हिंदू-सिख एकता के ध्वजवाहक थे मदन लाल खुराना

punjabkesari.in Tuesday, Oct 30, 2018 - 05:46 AM (IST)

वरिष्ठ एवं अनुभवी भाजपा नेता तथा दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना, जिनका गत दिवस निधन हो गया, हिंदू-सिख एकता के महान समर्थक तथा निर्माता थे। आप्रेशन ब्लू स्टार के बाद हिंदू-सिख दंगों तथा पंजाब में आतंकवाद के काले दशक के दौरान खुराना जैसे  नेता ही थे जिन्होंने धार्मिक अवरोधों तथा विभाजनकारी राजनीति से ऊपर उठकर बुरी तरह से घायल सामाजिक संंबंधों को जरूरी उपचार तथा राहत उपलब्ध करवाई। 

यद्यपि, दुर्भाग्य से अन्य वरिष्ठ तथा वयोवृद्ध भाजपा नेताओं के विपरीत खुराना को पार्टी में घमंडी तथा स्व:-सदाचारी नेताओं ने राजनीतिक गुमनामी में धकेल दिया। सम्भवत: भाजपा के आधुनिक काल के नेताओं को अभी यह एहसास होना है कि खुराना के दिल्ली की राजनीति से बाहर होने के बाद भाजपा कभी भी दिल्ली में सत्ता में वापसी नहीं कर सकी और न ही शीघ्र भविष्य में ऐसा होने की कोई आशा है। पंजाब में शांति बहाल होने के बाद खुराना ने अनुभवी अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल के साथ करीब से काम किया और राज्य में अकाली-भाजपा गठबंधन की जोरदार वापसी के लिए अध्याय लिखा। 

लायलपुर में जन्मे, जो अब पाकिस्तान में है, खुराना एक पक्के पंजाबी थे। उनके निधन से पंजाब ने वास्तव में एक महान मित्र तथा भाजपा ने एक महान नेता खो दिया है जो इसके संस्थापक सदस्यों में से एक था। यह खुराना जैसे नेताओं का योगदान तथा बलिदान ही था कि भाजपा आज देश में सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन गई है। खुराना जैसे अन्य वरिष्ठ नेताओं को बेहतर के तौर पर मार्गदर्शक मंडल में डालने अथवा सबसे खराब स्थिति में राजनीतिक गुमनामी में धकेलने की बजाय बेहतर व्यवहार अपेक्षित है। खुराना, जो 1993 से 1996 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे, ने हवाला घोटाले के संंबंध में उठे विवाद के चलते इस्तीफा दे दिया था। मदन लाल खुराना अपने पीछे पत्नी, एक बेटा तथा दो बेटियां छोड़ गए हैं। उनके बेटे हरीश खुराना ने बताया कि उन्होंने दिल्ली के कीर्ति  नगर स्थित अपने आवास में रात लगभग 11 बजे अंतिम सांस ली। उन्होंने कहा कि उनके पिता गत कुछ दिनों से छाती के संक्रमण से पीड़ित थे और उन्हें बुखार था। हरीश खुराना ने बताया कि शनिवार सुबह से वह सांस लेने में कठिनाई महसूस कर रहे थे। 

15 अक्तूबर 1936 को जन्मे खुराना ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में संसदीय मामलों तथा पर्यटन मंत्री के तौर पर भी सेवाएं दीं। उन्हें जनवरी 2004 में राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। हालांकि उन्होंने पद से त्यागपत्र देकर अक्तूबर 2004 में सक्रिय राजनीति में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। चार बार सांसद रहे खुराना भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष भी रहे और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी थे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी खुराना के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वह एक आदर्श स्वयं सेवक, छात्र इकाई के एक निष्ठावान कार्यकत्र्ता थे और उन्हें जनसंघ तथा भाजपा के एक मजबूत स्तम्भ के तौर पर हमेशा याद रखा जाएगा।


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Pardeep

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