मुस्लिमों के उगाए ‘कमल’ के फूलों से तोले गए मोदी

Tuesday, Jun 18, 2019 - 04:35 AM (IST)

गत दिनों जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केरल के श्री कृष्ण मंदिर में 91 किलोग्राम कमल के फूलों का प्रयोग करते हुए ‘तुलाबराम’ प्रस्तुत किया तो बहुत कम लोगों को यह मालूम रहा होगा कि इन फूलों का उत्पादन मलप्पुरम जिले के तिरुंनव्या के मुस्लिम परिवारों द्वारा किया गया है। ये परिवार पिछले 100 वर्षों से कमल के फूलों की खेती कर रहे हैं। 

तुलाबराम नामक धार्मिक रीति में श्रद्धालु के भार के बराबर अनाज या फूल अॢपत किए जाते हैं जिससे उसको तोला जाता है। मोदी ने इसके लिए भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल को चुना। मंदिर की ओर से प्रधानमंत्री के लिए 112 किलोग्राम कमल के फूलों का प्रबंध किया गया था लेकिन मोदी ने इनमें से केवल 91 किलो का प्रयोग किया। भरथापूजा नदी के उत्तरी किनारे पर गांव तिरुंनव्या में ये मुस्लिम परिवार 100 साल से अधिक समय से कमल के फूलों का उत्पादन कर रहे हैं जिनका प्रयोग 100 से अधिक मंदिरों में पूजा के लिए किया जाता है। इनमें गुरुवयूर सहित प्रदेश भर के मंदिर शामिल हैं। 

तिरुंनव्या में कमल के फूलों को एक नकदी फसल के रूप में उगाया जाता है और इसकी खेती लगभग 500 एकड़ में होती है। अधिकतर किसान मुस्लिम समुदाय से संबंध रखते हैं और वे फूलों के इस उत्पादन में काफी निपुण हैं जिनकी भारी मांग रहती है। मुस्लिम परिवार  गुरुवयूर, कुडंगलूर भगवती मंदिर, पैरामेकवू भगवती मंदिर, त्रिप्रयार श्री राम मंदिर तथा पारशनीकाडावू मुथप्पन मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में प्रतिदिन औसतन 20 हजार कमल सप्लाई करते हैं। 

ये परिवार धार्मिक सीजन के दौरान सबरीमाला मंदिर में भी फूल सप्लाई करते हैं। ऐसे समय में जब देश के कई भागों में साम्प्रदायिक घृणा देखने को मिल रही है, तिरुंनव्या धार्मिक और साम्प्रदायिक सौहार्र्द की मिसाल पेश करता है। इसके अलावा  मंदिरों से प्राप्त होने वाला राजस्व इन मुस्लिम परिवारों की आजीविका चलाने में सहायक होता है। 

Advertising