मोदी जी की मिसाल, विश्व के लिए सीख
punjabkesari.in Friday, Jan 06, 2023 - 05:13 AM (IST)

कोविड ने फिर से दस्तक दे दी है। पिछले तीन हफ्तों में चीन में लगभग 25 करोड़ लोग संक्रमित हो गए हैं। लाखों लोगों की मृत्यु के समाचार आ रहे हैं। हर तरफ त्राहि-त्राहि मची है। जापान, कोरिया, फ्रांस, जर्मनी आदि में भी रोज लाखों लोग संक्रमित हो रहे हैं।
ऐसा लगता है कि पिछले दो भयावह वर्षों की पुनरावृत्ति होने को है। पर जहां पूरा विश्व इस अंदेशे से सहमा हुआ है, भारतवासी लगभग सामान्य जीवन जी रहे हैं। अन्य देशों के आंकड़ों के सामने, हमारे यहां संक्रमितों की संख्या मात्र कुछ सौ और हजार में है। यहां ऐसा लगता है, जैसे कि देश में कोविड पूरी तरह से समाप्त हो गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के कोविड डैशबोर्ड के अनुसार, 26 दिसम्बर को देश में संक्रमित लोगों की संख्या मात्र 3428 थी। इसकी तुलना में विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार दुनिया में 25 दिसम्बर को समाप्त हुए हफ्ते में ही 35 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हुए।
पर यह क्या एक संयोग मात्र है कि हम आज इतनी बेहतर स्थिति में हैं या यह भारत सरकार का कुशल प्रबंधन है, जिसने सदी की सबसे भयावह महामारी से डटकर लोहा लिया और देश को एक बड़े खतरे से बचा लिया? याद कीजिए 2020 के वे शुरूआती दिन, जब बी.बी.सी. जैसे विदेशी मीडिया संस्थान यह भविष्यवाणी कर रहे थे कि भारत इस विपदा से निपट नहीं पाएगा। लाशों के अम्बार लग जाएंगे।
शायद उनके जहन में 2014 से पहले का भारत था। पर जिस तरह से भारत ने अपने संसाधनों को विकसित किया, अत्यंत कम समय में अत्यंत प्रभावी वैक्सीन बनाई और न केवल देश में 220 करोड़ डोज सफलतापूर्वक और कुशल प्रबंधन से लगाई, बल्कि दुनिया के अनेक देशों में भी वैक्सीन-मैत्री के माध्यम से अनेकों जिंदगियां बचाईं। इसने पूरे विश्व को हत्प्रभ कर दिया। देशवासियों को विश्वास हो गया कि ऐसी महामारी में भी हम सुरक्षित हैं और इसी विश्वास ने न केवल देश की सामान्य जिन्दगी को, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी तेजी से पटरी पर वापस लौटाने में बड़ी भूमिका निभाई।
आज यही विश्वास हमें सुरक्षित रखे हुए है और इस विश्वास के पीछे है भारत का असीम अनुभव और कुशल नेतृत्व। अपने पिछले तीन वर्षों के अनुभव और संघर्ष की वजह से हम पहले से कहीं ज्यादा तैयार हैं। हमारी वैक्सीन दुनिया की सबसे प्रभावी वैक्सीन्स में से एक है। अमरीका में व्हाइट हाऊस के मुख्य चिकित्सीय सलाहकार डॉ फॉची का तो यह कहना है कि भारत की कोवैक्सीन कोविड के 617 वैरिएंट को निष्क्रिय करने में सक्षम है।
ज्ञातव्य है कि देश के 90 प्रतिशत लोगों को देश में बनी वैक्सीनों की डबल डोज लग चुकी है। और प्रसिद्ध डाक्टर देवी शेट्टी के अनुसार देश के 90 प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, जिसकी वजह से हममें अच्छी हाइब्रिड इम्यूनिटी विकसित हो गई है, जो कि कोरोना के किसी भी रूप के विरुद्ध हमारा सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। पर इसके साथ ही हमारा स्वास्थ्यगत ढांचा भी आज 2020 की तुलना में कहीं अधिक मजबूत है।
अब देश में पहले की तुलना में अधिक हॉस्पिटल बैड, सैंकड़ों गुणा अधिक ऑक्सीजन युक्त बैड हैं। महामारी के लिए चिन्हित आइसोलेशन बैड तो पहले के 10,180 की तुलना में अब 18 लाख से ज्यादा हैं। इसी तरह से आई.सी.यू. बैड की संख्या भी सैंकड़ों गुणा बढ़ गई है। पी.पी.टी. किट, वैंटीलेटर, ऑक्सीजन सिलैंडर आदि अब सभी देश में ही तैयार हो रहे हैं और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। टैस्टिंग सैंटर भी अब पहले के 30 हजार प्रतिदिन की जगह 20 लाख टैस्ट प्रतिदिन करने में सक्षम हैं।
आज भी जहां देश में लगभग 90 हजार वैक्सीनेशन और 35 हजार टैस्ट प्रतिदिन हो रहे हैं और देश भर का पूरा डाटा संभल कर रखा जा रहा है तथा अब एहतियातन भारत सरकार के निर्देशानुसार देश के एयरपोर्टों और सार्वजनिक स्थानों पर यादृच्छिक (रैंडम) टैस्टिंग शुरू हो गई है, वहीं प्रधानमंत्री के निर्देशानुसार संक्रमित व्यक्तियों के सैंपल की जीनोम टैस्टिंग भी कराई जा रही है, ताकि नए बीएफ-7 वेरिएंट का पता चल सके।
सरकार की यह सामयिक पहल देशवासियों के लिए भी संकेत है कि जहां हम भले ही शेष दुनिया की तुलना में बहुत बेहतर स्थिति में हों, हमें फिर भी सावधानी रखने की पूरी जरूरत है। भले ही हमारी प्रतिरोधक क्षमता अब बहुत बढ़ गई है और देश में कोरोना लगभग पूरी तरह से समाप्त हो गया है, फिर भी बहुत सतर्क रहने की आवश्यकता है। देशवासियों को सरकार के निर्देशों का पालन करना चाहिए, अगर बूस्टर डोज नहीं लगवाई है, तो लगवानी चाहिए। सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का उपयोग अनिवार्यत: करना चाहिए।
हमारा तीन सालों का अनुभव, हमारे मेहनती स्वास्थ्य कर्मी, हमारा पहले से कहीं बेहतर स्वास्थ्य-तंत्र और सबसे ऊपर हमारे अभिभावक स्वरूप प्रधानमंत्री का कुशल नेतृत्व हमें इस बात की गारंटी देता है कि अब पहले जैसे किसी भी दु:स्वप्न की पुनरावृत्ति नहीं होगी। फिर भी हमें एक बार फिर से याद रखना और दोहराना होगा- ‘दो गज दूरी, मास्क है जरूरी’! इससे पहले भी कई प्रसंगों में मोदी जी ने मिसाल के रूप में विश्व को बता दिया है कि हर संकट या चुनौतियों को अवसर में परिवर्तित करने का माद्दा वह रखते हैं। इस संकट से बाहर आकर पूरे विश्व को उन्होंने यही संदेश दिया है- ‘नहीं रुकेंगे बढ़े कदम, मंजिल पर ही लेंगे दम।’-श्याम जाजू (निवर्तमान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भाजपा)