चन्द दिनों की लूट है, लूट सके तो लूट

punjabkesari.in Thursday, Dec 30, 2021 - 05:11 AM (IST)

पांच राज्यों में चुनावों की घोषणा हो चुकी है और केवल तिथि घोषित होनी अभी शेष है। किसी भी पार्टी को ओमिक्रॉन और कोरोना की कोई चिन्ता नहीं। नेताओं की रैलियों में हजारों नहीं, लाखों लोग एकत्र होते हैं, जिनमें से न तो कोई मास्क पहनता है और न ही 2 गज की दूरी रखता है। जनता की तो बात ही छोडि़ए, इनके जो नेता मंच पर विराजमान होते हैं, वे भी नियमों का पालन नहीं करते। 

बड़े-बड़े डॉक्टरों ने एक वर्ष पहले ही सरकारों व जनता को सचेत कर दिया था कि दिसम्बर 2021 में जो बीमारी आएगी, वह कोरोना से भयंकर होगी तथा भारत में भी इस बीमारी का प्रभाव कोरोना से बहुत अधिक होगा। अभी कुछ दिन पहले कुछ प्रान्तों की सरकारों ने रात का कफ्र्यू घोषित कर दिया, जबकि इन्होंने शायद सोचा कि दिन के समय ओमिक्रॉन इन नेताओं के डर से नहीं आएगा क्योंकि इन्होंने रैलियां करके भीड़ एकत्रित करनी है। 

पहले जब चुनाव आते थे तो नेता लोग जनता को अपनी उपलब्धियां बताते थे, जबकि सन् 2014 में उपलब्धियों के स्थान पर लोगों को लालची बनाने में इन नेताओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी। वर्ष 2014 में हमारे प्रधानमंत्री जी ने चुनाव जीतने के पश्चात् विदेशों से काला धन लाकर हर व्यक्ति को न केवल 15 लाख रुपए देने का लालच दिया, अपितु हर वर्ष 2 करोड़ लोगों को नौकरी देने का भी आश्वासन देकर चुनाव जीत लिया।

भाजपा के तत्कालीन प्रधान अमित शाह ने बाद में इसे एक जुमला करार दे दिया। अब 2022 में होने वाले चुनावों में कांग्र्रेस ने उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुए 12वीं पास छात्र-छात्राओं को मुफ्त में स्कूटी व स्मार्टफोन देने का वायदा करते हुए किसानों का कर्जा माफ करने का वायदा भी कर लिया क्योंकि कांग्रेस को पता है कि वह सत्ता में तो आने से रही लेकिन शेष पार्टियों के लिए इस वायदे से वोटों की जीत-हार में अन्तर तो रहेगा ही। 

उधर केजरीवाल ने भी उत्तर प्रदेश में लोगों को 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने का झांसा दे दिया और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी प्रत्येक परिवार को 300 यूनिट बिजली मुफ्त तथा सभी किसानों का कर्जा माफ व 10 लाख नौकरियां देने का जनता को लालच दिया। जबकि भाजपा ने पिछले चुनाव में उत्तर प्रदेश में 70 लाख नौकरियां देने का आश्वासन दिया था और वे नौकरियां 6 लाख 65 हजार तक सीमित रह गईं। योगी जी अपनी रैलियों में 6 लाख 65 हजार नौकरियों का वर्णन ऐसे करते हैं जैसे यह भी लोगों पर बहुत बड़ा एहसान कर दिया हो और इस बार भी 10वीं, 12वीं के छात्रों को मुफ्त लैपटॉप देने का वायदा कर रहे हैं। 

पंजाब में तो कांग्रेस नेता सरकारी माल को ऐसे उड़ा रहे हैं जैसे ये सब इनका पुश्तैनी कमाया हुआ धन हो। दूसरी तरफ अकाली दल भी पीछे नहीं रहा। उसने भी लोगोंं को 400 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वायदा कर लिया। सन् 2007 से 2017 तक अकाली दल व भाजपा की सरकार रहने के समय इन्हें मुफ्त बिजली देने की याद क्यों नहीं आई? इन्होंने अपने कार्यकाल में नशों और बेकारी की बाढ़ लगा दी। अनेक परिवार युवकों के नशे के कारण बर्बाद हो गए और लाखों युवक यहां बेरोजगारी के कारण विदेशों को चले गए। विदेशों में जब चुनाव होते हैं तो कोई भी पार्टी वहां की जनता से ऐसा कोई वायदा नहीं करती, जिसे सरकारी खजाने से पूरा किया जाए, मगर अपने देश के राजनीतिज्ञों ने जनता द्वारा दिए गए करों के धन की चुनाव में लूट लगा दी है। 

इस समय किसी भी पार्टी के किसी भी नेता ने जनता को यह आश्वासन नहीं दिया कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो वह पैट्रोल, डीजल, रसोई गैस के दाम कम कर देगा। दालें, सब्जियां, दूध के दाम घटा दिए जाएंगे ताकि गरीब जनता को आसानी से दो समय भोजन मिल सके। किसानों को 500 रुपए महीना देना या नीले-पीले कार्डों पर लोगों को राशन देना उनका उपहास उड़ाना है और इससे इन लोगों में बेकारी बढ़ती है क्योंकि इन्हें पता होता है अमुक तारीख को राशन भी आ जाएगा और बैंकों में पैसे भी। 

भाजपा से लोगों ने बहुत आशा लगाई थी, मगर इनके पास भी किसी प्रश्न का कोई भी उत्तर नहीं होता। इनके पास तो 2 ही उत्तर होते हैं- पहला यह कि 70 साल में क्या हुआ और दूसरा यह कि हम जनकल्याण योजनाएं ला रहे हैं जबकि जनता को कोई भी ऐसी योजना दिखाई नहीं देती जिससे आम परिवार कमाई करके आसानी से गुजारा कर सके।  

चुनावों के समय हर राजनीतिज्ञ कहता है कि वह जनसेवा करेगा, जबकि चुनावों के पश्चात इनसे मिलना ही कठिन हो जाता है। यह कैसा देश है जहां नौकरीपेशा लोगों की सन 2004 से पैंशन बन्द कर दी गई है, जबकि एक नेता जितनी बार चुनाव जीतता है उतनी बार उसे आयुपर्यन्त पैंशन व अन्य सरकारी सुविधाएं मिलती रहती हैं।-जे.के. आनन्द
 


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