‘जिंदगी देने की बजाय’ ‘मौत बांटते’ महाराष्ट्र के सरकारी ‘अस्पताल’

punjabkesari.in Wednesday, Oct 04, 2023 - 04:34 AM (IST)

महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में नांदेड़ के ‘डा. शंकर राव चव्हान सरकारी मैडीकल कालेज एवं अस्पताल’ में 48 घंटों से भी कम समय में 16 नवजात बच्चों और अनेक गर्भवती महिलाओं सहित वहां उपचाराधीन 31 रोगियों की मौत हो गई। बताया जाता है कि 30 सितम्बर से 1 अक्तूबर के बीच 24 घंटों में 24 मौतें और इसके बाद 1 से 2 अक्तूबर के बीच 7 और मौतें दर्ज की गईं, जबकि 70 रोगियों की हालत गंभीर बताई जाती है। अभी इस समाचार की स्याही सूखी भी नहीं थी कि महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर में स्थित ‘सरकारी मैडीकल कालेज एवं अस्पताल’ में 3 अक्तूबर सुबह 8 बजे तक 24 घंटे के भीतर 2 नवजात बच्चों सहित 18 रोगियों की मौत होने का समाचार आ गया। 

जहां तक नांदेड़ अस्पताल में मौतों का संबंध है, हालांकि अस्पताल के अधिकारी इतनी कम अवधि में इतनी अधिक मौतों को लेकर कुछ भी बताने से बचते रहे परन्तु विरोधी दलों द्वारा राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ‘तानाजी सावंत’ के त्यागपत्र की मांग की जा रही हैै। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण (कांग्रेस) ने कहा कि कालेज के डीन ने अस्पताल में नॄसग और मैडीकल स्टाफ की कमी, कुछ चिकित्सा उपकरणों के काम न करने और विभिन्न कारणों से अस्पताल के कुछ विभाग बंद पड़े होने की बात कही है। चव्हाण के अनुसार अस्पताल 500 बिस्तरोंं का है लेकिन वहां 1200 रोगी भर्ती थे। राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार को प्राथमिकता के आधार पर अस्पताल के मैडिकल स्टाफ के साथ-साथ धन की व्यवस्था भी करनी चाहिए। 

अस्पताल के सुपरिंटैंडैंट डा. एस.आर. वाकोडे का कहना है कि ‘‘अस्पताल में कुछ जीवन रक्षक दवाओं तथा उन्हें खरीदने के लिए फंड की भी कमी थी। दवाओं की उपलब्धता यकीनी बनाने की हमारी कोशिशों के बावजूद कभी-कभी कमी हो जाती है।’’ राकांपा नेता सुप्रिया सुले ने इन घटनाओं के लिए राज्य की ‘ट्रिपल इंजन सरकार’ को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि ‘‘अचानक इतनी मौतें संयोग नहीं है। प्रत्येक मौत की गहराई से जांच होनी चाहिए तथा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को संबंधित मंत्री का त्यागपत्र लेना चाहिए।’’ राहुल गांधी ने कहा, ‘‘भाजपा सरकार हजारों करोड़ रुपए अपने प्रचार पर खर्च कर देती है परन्तु बच्चों की दवाइयों के लिए पैसे नहीं हैं।’’ 

उल्लेखनीय है कि इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गृहनगर ठाणे जिले के कलवा स्थित ‘छत्रपति शिवाजी महाराज सरकारी अस्पताल’ में 11 अगस्त को 5 उपचाराधीन रोगियों तथा 13 अगस्त को एक ही रात में 18 उपचाराधीन रोगियों की मौतों से हड़कंप मच गया था। हमेशा की तरह इस बार भी राज्य सरकार ने पूरे मामले की जांच करवाने तथा पाई जाने वाली त्रुटियों को दूर करने की बात कह कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाडऩे की कोशिश की है परन्तु इतना ही काफी नहीं है। जहां इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों को समुचित दंड देने की आवश्यकता है, वहीं देश के अस्पतालों का प्रबंध चाक-चौबंद करने और दवाओं एवं जरूरी उपकरणों की उपलब्धता और उनका चालू हालत में होना यकीनी बनाने की भी जरूरत है।—विजय कुमार


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