धुएं में उड़ता जीवन

punjabkesari.in Monday, Apr 03, 2023 - 06:18 AM (IST)

हाल ही में यात्रा करते समय मैंने भारत के 2 प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर सिगरेट बेचने वाले बूथ देखे। हालांकि सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान आधिकारिक तौर पर प्रतिबंधित है। मुझे कुछ महीने पहले की एक घटना याद आई। उस दिन काम पर जाने के दौरान मैं एक कार में बैठी एक युवा लड़की के पास से गुजरी जिस पर 2 पुलिस कर्मियों द्वारा कथित रूप से सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान करने के लिए जुर्माना लगाया जा रहा था। वह घबराई हुई लग रही थी, इसलिए मैं यह पूछने के लिए रुक गई कि क्या यह सब ठीक है? 

जल्द ही हमारे चारों ओर भीड़ जमा हो गई और इस बात पर जीवंत बहस छिड़ गई कि क्या किसी की कार सार्वजनिक स्थान है। उस दिन मेरी सीख यह थी कि एक निजी कार जब घर से बाहर निकल जाती है और विशेष रूप से उसकी खिड़कियां खुली होती हैं तो उसे सार्वजनिक स्थल समझा जाता है। यह ध्यान देने योग्य था कि कैसे कालेज के छात्र जो कमाई भी नहीं कर रहे हैं उन्हें सिगरेट जलाने के लिए जुर्माना देना पड़ता है, जबकि तम्बाकू कम्पनियां सार्वजनिक स्थानों पर बिना किसी प्रतिकूल परिणाम के तम्बाकू की बिक्री में शामिल हो सकती हैं। 

शक्तिशाली तम्बाकू लॉबी ने अपने लिए एक बहुत बड़ा बाजार तैयार कर लिया है। विज्ञापनों पर करोड़ों खर्च कर लोगों में यह धारणा पैदा की गई है कि नशे की लत (धूम्रपान) किस तरह शांत और स्मार्ट है। आज दुनिया की आबादी का लगभग 8वां हिस्सा यानी कि 1.3 बिलियन लोग तम्बाकू का प्रयोग करते हैं और इनमें से एक बड़ी संख्या (80 प्रतिशत) मध्यम से निम्न आय वाले देशों में रहती है। सिगरेट की बिक्री अभूतपूर्व रूप से बढ़ गई है। ये वर्तमान में करीब 6 ट्रिलियन सिगरेट हैं। फेफड़े के कैंसर की बढ़ती दर 20वीं शताब्दी की शुरूआत में दुर्लभ घटना है। फेफड़े, हृदय और रक्त वाहिकाएं सांस के साथ अंदर जाने वाले तम्बाकू के धुएं के प्रभाव के प्रति बहुत संवेदनशील होती हैं जिसमें हानिकारक रसायन जैसे निकोटीन और टार इत्यादि होते हैं। 

धूम्रपान आंखों जैसे अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है। फेफड़ों के अलावा कई अंगों में भी कैंसर का कारण बनता है और मधुमेह के विकास की प्रवृत्ति को बढ़ाता है। एक वर्ष में लगभग 8 मिलियन मौतें तम्बाकू के कारण होती हैं। भारत जैसा देश उत्तर-पश्चिम में कैंसर में तेजी से बढ़ रहा है और दुनिया की मधुमेह राजधानी के रूप में भी जाना जाता है। वर्तमान में भारत चीन के बाद तम्बाकू उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है जिसमें 267 मिलियन वयस्क तम्बाकू के विभिन्न रूपों का उपयोग करते हैं। 

सिगरेट की बिक्री को जोर-शोर से बढ़ावा देने के साथ 20वीं सदी के मध्य में तम्बाकू कम्पनियों ने फेफड़ों के कैंसर और धूम्रपान के बीच संबंध दिखाने वाले वैज्ञानिक अनुसंधान से निकली जानकारी को सक्रिय रूप से दबा दिया। तम्बाकू उद्योग पर शिकंजा नहीं कसा गया है। यह उत्पाद अभी भी स्वतंत्र रूप से बेचा जाता है, हालांकि एक चेतावनी छपी हुई है कि धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। पारंपरिक धूम्रपान के तथाकथित विकल्प जैसे ई सिगेरट भी हानिकारक है क्योंकि उसके वाष्प में भी निकोटीन और अन्य जहरीले रसायन होते हैं और वह नियमित सिगरेट की तरह ही नशे की लत लगा सकती है।-अंजलि मेहता


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