जीवन एक उत्सव, इसे मनाने का आनंद ही कुछ और है

punjabkesari.in Saturday, Jan 22, 2022 - 05:59 AM (IST)

अमरीका में साल में एक दिन जीवन के प्रति धन्यवाद प्रकट करने के लिए आभार दिवस मनाया जाता है। असल में राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने गर्भपात की समस्या के प्रति मानवीय और संवेदनशील रुख अपनाने और नवजात या अजन्मे बच्चे के प्रति आभार प्रकट करने के इरादे से इस दिन को हर साल मनाए जाने की शुरूआत की थी। 

उद्देश्य यह था कि अबोध शिशुओं, बचपन की देहरी  पर कदम रखती संतानों और परिवार की परिधि में आने वाले सभी बच्चों के साथ कुछ समय व्यतीत करने की परंपरा डाली जाए। अपने जीवन में घटी घटनाओं से परिचित कराने के लिए उनके साथ वक्त बिताया जाए कि कैसे उन्होंने मेहनत और ईमानदारी तथा अपनी बुद्धि से कठिन परिस्थितियों का सामना किया। इसके साथ ही उनके साथ खेलने, गीत गुनगुनाने और बाल सुलभ शरारतों में शामिल होने से यह याद किया जाए कि कभी वे भी बच्चे थे। 

बचपन का सम्मान : हमारे देश में ऐसा कोई दिन या परंपरा नहीं है कि संतान को लेकर जिंदगी का शुक्रिया किया जाए। समझने की जरूरत यह है कि यह कहना कि बच्चे देश का भविष्य हैं, इसके स्थान पर उनके बचपन को आदर की दृष्टि से देखने की शुरूआत ही हो जाए तो यह बहुत बड़ा योगदान होगा। इसी बात को पक्का कर लें कि किसी का बचपन भिखारी की तरह या मजदूरी करते हुए नहीं, बल्कि पढ़ाई-लिखाई और खेलकूद में बीतेगा। 

इसके लिए केवल सरकार की तरफ से नहीं बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के स्तर पर सोचने की आवश्यकता इसलिए है कि जब बच्चों का बचपन लौटाने की बात आती है तो सबसे पहले हमें अपनी सेवा चाकरी में लगे 5 से 15 वर्ष तक के लड़के-लड़कियों के बिना जिंदगी कैसे चलेगी, यह बात महत्वपूर्ण हो जाती है। हम उनके लिए शिक्षा की जरूरत को महसूस करना तो दूर, उनका ध्यान पढऩे-लिखने की आेर से हटाए रखने की पूरी कोशिश करते हैं। 

जीवन पर एहसान : जीवन जीना स्वयं में एक चुनौती है। उतार-चढ़ाव, सुख-दुख और परेशानियां तथा उलझनें आती-जाती रहती हैं। इन्हें स्थायी या हमेशा के लिए बने रहने पर ध्यान देने की बजाय सहज भाव से स्वीकार कर लिया जाए तो यह अपने ऊपर एक तरह से उपकार होगा। कई बार ऐसा होता है कि हमें बहुत-सी वस्तुओं से मोह हो जाता है और उनसे बिछुडऩे का विचार आते ही मानसिक तनाव होने लगता है जो अक्सर शारीरिक बीमारियों के रूप में भी दिखाई देता है। व्यक्ति दिन-प्रतिदिन इसी सोच में घुलता रहता है कि कल यदि यह मेरे पास न रहा तो कैसे जिया जाएगा या अगर मेरे पास वह नहीं रहा जो अब तक मेरा था तो मैं कैसे अपने मन को समझा पाऊंगा? 

यह कहना बहुत आसान है कि समय के साथ बहुत कुछ बदलता रहता है। जो था वह नहीं रहा तो उसका विषाद या निराशा क्यों? जो है उसके प्रति शुक्रिया करने और जो नहीं रहा उसके प्रति मन में मोह रखने का लाभ ही क्या? जो नहीं रहा वह तो मिलने या वापस आने से रहा, हां यदि उसे भुलाकर कुछ नया हासिल करने पर ध्यान दिया जाए तो अवश्य ही मन को खुश रखने का एक अवसर मिल जाएगा। मेरे पास क्या था, इसके स्थान पर मेरे अधिकार में क्या है, यह ध्यान रखा जाए तो जो नहीं रहा, उसके कारण हो रहे मानसिक तनाव और मन में चल रही लड़ाई पर जीत हासिल की जा सकती है। इसका मतलब यह है कि मन को स्वस्थ और जो नहीं रहा उसकी चिंता से मुक्त रखकर ही जीवन जिया जा सकता है। 

भावनाओं का अस्तित्व : देखा जाए तो हमारी सोच, भावनाओं और उनसे पैदा होने वाली मानसिक स्थिति का कोई अस्तित्व नहीं है, यह केवल एक काल्पनिक उड़ान है जिस पर काबू न रहे तो जीवन मुश्किल लगने लगता है। आत्मघाती कदम उठाने को भी मन करता है। जो है ही नहीं उस पर सोचते रहने का परिणाम हमेशा दुखद ही निकलता है। इसलिए बेहतर यही है कि जीवन में जो अभी हमारे पास है, उसका आभार मानने के सिद्धांत को अपना लिया जाए तो जिंदगी बिना किसी दबाव या तनाव के जी जा सकती है। जीवन का प्रत्येक क्षण एक उत्सव है, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारे पास क्या था, क्या है और क्या नहीं है, यह सब जीवन को भटकाने के अनेक प्रकार हैं और जो इनके कारण भटक गया वह कभी जीवन का आनंद नहीं उठा सकता । 

प्रकृति ने हमें जो दिया, उसे भूलकर जब व्यक्ति यह सोच कर सुखी या दुखी होता है कि यह मैंने कमाया इसलिए सदा मेरा ही रहने वाला है। जब इसमें कुछ कमी या बढ़ौतरी होती है तो यह उसके खुश रहने या अफसोस करने का कारण बनता है। यही मानसिक स्थिति ही असल में जिंदगी को आसान या मुश्किल बनाती है। 

जीवन आभार दिवस : वैसे तो हर दिन जीवन का आभार प्रकट करना चाहिए लेकिन व्यस्तता और आगे बढऩे की दौड़ में पिछडऩे के डर के कारण हर रोज संभव न हो तो कम से कम महीने में एक दिन तो जिंदगी का शुक्रिया करने का मौका तलाशिए। 

अपनी आत्मा में झांकने का अवसर निकालिए, अपने आप को सैलीब्रेट कीजिए, जिस बात से मन खुश होता हो या जो चीज अच्छी लगती हो, चाहे वह किसी विशेष अवसर पर पहनने के लिए अलमारी में रखे वस्त्र हों, किसी काल्पनिक मेहमान के आने पर इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन या क्रॉकरी हो, विशेष अवसर पर पकाए जाने वाले पकवान हों या फिर वैसे ही बिना किसी मतलब के किसी जगह जाने का मन हो अथवा पुराने दोस्त से बात करने की इच्छा हो तो उसे तुरंत कर लीजिए, टालिए मत क्योंकि जो खुशी का क्षण इस वक्त आपने गंवा दिया, वह लौटकर आने वाला नहीं है, यह बात सत्य मानकर जीवन का शुक्रिया कीजिए ताकि लगे कि वास्तव में जीवित हैं।-पूरन चंद सरीन
 


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