ममता बनर्जी की महत्वाकांक्षा

punjabkesari.in Monday, Jul 30, 2018 - 04:02 AM (IST)

आखिरकार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2019 के चुनावों में अपने प्रधानमंत्री बनने की इच्छा जाहिर कर ही दी। यद्यपि उन्होंने खुद इस बारे में कभी कोई शब्द नहीं कहा मगर ममता बनर्जी के करीबी तथा उनके आसपास रहने वाले लोग अब खुलकर इसकी घोषणा कर रहे हैं। हाल ही में उमर अब्दुल्ला ने कोलकाता में ममता से भेंट की और खुलकर घोषणा कर दी कि वह मोर्चे की नेता होंगी जो भाजपा के खिलाफ लड़ेगा। उन्होंने पश्चिम बंगाल में ममता के कार्य तथा विकास की प्रशंसा भी की। इस बीच ममता बनर्जी भी 19 जनवरी 2019 को कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान पर सभी विपक्षी दलों की एक रैली का आयोजन कर रही हैं। 

उनकी योजना नवम्बर तथा दिसम्बर में देश का दौरा कर रैली को सफल बनाने तथा राज्यों के विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर उन्हें रैली में आमंत्रित करने की है। वह शीघ्र ही सोनिया तथा राहुल गांधी को रैली में आमंत्रित करने के लिए दिल्ली का दौरा करेंगी और जल्दी ही रैली में शामिल होने के लिए आमंत्रण हेतु लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, मायावती तथा के. चन्द्रशेखर राव से मिलेंगी। इस बीच उन्हें एक अगस्त को सेंट स्टीफन कालेज दिल्ली में छात्रों के साथ बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया गया था मगर दुर्भाग्य से कालेज के प्रिंसिपल ने उनका आमंत्रण रद्द कर दिया। कार्यक्रम का आयोजन कालेज की सोसाइटी ने किया था। तृणमूल कांग्रेस का दावा है कि प्रिंसिपल ने भाजपा तथा संघ के दबाव में आमंत्रण को रद्द किया। 

मायावती तथा कांग्रेस: यद्यपि वरिष्ठ तथा अनुभवी कांग्रेस नेता कमलनाथ ने आने वाले मध्यप्रदेश चुनावों में मायावती के साथ हाथ मिलाने की इच्छा इतनी पहले ही जाहिर कर दी है, वहीं दूसरी ओर मायावती ने अपनी चालाकी दिखाते हुए लोकसभा चुनावों के लिए राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब तथा कर्नाटक में अपनी पार्टी के लिए सीटों की मांग की है, जबकि वह छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी, हरियाणा में इनैलो के चौटाला, महाराष्ट्र में शरद पवार तथा बिहार में तेजस्वी यादव के साथ सीटों को लेकर अलग-अलग बात कर रही हैं। 

मायावती आने वाले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को 10 सीटें देने पर राजी हो गई हैं, यदि कांग्रेस राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों तथा इन राज्यों में लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी बसपा को पर्याप्त सीटें दे देती है। मायावती उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ जब गठजोड़ में थीं तो उन्होंने दलित वोटें चुरा ली थीं और उनका गत पंजाब विधानसभा चुनावों में अंतिम समय पर अकाली दल के साथ तथा कर्नाटक विधानसभा चुनावों में एच.डी. कुमारस्वामी के साथ गठबंधन बनाने के रवैये के चलते कांग्रेस में अधिकांश वरिष्ठ नेता मायावती के साथ गठबंधन बनाने का विरोध कर रहे हैं। 

कांग्रेस में प्रियंका की भूमिका: कांग्रेस कार्य समिति (सी.डब्ल्यू.सी.) की घोषणा होने के बाद जिन वरिष्ठ नेताओं को सी.डब्ल्यू.सी. में जगह नहीं दी गई, प्रियंका वाड्रा गांधी ने उन्हें समिति की बैठक में शामिल होने के लिए मनाया। कर्ण सिंह, बी.के. हरिप्रसाद तथा सी.पी. जोशी बैठक में शामिल हुए। प्रियंका गांधी ने संगठन के लिए उनके योगदान की प्रशंसा की और उन्हें आश्वस्त किया कि पार्टी निश्चित तौर पर उनके लिए एक नई भूमिका तलाशेगी। मगर जनार्दन द्विवेदी ने बैठक में शामिल होने से इंकार कर दिया क्योंकि उन्होंने कांग्रेस महासचिव का अपना पद तथा राज्यसभा की सीट गंवा दी थी और उन्हें सी.डब्ल्यू.सी. में शामिल नहीं किया गया था। दिग्विजय सिंह ने भी बैठक में शामिल होने में अपनी असमर्थता जताई क्योंकि उनका पहले ही मध्य प्रदेश में कोई कार्यक्रम था। हालांकि सिंह इसलिए भी नाखुश हैं क्योंकि राहुल गांधी उनके अनुभव तथा वरिष्ठता का इस्तेमाल नहीं कर रहे। 

योगगुरु से व्यवसाय गुरु: 2014 के लोकसभा चुनावों में योगगुरु रामदेव नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा कर रहे थे और चुनावों से पहले उन्हें अपने आश्रम में आमंत्रित किया था तथा उन्हें आने वाला प्रधानमंत्री घोषित किया था, मगर अब ऐसा दिखाई देता है कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से खफा हैं क्योंकि मोदी ने रामदेव के संकल्प पूर्ति समापन समारोह में जाने से इंकार कर दिया था और रामदेव को प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया था। इन दिनों वह मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव तथा अखिलेश यादव से मुलाकात कर रहे हैं और जब भी उन्हें कोई मंच मिलता है तो वह इन नेताओं की प्रशंसा करते हैं।

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर रामदेव ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सहायता से राजस्थान के कोटा में एक योग शिविर का आयोजन किया था जहां उन्होंने योग करने के लिए सोनिया तथा राहुल गांधी की प्रशंसा की थी और कहा कि उनके गांधियों के साथ अच्छे संबंध हैं। इसके बाद उनके पतंजलि मैगा फूड पार्क को जी.एस.टी. से बहुत से नोटिस मिले। एक बिजनैस गुरु होने के नाते उन्होंने इन दिनों राजनीति बारे बात करनी बंद कर दी है क्योंकि वह उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड के विभिन्न विभागों के उत्तर देने में व्यस्त हैं। चर्चा यह है कि आगामी लोकसभा चुनावों में बाबा रामदेव किसका समर्थन करेंगे? 

कांग्रेस कार्य समिति की बैठक: कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्य समिति के 250 सदस्यों की बैठक बुलाई। यह समिति की एक बड़ी बैठक थी जिसमें 239 सदस्य शामिल हुए और उल्लेखनीय अनुपस्थितों में दिग्विजय सिंह तथा जनार्दन द्विवेदी शामिल थे। बैठक में विचार-विमर्श का एजैंडा मिशन 2019 का था और 35 नेताओं ने रणनीति तथा वर्तमान में भारत की राजनीतिक स्थिति पर बात की। बैठक में राहुल गांधी को राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ राज्य स्तर पर गठबंधन चुनने की शक्ति दी गई। 

सी.डब्ल्यू.सी. की बैठक में मुम्बई कांग्रेस प्रमुख संजय निरूपम पोस्टर लाए थे जिसमें राहुल गांधी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से गले मिलते दिखाया गया था और उस पर नारा लिखा था ‘नफरत से नहीं प्यार से जीतेंगे’। अधिकांश वक्ताओं का विचार था कि यदि कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनावों में अकेली सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती है तब राहुल गांधी भारत के प्रधानमंत्री होंगे। बैठक के बाद राहुल गांधी ने पार्टी की सभी इकाइयों, विशेषकर महिला कांग्रेस, युवा कांग्रेस तथा एन.एस.यू.आई. को संसद में महिला आरक्षण तथा युवाओं को रोजगार के मुद्दे पर देश भर में रैलियां आयोजित करने का निर्देश दिया।-राहिल नोरा चोपड़ा


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