मशीनरी सेफ्टी स्टैंडर्ड्स : छोटे कारोबारियों पर नए नियम का बोझ
punjabkesari.in Wednesday, Oct 02, 2024 - 06:11 AM (IST)
पहले से ही नियमों के जटिल जाल से जूझ रही मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री पर केंद्रीय हैवी इंडस्ट्री मिनिस्टरी ने हाल ही में ‘मशीनरी एंड इलैक्ट्रिकल इक्विपमैंट सेफ्टी रैगुलेशन 2024’ जैसा एक और नया सख्त नियम थोप दिया है। भले ही नए सेफ्टी स्टैंडर्ड का उद्देश्य कारखानों में वैश्विक स्तर की सुरक्षा व्यवस्था लागू करना है, पर पहले से ही ऐसे कई कड़े नियम जमीनी स्तर पर कारगर ढंग से लागू होने की बजाय इंस्पैक्टरी राज को बढ़ावा देते हैं। ऐसे नियम देश के मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर, खास तौर पर माइक्रो, स्माल और मीडियम एन्ट्रप्राइजेज (एम.एस.एम.ईज) पर बड़ा बोझ हैं, जिन पर पहले से ही आई.एस.ओ. 9001 स्टैंडर्ड समेत 400 से अधिक नियमों के पालन का दबाव है।
नया नियम मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर की 50,000 से अधिक तरह की मशीनरी पर लागू होगा, जिनमें पंप, कंप्रैसर, क्रेन व ट्रांसफार्मर और स्विचगियर जैसे औद्योगिक उपकरण शामिल हैं। इन मशीनरी के निर्माताओं को ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बी.आई.एस.) द्वारा निर्धारित कठोर नियम का पालन करना होगा। अगले एक साल (अगस्त 2025) में इस नियम के तय स्टैंडर्ड को पूरा करने में ज्यादातर छोटे कारोबारी असमर्थ हैं क्योंकि पहले से ही वे सीमित संसाधनों में काम करते हैं। नए मशीनरी सेफ्टी स्टैंडर्ड के तहत सभी मशीनरी और बिजली उपकरण निर्माताओं को बी.आई.एस. रजिस्टर्ड स्टैंडर्ड मार्क सॢटफिकेट लेना होगा, जो तीन सेफ्टी स्टैंडर्ड टाइप ए, बी व सी द्वारा नियंत्रित होगा। टाइप ए स्टैंडर्ड में सभी मशीनरी के लिए सामान्य सुरक्षा दिशा-निर्देश हैं, वहीं टाइप बी में सुरक्षा जरूरतें शामिल की गई हैं, जबकि टाइप सी स्टैंडर्ड मशीन-संबंधी विशेष सुरक्षा दिशा-निर्देश हैं।
हालांकि यह नियम एक्सपोर्ट के लिए बनाई जाने वाली मशीनरी पर लागू नहीं होता लेकिन ज्यादातर कंपनियां डोमैस्टिक व एक्सपोर्ट बाजार के लिए मशीनें बनाती हैं, इसलिए उनके सभी मशीनरी उत्पादन पर बी.आई.एस. सर्टिफिकेशन लागू होगा। इस नियम से डोमैस्टिक प्रोडक्शन व इंपोर्ट दोनों के लिए बी.आई.एस. की अनुमति अनिवार्य किए जाने से मशीनरी व बिजली उपकरणों की सप्लाई पर असर पड़ सकता है।
वित्तीय एवं तकनीकी बोझ : भारत में करीब 1.5 लाख मशीनरी उत्पादकों में 90 प्रतिशत छोटे कारोबारी हैं, जिन्हें नए मशीनरी सेफ्टी स्टैंडर्ड से उत्पादन लागत में बढ़ौतरी का सामना करना होगा। इससे मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर की एक छोटी इकाई पर भी 50 हजार से लेकर 50 लाख रुपए का अतिरिक्त बोझ पडऩा तय है। इसमें सर्टिफिकेशन, सेफ्टी अपग्रेड, जोखिम मूल्यांकन, कर्मचारी प्रशिक्षण और मशीनरी को तय मानकों के मुताबिक बनाने के लिए तकनीकी जरूरतें शामिल हैं। आर्थिक चुनौतियों के अलावा कई छोटी फर्मों को टैक्नोलॉजी में मदद की जरूरत है, क्योंकि उन्हें नए सेफ्टी स्टैंडर्ड के मुताबिक उन्नत मशीनरी व टैक्नोलॉजी अपनाने के लिए उन्हें बड़े निवेश की जरूरत होगी।
असर : देश के मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर के लिए वित्त वर्ष 2023-24 में 25 बिलियन अमरीकी डॉलर की मशीनरी व बिजली उपकरणों में 39 प्रतिशत चीन से इंपोर्ट हुआ। नए नियम के तहत अब मशीनरी व बिजली उपकरणों के इंपोर्ट से पहले ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड की मंजूरी जरूरी होगी। मंजूरी के इंतजार में इंपोर्टेड मशीनरी सप्लाई चेन प्रभावित होने से औद्योगिक उत्पादन ठप्प हो सकता है।
समय सीमा बढ़ाई जाए : अगले एक साल के भीतर नए नियम का पालन करना कारोबारियों के लिए कड़ी चुनौती है। खासकर छोटे कारोबारियों को फंड व तकनीकी संसाधनों की कमी है। टाइप ए सेफ्टी स्टैंडर्ड लागू करने के लिए 3 साल, टाइप बी व सी स्टैंडर्ड के पालन के लिए 5 साल का समय दिया जाए। यूरोपीय व अन्य विकसित देशों में उद्योगों को सेफ्टी स्टैंडर्ड में बदलाव के लिए 5 से 7 साल का समय दिया जाता है। भारत में भी चिकित्सा उपकरणों पर सेफ्टी स्टैंडर्ड की स्वैच्छिक पंजीकरण से हुई शुरुआत बाद में उपकरणों के जोखिम के आधार पर जरूरी सेफ्टी स्टैंडर्ड के तौर पर लागू हुई।
आगे की राह : नए सेफ्टी स्टैंडर्ड लागू करने के लिए छोटे कारोबारियों को सबसिडी या कम ब्याज पर कर्ज मिले, ताकि वे नई टैक्नोलॉजी अपना सकें। छोटे कारोबारी जटिल नियमों को समझने में सक्षम नहीं होते, ऐसे में नए नियम की अहमियत और उनके पालन बारे उन्हें शिक्षित करने के लिए सरकार जागरूकता अभियान व ट्रेनिंग सैशन आयोजित करे। सेफ्टी स्टैंडर्ड लागू करने के लिए औद्योगिक संगठन भी तकनीकी पेशेवरों की मदद से कारोबारियों के लिए ट्रेनिंग सैशन कर सकते हैं। बी.आई.एस. सर्टिफिकेशन के लिए समॢपत हैल्पडैस्क स्थापित करना जरूरी है।
‘मशीनरी एंड इलैक्ट्रिकल इक्विपमैंट सेफ्टी रैगुलेशन 2024’ भारत के मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर में मशीनरी की सुरक्षा में सुधार की दिशा में एक जरूरी कदम है। हालांकि नए नियम के पालन में छोटे कारोबारियों के सामने कई चुनौतियां हैं, पर इन्हें लागू कराने के लिए सरकारी सहयोग इसलिए जरूरी है कि भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर की रीढ़ एम.एस.एम.ईज पर अनावश्यक बोझ न पड़े।(लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एवं प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन भी हैं)-डा. अमृत सागर मित्तल(वाइस चेयरमैन सोनालीका)