इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, मोदी कदम उठाएं

Friday, Jun 24, 2022 - 03:58 AM (IST)

अपनी पार्टी के प्रवक्ताओं द्वारा पैगम्बर पर टिप्पणियों को लेकर मोदी जी की बेचैनी के बाद भविष्य के संभावित प्रधानमंत्री, योगी आदित्यनाथ को इसी तरह की दुविधा का सामना करने की बारी है। योगी ने सार्वजनिक सम्पत्ति को नुक्सान पहुंचाने वालों के घर गिराने की शपथ ली है। उनकी धमकी को आगे बढ़ाते हुए उनके गुर्गों ने अब तक केवल मुसलमानों को सजा दी है। 

हाल ही में उनके राज्य उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में बेरोजगार युवाओं की भीड़ ने सार्वजनिक सम्पत्ति को नुक्सान पहुंचाया, मुख्य रूप से रेलवे यार्ड्स में खड़ी ट्रेनों के डिब्बों और शहर की सड़कों पर सार्वजनिक बसों को भी नष्ट कर दिया। क्या योगी उनके मामले में भी इसी तरह के विध्वंस का आदेश देने जा रहे हैं? इनमें से ज्यादातर युवा गरीब परिवारों से आते हैं जोकि प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी रहे हैं। उनके घरों का निर्माण या मुरम्मत उनके गांवों में केंद्र से जारी फंड से किया गया था। सरकार के लिए जो कुछ उसने खुद बनाया है उसे नष्ट करना अत्यंत त्रासदीपूर्ण हुआ। अब इन दंगों में अधिकांश युवा बहुसंख्यक समुदाय से होंगे। 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए दंगाइयों में से केवल मुसलमानों को चुनना बहुत मुश्किल होगा। उनमें से ज्यादातर गरीब होंगे। अगड़ी जातियों में भी गरीब हैं। सेना में भर्ती के लिए जाट, राजपूत और यादव जैसी कुछ जातियां परम्परागत रूप से इच्छुक रही हैं। यहां तक कि यू.पी. के ब्राह्मण भी ऐसे भर्ती अभियानों में अग्रणी हैं। इससे आगजनी करने वालों पर अन्य अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने की योगी की बाध्यता दोगुनी हो जाएगी। योगी के लिए वास्तव में यह एक दुविधा की स्थिति है। मेरे मित्रों को लगता है कि मुझे अहंकारोन्मादी नेताओं से सहानुभूति नहीं रखनी चाहिए तथा उन्हें अपने ही जहर में डूबने देना चाहिए। 

मेरे पूर्व सहयोगी, के.पी.एस. गिल ने एक बार मेरी पत्नी से कहा था कि मैं पुलिस के लिए नहीं बना और निश्चित रूप से पंजाब में पुलिस का नेतृत्व करने के लिए नहीं हूं। उनका मत था कि मेरे जैसा कोमल हृदय वाला व्यक्ति जाटों के साथ नहीं निपट सकता। मैं रात को सो नहीं सकता यदि मोदी अथवा आदित्यनाथ जो वर्तमान में लहरों के शिखर पर सवार हैं, को बिना किसी अच्छी सलाह के छोड़ दिया जाए जब वे खुद पतन की ओर अग्रसर हैं। योगी को मेरी सलाह है कि अपने कदम पीछे खींचें और अपनी सरकार द्वारा धन उपलब्ध करवा कर उन घरों का पुर्निर्माण करें जिन्हें उन्होंने ध्वस्त कर दिया है। हां, वे सभी मुस्लिम दंगाइयों के हैं और मुसलमान उनके नापसंदीदा हैं। मगर विकल्प हिंदू दंगाइयों के घरों को भी नष्ट करना है और यह भविष्य के चुनावों में उन्हें महंगा पड़ेगा। 

बेरोजगारी आज के भारत की एक बड़ी समस्या है। इसे केवल बड़े-बड़े वायदे करके हल नहीं किया जा सकता। कोविड और रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद युवाओं को आशा है कि सरकार कोई चमत्कार करेगी। समस्या यह है कि सरकार ने उन्हें यह विश्वास दिलवाने के लिए प्रचार किया है कि वह नियमित अंतराल पर चमत्कार कर रही है। इसलिए जब संकट आता है तो उनकी सारी उम्मीदें धराशायी हो जाती हैं जिससे दंगे होते हैं। इसका समाधान यह है कि बड़े-बड़े दावे करना बंद करो और जमीन पर उतर आओ। 

किसान आंदोलन की चोट के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि मोदी  प्रशासन में नई पहलों की घोषणा करने के लिए किसी नाटकीय पल की तलाश के अपने रवैये में बदलाव करेंगे मगर अब यह स्पष्ट है कि यह रवैया हमारे महान नेता का पीछा नहीं छोड़ेगा। रक्षा मंत्री, जो सामान्य तौर पर एक संतुलित व्यक्ति हैं, ने अग्रिपथ योजना की बड़े गर्व के साथ घोषणा की, यह भूल कर कि गत 8 महीनों से प्रत्येक माह पुराने नियमों के अंतर्गत सूचीबद्ध आकांक्षावान युवाओं को यह बताया गया कि उन्हें एक कॉल की प्रतीक्षा करनी होगी और वे इंतजार कर रहे थे। 

तब उन्हें पता चला कि पुराने नियमों  को समाप्त कर दिया गया है और नई अग्रिपथ योजना में केवल 4 साल की सैनिक सेवा शामिल है, जिसमें पैंशन, चिकित्सा कवर जैसे सामान्य भत्ते शामिल नहीं हैं। इससे पहले वन रैंक वन पैंशन की मांग ने रक्षा बजट को गड़बड़ा दिया था। बजट में पैंशन भुगतान की पहले से 18 प्रतिशत हिस्सेदारी की बजाय यह आंकड़ा बढ़ कर 26 प्रतिशत हो गया, जिससे रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए धन की कमी होगी। सेना में मानव शक्ति को कम करने की तत्काल आवश्यकता और भी महत्वपूर्ण थी ताकि इसे आधुनिक बनाने और अन्य उन्नत राष्ट्रों की सेनाओं की तरह सक्षम बनाया जा सके, जो मानव संख्या की तुलना में प्रौद्योगिकी पर अधिक निर्भर हैं। यहां तक कि चीन ने भी एक-दो वर्ष पहले इस कार्रवाई को अंजाम दिया था लेकिन उससे पूर्व पुनर्वास के लिए पहल शुरू कर दी थी। 

हमारे नेताओं को अपने नवोन्मेषी सुधारों से प्रभावित लोगों की भावनाओं पर अधिक ध्यान देना चाहिए। इसकी बजाय वे उन लोगों पर अपने सुधारों के नतीजों की गणना करने की उपेक्षा करते हैं जो उनके द्वारा प्रतिकूल रूप से प्रभावित होंगे। वे कब सीखेंगे? असली समस्या हमारी बढ़ती युवा आबादी की बेरोजगारी है। उदाहरण के लिए हमने एक राष्ट्र के तौर पर चीन की तरह समझदारी से योजनाएं नहीं बनाईं। नए प्रवेशकों को नौकरी के बाजार में शामिल करने के लिए विनिर्माण नौकरियों का सृजन करना होगा। उत्पादों की बिक्री के रास्ते भी तलाशने होंगे। यदि अल्पसंख्यकों के लिए घृणा का आहार खिलाए गए हमारे ‘ङ्क्षफ्रज’ तत्व बकवास करना जारी रखते हैं, जैसे कि वे अभी भी कर रहे हैं, तो हमारे पास मध्य पूर्व में जो बाजार हैं, वे भी समाप्त हो जाएंगे। 

मोदी को खुद और अपनी पार्टी को नए सिरे से तैयार करने की जरूरत है। वह योगी आदित्यनाथ और अन्य भाजपा नेताओं द्वारा स्वंतत्र रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले बुलडोजर पर प्रतिबंध लगाकर शुरूआत कर सकते हैं। किसी भी मामले में यह अनैतिक तथा गैर-कानूनी है। मुझे आश्चर्य है कि हमारी न्यायपालिका इस अवैधता के खिलाफ अधिक सख्ती से सामने नहीं आई।-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)
 

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