महात्मा गांधी के विचारों से बनेगा ‘श्रेष्ठ भारत’

Saturday, Dec 21, 2019 - 03:02 AM (IST)

भारत की महान भूमि ने दुनिया को हर युग में ऐसे युगपुरुष दिए हैं, जिन्होंने न सिर्फ भारत को बल्कि पूरी दुनिया को अपने विचारों से प्रभावित किया है। बुद्ध, महावीर से लेकर आदिशंकराचार्य, गुरु नानक और कबीर से होती हुई यह परम्परा स्वामी विवेकानंद तक अनवरत चलती आ रही है, जिन्होंने पूरी दुनिया में भारत की सभ्यता, आदर्श और विचारों को लोकप्रिय बनाया। इसी महान परम्परा से जुड़ी हुई एक महान हस्ती हैं हमारे पूज्य बापू, जिन्हें पूरी दुनिया महात्मा गांधी के नाम से जानती है। महात्मा गांधी वैश्विक इतिहास का वह किरदार हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया को अहिंसा और सत्याग्रह का पाठ पढ़ाया और जिनके नेतृत्व में देश ने अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति प्राप्त की। देश इस वर्ष उनकी 150वीं जयंती मना रहा है। 

हर दौर में प्रासंगिक हैं बापू
महात्मा गांधी की खूबी ही यह है कि वह हर दौर में प्रासंगिक रहे हैं और आज के दौर में तो उनके विचार हर इंसान को बल देने का काम करते हैं। बापू के सत्य, अङ्क्षहसा और प्रेम के संदेश को पूरी दुनिया ने माना है। यही वजह है कि जब दुनिया आतंकवाद से जूझ रही है, उस दौर में महात्मा गांधी सम्पूर्ण विश्व में शांति के ब्रैंड एम्बैसेडर बन गए हैं। गांधी जी ने सभी से प्रेम करने की बात कही थी। बापू मानते थे कि कोई कायर प्यार नहीं कर सकता है, यह तो बहादुरों की निशानी है। प्रेम करने के लिए हिम्मत की जरूरत होती है क्योंकि नफरत करने के लिए वजह की जरूरत होती है और प्रेम करने के लिए साफ मन के सिवाय कुछ नहीं चाहिए होता है। सभी को नि:स्वार्थ भाव से प्रेम करने की सीख ही भारत को एक रखती है। 

गांधी जी ने कहा था कि कमजोर कभी क्षमाशील नहीं हो सकता है, क्षमाशीलता ताकतवर की निशानी है और ताकत शारीरिक शक्ति से नहीं आती है, यह अदम्य इच्छाशक्ति से आती है। बापू के 150वीं जयंती वर्ष में भारत के हर नागरिक को आपसी गिले-शिकवे मिटा कर उत्कृष्ट भारत के निर्माण के लिए मजबूत इच्छाशक्ति दिखानी होगी। 

सिर्फ किसी का स्वार्थ हो सकती है हिंसा
अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने वाले महात्मा गांधी ने सदैव अहिंसा को अपनी सबसे बड़ी ताकत माना और किसी भी कीमत पर हिंसा का समर्थन नहीं किया। हिंसा कभी किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकती। हिंसा सिर्फ किसी का स्वार्थ हो सकती है। बापू कहते थे कि मन, वचन और शरीर से किसी को भी दुख न पहुंचाना अहिंसा है। अहिंसा का मार्ग मुश्किल है लेकिन इस मार्ग से सफलता जरूर मिलती है। बापू कहते थे कि धैर्य का छोटा हिस्सा भी एक टन उपदेश से बेहतर है। आज के दौर में जब वैचारिक मतभेद हिंसक हो रहे हैं, तब बापू के कथन को याद रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा था कि मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन। धैर्य और अहिंसा के जरिए हर समस्या का समाधान संभव है और मुश्किल से मुश्किल मसलों का हल भी बातचीत से निकलता है। बस जरूरत है तो विश्वास और धैर्य की। 

विविधता ही भारत की खूबी
भारत की विविधता उसकी खूबी है। यह खूबी ही इसे एक श्रेष्ठ भारत बनाती है। अलग-अलग संस्कार, भाषाएं और रहन-रहन के तरीके मिलकर इसे एक भारत, श्रेष्ठ भारत बनाते हैं। अपनी संस्कृति के साथ दूसरे की संस्कृति का सम्मान करना ही भारत की पहचान है। अलग-अलग प्रदेशों की संस्कृति को अपनाकर उसका प्रचार-प्रसार करने का काम आज किया जा रहा है। गांधी जी के स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करने की कोशिश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की है। गांधी जी ने कहा था कि स्वच्छता को अपने आचरण में इस तरह अपना लो कि वह आपकी आदत बन जाए। प्रधानमंत्री ने स्वच्छता को लोगों की आदत में शामिल कराया है। गांधी जी का मानना था कि अपने अंदर की स्वच्छता पहली चीज है जिसे पढ़ाया जाना चाहिए, बाकी बातें इसके बाद होनी चाहिएं। आज के दौर में हम सबको अपने मन को स्वच्छ करना है, उसके बाद ही एक भारत, श्रेष्ठ भारत की असल तस्वीर सबके सामने आ सकेगी। 

दुनिया अपना रही है योग
किसी भी काम को करने के लिए मजबूत मन के साथ ही स्वस्थ तन की जरूरत होती है। सामान्य-सी कद-काठी वाले महात्मा गांधी ने खून की एक बूंद गिराए बिना, ब्रिटिश साम्राज्य की जड़ें हिला दी थीं। गांधी जी कहते थे कि स्वास्थ्य ही असली सम्पत्ति है, न कि सोना और चांदी। आज हमारे योग को दुनिया अपना रही है। फिट इंडिया मुहिम के तहत देशवासी भी स्वस्थ तन की अहमियत समझ रहे हैं और स्वस्थ जीवनशैली को अपना रहे हैं। 

महात्मा गांधी के अनेक विचारों की महत्ता दिन-प्रतिदिन बढ़ती दिख रही है। यही कारण है कि आज भारत ही नहीं बल्कि सारी दुनिया इन विचारों और मूल्यों को अपनाती नजर आ रही है। गांधी जी की 150वीं जयंती के अवसर पर महात्मा एक बार फिर सही अर्थ में जीवंत हो उठे हैं।-प्रह्लाद सिंह पटेल(केन्द्रीय संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

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