महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता
punjabkesari.in Sunday, Nov 17, 2024 - 05:20 AM (IST)
वर्तमान महाराष्ट्र राज्य का निर्माण कांग्रेस पार्टी ने किया था। 1 मई, 1960 से जब राज्य को बॉम्बे राज्य से अलग किया गया था, तब से 20 मुख्यमंत्री (कुछ बार-बार) बन चुके हैं। उनमें से 5 को छोड़कर सभी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के थे। (मैं शरद पवार को भी कांग्रेस के मुख्यमंत्री के रूप में गिनता हूं, जो कभी कांग्रेस (समाजवादी) से अलग हुए समूह का प्रतिनिधित्व करते थे)। कांग्रेस का विरोध करने वाली पार्टी से 5 लोग मनोहर जोशी, नारायण राणे, देवेंद्र फडऩवीस, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे थे। इन पांचों ने कुल 64 साल, 6 महीने और 17 दिनों में से लगभग 15 साल तक इस पद पर कब्जा किया। बाकी सालों में कांग्रेस पार्टी का एक मुख्यमंत्री सत्ता में रहा।
राज्य विधानसभा के लिए आखिरी चुनाव नवंबर 2019 में हुए थे। पिछले 5 सालों में 3 मुख्यमंत्री बने हैं। इनमें से फडऩवीस और शिंदे महायुति के और ठाकरे एम.वी.ए. के साथ हैं। नवंबर 2019 से जून 2022 के बीच 2 साल और 214 दिनों को छोड़कर भाजपा 31 अक्तूबर 2014 से सत्ता में है, जब शिवसेना, कांग्रेस और एन.सी.पी. (एम.वी.ए.) का गठबंधन सत्ता में था। भाजपा ने शिवसेना और एन.सी.पी. में दलबदल करवाया, एम.वी.ए. सरकार को गिराया और अपनी गठबंधन सरकार (महायुति) स्थापित की।
मतदान 20 नवंबर, 2024 को है। मुझे शेक्सपियर के शब्दों में निहित एक सत्य याद आ रहा है ‘अच्छाई अक्सर उनकी हड्डियों के साथ दफन होती है।’ कोई भी अतीत के गौरव के लिए वोट नहीं करता। वर्तमान चुनाव इस बारे में है कि महाराष्ट्र आज खुद को कहां पाता है और इसका भविष्य क्या होगा।
अर्थव्यवस्था की स्थिति: जहां तक अर्थव्यवस्था का सवाल है, नि:संदेह यह कांग्रेस ही थी जिसने महाराष्ट्र को औद्योगिकीकरण में नंबर 1 स्थान पर पहुंचाया, लेकिन राज्य हाल के वर्षों में ‘विकास’ के विभिन्न मापदंडों पर पिछड़ गया है। आंकड़े खुद ही सब कुछ बयां कर रहे हैं।
बिगड़ती बेरोजगारी : युवा बेरोजगारी दर 10.8 प्रतिशत है। महिला बेरोजगारी दर 11.1 प्रतिशत है। महाराष्ट्र में अधिकांश रोजगार स्वरोजगार है। समय-समय पर विज्ञापित कुछ सरकारी नौकरियों के लिए लाखों आवेदक दौड़ते हैं। पुलिस कांस्टेबल/ ड्राइवर के 18,300 पदों और तलाटी (एक ग्राम अधिकारी) के 4,600 पदों के लिए 11 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया। महाराष्ट्र द्वारा लुभाए गए और राज्य में स्थापित होने के लिए सहमत होने के बाद, रोजगार सृजन करने वाले विश्व स्तरीय व्यवसायों को सत्ताधारियों द्वारा गुजरात में स्थानांतरित होने के लिए राजी किया गया है।
2022-23 2023-24
विकास दर 9.4 प्रतिशत 7.6 प्रतिशत
राजस्व घाटा 1936 करोड़ 19,531 करोड़
राजकोषीय घाटा 67,602 करोड़ 1,11,956 करोड़
पूंजीगत व्यय 85,657 करोड़ 85,292 करोड़
कृषि विकास 4.5 प्रतिशत 1.9 प्रतिशत
सेवा विकास 13 प्रतिशत 8.8 प्रतिशत
परिवहन, व्यापार, संचार विकास 13 प्रतिशत 6.6 प्रतिशत
निर्माण विकास 14.5 प्रतिशत 6.2 प्रतिशत
उदाहरण हैं टाटा-एयरबस परिवहन विमान कारखाना और वेदांता-फॉक्सकॉन सैमी-कंडक्टर कारखाना। शहर को विशेष कानूनों और विशेषाधिकारों के साथ जबरदस्ती बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि मुंबई को भारत की वाणिज्यिक राजधानी के रूप में उसका गौरव छीना जा सके।
घोर कुप्रबंधन : मैं 2 संदर्भों के साथ महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था की दयनीय स्थिति को स्पष्ट करना चाहता हूं। महाराष्ट्र में, जिसमें 4 अलग-अलग क्षेत्र हैं, जिलों के बीच एक चौड़ी खाई है। बहुत अमीर जिले मुंबई, पुणे और ठाणे हैं। दूसरी तरफ नादुरबार, वाशिम, गढ़चिरौली, यवतमाल, ङ्क्षहगोली और बुलढाणा जिले हैं। बहुत अमीर जिलों का शुद्ध जिला घरेलू उत्पाद (एन.डी.डी.पी.) बहुत गरीब जिलों के मुकाबले 3 गुना है। प्रति व्यक्ति एन.डी.डी.पी. में अंतर 2011-12 में 97,357 रुपए से बढ़कर 2022-23 में 2.4 लाख रुपए हो गया है। इसका मतलब है कि सरकार ने राज्य के न्यायसंगत विकास के प्रति घोर उपेक्षा दिखाई है।
एक और उदाहरण किसानों की दुर्दशा है। 2023 में, महाराष्ट्र में किसानों द्वारा आत्महत्या के 2,851 मामले दर्ज किए गए। प्याज पर केंद्र सरकार की नीति को ही लें। सबसे पहले, इसने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। विरोध के बाद, इसने प्रतिबंध हटा लिया लेकिन न्यूनतम निर्यात मूल्य और 40 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा दिया। डबल इंजन वाली सरकार का दावा खोखला है। पहला इंजन ट्रेन को गुजरात की ओर मोड़ रहा है और दूसरा इंजन बेकार है। महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था इतनी कीमती है कि इसे किसी भी हालत में नजरअंदाज या खोया नहीं जा सकता।-पी. चिदम्बरम