‘प्रभु श्री राम बारे भ्रामक बयानबाजी’ वास्तविकता सामने आ सकती है ‘सैमीनार में’

punjabkesari.in Tuesday, Jan 24, 2023 - 05:26 AM (IST)

प्रभु श्री राम हिंदुओं के आराध्य देव हैं और उनके चरित्र का बखान करने वाले दो महान ग्रंथ ‘राम चरितमानस’ तथा ‘वाल्मीकि रामायण’ भी उतने ही आदर से देखे जाते हैं। विडम्बना है कि त्रेता युग में प्रभु श्री राम के आगमन के दिनों से ही समय-समय पर उनके बारे चंद लोग विवादास्पद बातें कहते आ रहे हैं। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की अदालती प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ऐसी बयानबाजी कुछ तेज हो गई जिसके बारे में अखबारों में खबरें छपती रहती हैं : 

* 8 जनवरी, 2019 को वरिष्ठ कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा, ‘‘दशरथ एक बड़े राजा थे। उनके महल में 10,000 कमरे थे लेकिन भगवान राम कहां पैदा हुए थे यह बताना मुश्किल है।’’
* 7 नवम्बर, 2021 को भाजपा की सहयोगी ‘निषाद पार्टी’ के अध्यक्ष डा. संजय निषाद बोले, ‘‘भगवान राम अयोध्या के राजा दशरथ के नहीं, पुत्रेष्ठिï यज्ञ करवाने वाले शृंगी ऋषि के पुत्र थे। भगवान राम को राजा दशरथ का तथाकथित पुत्र कहा जा सकता है परंतु वह वास्तविक पुत्र नहीं थे।’’

* 15 अप्रैल, 2022 को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा, ‘‘हम भगवान राम को नहीं मानते। राम कोई भगवान नहीं थे।’’
* 17 अप्रैल, 2022 को राजस्थान में प्रतिपक्ष (भाजपा) के नेता गुलाब चंद कटारिया बोले, ‘‘रावण ने सीता जी का अपहरण करके कोई बड़ा गुनाह नहीं किया क्योंकि उसने उसे छुआ तक नहीं।’’ 

* 12 जनवरी, 2023 को बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने कहा, ‘‘रामचरित मानस में कहा गया है कि वंचित समाज के लोग शिक्षा लेने के बाद सांप की तरह जहरीले हो जाते हैं। यह घृणा फैलाने वाला ग्रंथ है।’’
* 22 जनवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश के सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य बोले, ‘‘राम चरितमानस को पूर्णत: बैन करना चाहिए। उसमें सब बकवास है। इसमें तुलसीदास ने शूद्रों का अपमान किया है।’’बहरहाल, अभी तक तो भगवान राम के बारे में विवादास्पद बयान केवल राजनीतिज्ञ ही दे रहे थे परंतु अब इनमें तथाकथित विद्वान कहलाने वाले लेखक भी शामिल हो गए हैं। 

* 20 जनवरी को कन्नड़ भाषा के मशहूर लेखक ‘के.एस. भगवान’ ने दावा किया कि ‘‘वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि भगवान राम हर रोज  दोपहर के वक्त सीता के साथ बैठते थे। दिन में शराब पीते थे। उन्होंने 11,000 वर्षों तक नहीं केवल 11 वर्षों तक शासन किया।’’ 

ऐसे बयानों से लोगों की श्रद्धा आहत होती है और अनावश्यक विवाद पैदा होने से समाज में कटुता पैदा होती है। एक के बाद एक इस तरह के बयान आने से आम लोग दुविधा में पड़े हुए हैं कि वे किसकी बात को सही और किसकी बात को गलत मानें। 

इस बीच खबर है कि ‘राम चरितमानस’ बारे फैलाई जा रही भ्रांतियों को दूर करने के लिए एक सैमीनार पटना स्थित ‘महावीर मंदिर ट्रस्ट’ की ओर से करवाया जा रहा है ताकि वास्तविकता को सामने लाया जा सके। 

यह एक अच्छा प्रयास है। इस बारे में हम इतना ही कहना चाहेंगे कि पहले भी इस विषय पर चर्चा होती रही है परंतु उनमें कोई सर्वमान्य निष्कर्ष सामने नहीं आ सका। आशा करनी चाहिए कि इस सैमीनार में कोई न कोई सर्वसम्मत निष्कर्ष निकल आए ताकि इस बारे चले आ रहे विवाद पर विराम लग सके परंतु ऐसा होगा या नहीं इसका उत्तर तो सैमीनार सम्पन्न होने के बाद ही मिलेगा।—विजय कुमार 


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