा जैसे कद्दावर नेता कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे। केंद्रीय सरकार में इनको मंत्री बनाने पर किसी भी सियासी पार्टी और सामाजिक जत्थेबंदी ने कभी ऐतराज नहीं किया था। आज भी इनका नाम लेकर कोई भी पार्टी ऐतराज नहीं करती है। पार्लियामैंट में उस समय बहुत एम.पी. मुसलमान थे जिन पर आज तक किसी ने ऐतराज नहीं किया है। 

सूबों की असैंबलियों में भी बहुत से एम.एल.ए. मुसलमान थे। उन सबको हिंदुस्तान का शहरी माना गया था। इस प्रकार सब मुसलमानों को हिंदुस्तान में बराबर का शहरी माना गया। बंटवारे के बाद महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, डाक्टर भीम राव अम्बेदकर और जनसंघ के जितने लीडर हुए, सबने आजाद हिंदुस्तान में सब धर्मों और मजहब के लोगों को बराबर का शहरी माना था। इसके खिलाफ कभी किसी पार्टी ने दलील के साथ आवाज बुलंद नहीं की। 

15 अगस्त 1947 को आजाद हिंदुस्तान में बहुत से राजाओं, महाराजाओं, नवाबों और सरदारों की 579 स्वयंभू रियासतें थीं जिनको अंग्रेज सरकार ने अपने समझौते से आजाद करके खुद मुख्तियार रियासतें होने का ऐलान किया। लेकिन कुछ समय गुजरने के बाद भारत के गृह मंत्री सरदार पटेल ने इन आजाद रियासतों को हिंदुस्तान में शामिल करने के कदम उठाए। आजाद ने उन रियासतों के हाकिमों को पैंशन और कुछ रियायतें देकर उनकी हुकूमतों को हिंदुस्तान में शामिल कर लिया। 

इस प्रकार उन हाकिमों की जमीन, कुल कर्मचारी और प्रजा हिंदुस्तान में शामिल कर ली गई। किसी भी राजा, महाराजा, नवाब और सरदार ने प्रजा को हिंदुस्तान सरकार के हवाले करने से पहले जुबानी और लिखित में गृहमंत्री सरदार पटेल से यह नहीं कहा था कि हिंदुओं के अतिरिक्त दूसरे मजहबों के लोगों को हिंदुस्तान के शहरी नहीं बनाया जएगा। इस प्रकार पूरी इंडियन नैशनल कांग्रेस ने माना कि मुसलमान समेत सब धर्मों के लोग हिंदुस्तान के बराबर के शहरी होंगे। हिंदुस्तान का जो भाग अंग्रेजों के कब्जे में था वहां भी अंग्रेजों ने मौखिक या लिखित रूप में कोई ऐसी बात नहीं की जिसमें केवल हिंदुओं को ही देश में रहने का अधिकार दिया गया हो और बाकी लोगों को देश छोडऩे का हुक्म दिया गया हो। 

आजादी के बाद संविधान बनाने के लिए सब धर्मों के नेताओं की कमेटी बनाई गई जिसने बहुत बारीकी से विचार करने के बाद 1950 में संविधान बना कर लागू किया। इसमें भी सब धर्मों के लोगों को बराबर का शहरी माना गया और इनके अधिकार भी बराबर के माने। इस प्रकार सत्य, परम्परा और संविधान के विरुद्ध जाकर, झूठ का प्रचार करने वाले तंग नजर लोग हिंदुस्तान के लोगों में नफरत फैलाकर न लोगों का भला कर रहे हैं न हिंदू धर्म का भला कर रहे हैं। इतिहास गवाह है कि जब भी यहां तंग नजर लोगों ने झूठ का ऐसा प्रचार किया तो हिंदुस्तान के लोगों का नुक्सान ही हुआ। 

एक समय ऐसा भी था जब ऐसे तंग नजर लोग विदेश जाकर शिक्षा प्राप्त करने को पाप कहा करते थे और विदेशों में कारोबार करने से रोका करते थे। आज सबसे अधिक यही लोग विदेश जाकर शिक्षा प्राप्त करते हैं और कारोबार भी करते हैं। आज के युग का मनुष्य ऐसी द्वेषपूर्ण बातों को गलत मानता है और विकासशील देशों के लोगों की तरह विकास करना चाहता है।-मोहम्मद असलम परिहार


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