आधार कार्ड की फोटोकॉपी का दुरुपयोग खत्म हो

punjabkesari.in Tuesday, Apr 22, 2025 - 05:35 AM (IST)

आई.टी. मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नए एप की घोषणा की है, जिसके बाद लोगों को आधार कार्ड देने की जरूरत नहीं होगी। कानून के अनुसार जब आधार जरूरी नहीं तो फिर एप को कैसे अनिवार्य बनाया जा सकता है? राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कई सालों से डाटा सुरक्षा कानून लागू नहीं हुआ  लेकिन अब उसके अनुसार आधार कानून में बदलाव की बात हो रही है। मनमर्जी के एप्स या कानूनी बदलावों से लोगों की दिक्कतों के साथ मुकद्दमेबाजी भी बढ़ती है। कानून और व्यवहार में विरोधाभास की वजह से अवैध घुसपैठ, रोहिंग्या, केंद्र और विपक्ष शासित राज्य सरकारों में टकराव, साइबर अपराध और फर्जी वोटिंग के मामले बढ़ रहे हैं। घुसपैठ और फर्जी वोटिंग के मामले राष्ट्रीय एकता और लोकतंत्र की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सियासत की बजाय आधार की समस्या के ठोस समाधान पर चिंतन और एक्शन जरूरी है। 

आधार अनिवार्य नहीं है : यू.पी.ए. सरकार ने आधार की शुरुआत की थी। ई-कॉमर्स और डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए भाजपा सरकार ने पहले कार्यकाल में मनी बिल और पी.एम.एल.ए. के पिछले दरवाजे से आधार को आनन-फानन में लागू कर दिया। सुप्रीमकोर्ट के अनेक फैसलों के बाद सिर्फ कल्याणकारी योजनाओं, सबसिडी और नकदी ट्रांसफर के लिए ही आधार बाध्यकारी है, लेकिन अनेक प्रशासनिक आदेशों से बैंक खाते, पैन कार्ड, ई.पी.एफ.ओ., नौकरी, परीक्षा सभी के लिए आधार जरूरी होने से कानूनी व्यवस्था दोहरेपन का शिकार है। कानून में जरूरी नहीं होने के बावजूद देश में 99.09 फीसदी वयस्क आबादी आधार के दायरे में होने की वजह से दुनिया का सबसे बड़ा डाटा सरकार के पास इकट्ठा हो गया है। रिपोर्टों के अनुसार जनता के आधार और अन्य निजी विवरण डार्क वैब और दूसरी जगह पर कौडिय़ों के भाव नीलाम हो रहे हैं। 

कई साल पहले केंद्र सरकार ने 4 अंक वाले मास्क्ड आधार कार्ड का प्रारूप जारी किया था  लेकिन उसके प्रसार या अनिवार्य बनाने के लिए विशेष प्रयास नहीं होने से आधार में गोलमाल बढ़ता जा रहा है। फोटोकापियों के दुरुपयोग से बड़े पैमाने पर बनाए जा रहे डुप्लीकेट आधार कार्डों की आड़ में अन्य फर्जी दस्तावेज और सिम कार्ड हासिल करके साइबर अपराधियों के गैंग पूरे देश में कहर ढा रहे हैं। कानून के अनुसार सिर्फ 16 अंकों का आधार नंबर देना ही पर्याप्त है। इसलिए स्कूल, बैंक और दूसरे सरकारी काम में लोगों से आधार कार्ड की फोटोकॉपी मांगने का सिस्टम खत्म होना चाहिए। 

आधार और वोटर लिंकिंग : संविधान के अनुसार नागरिकता से जुड़े मामलों में संसद और केंद्र सरकार को सारे अधिकार हासिल हैं। पासपोर्ट नागरिकता का प्रमाण-पत्र है जिसे जारी करने से पहले कागजों की जांच और पुलिस की पड़ताल जरूरी है  लेकिन आधार नागरिकता या पहचान का प्रमाण-पत्र नहीं है। सीमा की सुरक्षा में केंद्रीय सुरक्षा बलों की चूक की वजह से 3 करोड़ से ज्यादा घुसपैठिए भारत में आ गए हैं। केंद्र सरकार के कमजोर कानून और राज्य में भ्रष्ट प्रशासनिक मशीनरी की वजह से रोहिंग्या और विदेशी घुसपैठियों को आधार कार्ड जारी होने से राष्ट्रीय सुरक्षा को बड़ा खतरा हो गया है। बिहार, पश्चिम बंगाल, आसाम और तमिलनाडु के आगामी चुनावों के पहले आधार को वोटर कार्ड से लिंक करने के लिए चुनाव आयोग बड़ा अभियान चला रहा है। आधार को वोटर कार्ड से लिंक करने की योजना पर सुप्रीमकोर्ट ने साल-2015 में रोक लगा दी थी। सितम्बर 2023 में चुनाव आयोग के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ-पत्र दिया था कि फॉर्म-6बी के तहत आधार जरूरी नहीं है।

शपथ-पत्र के अनुसार 66.23 करोड़ वोटरों ने आधार नम्बर दे दिया है। अब बकाया 22 करोड़ से ज्यादा लोगों का आधार नम्बर लेने के लिए चुनाव आयोग अभियान चला रहा है। क्या आधार और वोटर कार्ड को जोड़कर एक नए बड़े डाटा बेस बनाने की तैयारी है? चुनाव आयोग के 10.49 लाख से ज्यादा बी.एल.ओ. अधिकारी वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने से पहले कानून के तहत दस्तावेजों की जांच-पड़ताल करते हैं। नाम, पता, उम्र और निवास के आधार पर वोटर लिस्ट को सॉफ्टवेयर से अपडेट करने पर संदिग्ध वोटरों का डाटा हासिल हो सकता है। उन मामलों में केस टू केस बेसिस पर जांच और सुनवाई के बाद आदेश पारित किया जाना चाहिए।

पुराने कानून के अनुसार घुसपैठियों को विदेशी साबित करने की जिम्मेदारी सरकार की थी। पिछले महीने संसद से पारित होने के बाद इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स बिल को राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दे दी है। नए कानून के अनुसार अब सरकार की बजाय विदेशी व्यक्ति को भारत की नागरिकता साबित करनी होगी लेकिन आधार नहीं होने से किसी को सरकारी योजनाओं के लाभ या वोटिंग के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। आधार की कोई वैधानिक मान्यता नहीं है, जिसे जारी करने में दस्तावेजों की जांच भी नहीं होती। तो फिर आधार के साथ वोटर लिस्ट को जोडऩे को समस्या सुलझाने का रामबाण क्यों बताया जा रहा है?-विराग गुप्ता(एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट)
 


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