अनेक दृष्टिकोण, एक निष्कर्ष

punjabkesari.in Sunday, Oct 19, 2025 - 04:32 AM (IST)

लेखक का नोट : मैं यह कॉलम 2014 से लिख रहा हूं। इससे पहले, मैंने 1999-2004 के दौरान यह कॉलम लिखा था। हर हफ्ते कॉलम लिखना एक थका देने वाला काम है लेकिन मुझे इसमें पूरा मजा आया। संपादकों से सलाह-मशविरा करने के बाद, मैंने यह कॉलम लिखना जारी रखने का फैसला किया है लेकिन बीच-बीच में। कॉलम पढऩे के लिए धन्यवाद  क्योंकि यही मेरा सबसे बड़ा ईनाम है।

93 वर्ष की आयु में (भगवान उन्हें आशीर्वाद दे), डा. सी. रंगराजन एक खुली अर्थव्यवस्था और विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। वह कई वर्षों तक केंद्रीय बैंकर और भारतीय रिजर्व बैंक के 19वें गवर्नर (1992-97) रहे। 14 अक्तूबर, 2025 को  उन्होंने डी.के. श्रीवास्तव के साथ मिलकर भारत की संभावित विकास दर के अनुमान पर एक लेख लिखा और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह 6.5 प्रतिशत प्रति वर्ष है। उन्होंने उदारतापूर्वक कहा कि विकास दर ‘वर्तमान विश्व परिवेश में, एक उचित उच्च स्तर’ है  लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ‘हालांकि रोजगार में उच्च वृद्धि के लिए, हमें अपनी संभावित वृद्धि को और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।’

मुझे लगता है कि कई वर्षों में 6.5 वर्षों की औसत वृद्धि दर निराशाजनक है। यह दर भारत को ‘निम्न-मध्यम आय’ वाले देशों के समूह में रखती है, जिसे प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (2024-25 में) 1,146 अमरीकी डॉलर से 4,515 अमरीकी डॉलर के बीच परिभाषित किया गया है। भारत की सकल राष्ट्रीय आय (2024 में) 2,650 अमरीकी डॉलर है  जो इसे मिस्र, पाकिस्तान, फिलीपींस, वियतनाम और नाइजीरिया जैसे देशों के समूह में रखता है। भारत को निम्न-मध्यम आय वर्ग से बाहर निकालने के लिए प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय को दोगुना करना होगा। यदि भारत की वर्तमान विकास दर बनी रहती है तो इस लक्ष्य को प्राप्त करने में 9 वर्ष लगेंगे और बेरोजगारी की स्थिति और भी खराब हो सकती है।

अनुमानों पर आम सहमति: आर.बी.आई .ने 2025-26 के लिए अपने विकास अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है लेकिन बेरोजगारी पर उसने बहुत कम कहा है (आर.बी.आई. बुलेटिन, सितंबर 2025, अर्थव्यवस्था की स्थिति): ‘अगस्त में रोजगार की स्थिति के विभिन्न संकेतकों ने मिश्रित तस्वीर पेश की। अखिल भारतीय बेरोजगारी दर घटकर 5.1 प्रतिशत रह गई।’ बेरोजगारी पर कम ध्यान इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि आर.बी.आई. अधिनियम आर.बी.आई. को रोजगार का कोई संदर्भ दिए बिना मौद्रिक और मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने का निर्देश देता है। वित्त मंत्रालय ने अपनी मासिक आॢथक समीक्षा के अगस्त अंक में. पूर्व अनुमानित 6.3 - 6.8 प्रतिशत के दायरे में ही रखा। बेरोजगारी पर, समीक्षा में कोई राय व्यक्त नहीं की गई।

विश्व बैंक ने 2025-26 में भारत की विकास दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था लेकिन 2026-27 में इसे घटाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 2025 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान बढ़ाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है  जबकि 2026 के लिए इसमें 6.2 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया है। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन  ने 2025-26 में भारत की विकास दर 6.7 प्रतिशत और 2026-27 में 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।

जी.एफ .सी.एफ . बिगाडऩे वाला: आम सहमति यह है कि भारत की विकास दर चालू वर्ष में 6.5 प्रतिशत रहेगी और अगले वर्ष 20 आधार अंक कम होगी। ये अनुमान मोटे तौर पर डा. रंगराजन के निष्कर्ष की पुष्टि करते हैं। डा. रंगराजन ने इस धीमी विकास दर के कारणों की पहचान की है। सकल स्थिर पूंजी निर्माण (जी.एफ . सी.एफ .) दर जो पिछले कुछ वर्षों  से स्थिर रही है और स्थिर जी.एफ .सी.एफ . दर के कारण। जी.एफ .सी.एफ. 2007-08 में सकल घरेलू उत्पाद के 35.8 प्रतिशत से गिरकर 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद के 30.1 प्रतिशत पर आ गया है। पिछले 10 वर्षों में यह कमोबेश 28 से 30 प्रतिशत के बीच स्थिर रहा है।

निजी स्थिर पूंजी निर्माण (पी.एफ  .सी.एफ.) जो कुल जी.एफ .सी.एफ. का एक हिस्सा है , 2007-08 में सकल घरेलू उत्पाद के 27.5 प्रतिशत से गिरकर 2022-23 में 23.8 प्रतिशत पर आ गया है (अंतिम उपलब्ध आधिकारिक आंकड़े)। डा. रंगराजन ने वृद्धिशील ऋण उत्पादन अनुपात (आई.सी.ओ.आर.) का भी जिक्र किया  लेकिन मैंने उसे छोड़ दिया क्योंकि यह एक व्युत्पन्न संख्या है। जैसा कि डा. रंगराजन ने निष्कर्ष निकाला कि जब तक जी.एफ.सी.एफ../पी.एफ. सी.एफ. में सुधार नहीं होता या आई.सी.ओ.आर. में गिरावट नहीं आती, भारत 6.5 प्रतिशत की विकास दर पर अटका रहेगा।

मनमोहन सिंह जैसा साहस : एक विकासशील देश में, सरकार की सफलता का एक पैमाना उसकी गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचा बनाने और गुणवत्तापूर्ण रोजगार पैदा करने की क्षमता है। पिछले दशक में जहां एक ओर बुनियादी ढांचे का निर्माण हुआ है (और उस पर भारी खर्च भी हुआ है), वहीं दूसरी ओर उसकी गुणवत्ता भी बेहद खराब रही है। पुराने डिजाइन और तकनीक, गिरते पुल, ढहती इमारतें और नए राजमार्ग जो पहली मानसूनी बारिश में ही बह गए। 
6.5 प्रतिशत की जी.डी.पी. वृद्धि दर कोई जश्न का क्षण नहीं है। इसका मतलब है कि भारत निम्न-मध्यम आय वर्ग के जाल में फंस गया है, जिसमें न तो कोई विचार है और न ही इससे बाहर निकलने का साहस। यह मनमोहन सिंह जैसा साहस दिखाने का समय है। (शेष भाग : 2 नवंबर, 2025 को)-पी. चिदम्बरम


सबसे ज्यादा पढ़े गए