विपक्षी एकता के साथ कुमारस्वामी ने सिद्ध किया बहुमत

Saturday, May 26, 2018 - 01:52 AM (IST)

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 12 मई को मतदान हुआ तथा 15 मई को आए नतीजों में 104 सीटें जीत कर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी जबकि कांग्रेस 78 और जद (एस) 37 सीटों पर ही जीत पाईं। 

कांग्रेस व जद (एस) ने चुनाव पश्चात गठबंधन और जद नेता कुमारस्वामी को भावी मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार करके 16 मई को सरकार बनाने का दावा पेश किया था परंतु राज्यपाल वजुभाई वाला ने भाजपा के येद्दियुरप्पा को ही सरकार बनाने का निमंत्रण दिया। इसके अनुसार येद्दियुरप्पा द्वारा 18 मई को शपथ ग्रहण और 15 दिन में बहुमत सिद्ध करना तय हुआ जिसे उसी समय कांग्रेस और जद (एस) ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। 

इस पर 18 मई को आपात सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल का 15 दिन में बहुमत सिद्ध करने का आदेश पलट कर 19 मई को ही बहुमत सिद्ध करने का येद्दियुरप्पा को आदेश दिया परंतु शक्ति परीक्षण से पहले ही येद्दियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया और वह सिर्फ अढ़ाई दिन के ही मुख्यमंत्री सिद्ध हुए। इसके बाद राज्यपाल ने कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया तथा मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के लिए 23 मई और बहुमत सिद्ध करने के लिए 25 मई का दिन निश्चित हुआ। 

कुमारस्वामी ने शपथ ग्रहण से पूर्व निजी रूप से नई दिल्ली में सोनिया और राहुल गांधी सहित विपक्षी नेताओं से मिलकर उन्हें शपथ ग्रहण में आने का न्यौता दिया और जिनसे नहीं मिल सके उन्हें फोन करके निमंत्रित किया। 23 मई को सुबह कुमारस्वामी ने चामुंडी हिल स्थित मां चामुंडी के दर्शनों के पश्चात विधान सौध के सामने शाम 4.30 बजे सम्पन्न समारोह में देश के विरोधी दलों के अधिकांश नेताओं की उपस्थिति में दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की तथा कांग्रेस के जी. परमेश्वर ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। इस शपथ ग्रहण के विरोध में भाजपा द्वारा राज्यभर में काला दिवस मनाया और रैलियां, विरोध प्रदर्शन तथा विरोध मार्च किए गए। 

कर्नाटक में जद (एस)-कांग्रेस के बहुमत प्रदर्शन से पूर्व भाजपा ने नए विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव की रेस में शामिल होने की बात कह कर कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन का तनाव बढ़ाने की कोशिश की परंतु अचानक 25 मई को सदन की कार्रवाई शुरू होने पर भाजपा के विधानसभा अध्यक्ष पद की रेस से हट जाने पर कांग्रेस के विधायक रमेश कुमार को विधानसभा अध्यक्ष चुन लिया गया जो इस दिन की जद (एस)-कांग्रेस सरकार की पहली सफलता थी। फिर भाजपा विधायकों के बहिर्गमन के बीच राज्य विधानसभा में ध्वनिमत से कुमारस्वामी ने फ्लोर टैस्ट भी पास कर लिया जिसे एक दिन के भीतर जद (एस)-कांग्रेस की दूसरी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। 

कुमारस्वामी ने कहा कि 2006 में जद (एस) और भाजपा का गठबंधन जद (एस) के प्रमुख और उनके पिता एच.डी. देवेगौड़ा पर एक धब्बा है जिसे उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन करके अब धो दिया है। इसके साथ ही उन्होंने किसानों का ऋण माफ करने के लिए भी प्रतिबद्धता जताई और कहा कि राज्य में गठबंधन सरकार 5 साल का कार्यकाल पूरा करेगी। जद (एस)-कांग्रेस सरकार ने बहुमत सिद्ध करने के बाद अभी शासन की ओर कदम बढ़ाया भी नहीं है परंतु भाजपा ने इसके विरुद्ध आक्रामक रुख अपना लिया है और येद्दियुरप्पा ने विधानसभा से बाहर आने के बाद कहा कि यदि मुख्यमंत्री कुमारस्वामी किसानों का कर्ज माफ नहीं करते हैं तो वह 28 मई को राज्य में बंद का आह्वïान करेंगे। 

कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी नेताओं की इतनी बड़ी संख्या में उपस्थिति अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा विरोधी एक मंच के गठन की शुरूआत के रूप में देखी जा रही है। कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन ने देश में भाजपा विरोधी विपक्षी दलों की एकता के प्रयासों को गति और 2019 के आम चुनाव से पहले भाजपा को विपक्षी एकता का संदेश दिया है। यह एकता किस हद तक होती है यह भविष्य के गर्भ में है परंतु सभी विपक्षी नेता अपने अंतॢवरोधों के बावजूद एक मंच पर आए हैं जिसे भाजपा हल्के में नहीं ले सकती।—विजय कुमार 

Pardeep

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