खेती को लाभदायक बनाने का हाईटैक समाधान ‘किसान ड्रोन’

punjabkesari.in Wednesday, Jan 31, 2024 - 05:47 AM (IST)

पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में जहां ड्रग्स व हथियार बरसाते पाकिस्तानी ड्रोन बड़ी परेशानी का कारण हैं वहीं कृषि क्षेत्र में ड्रोन एक नई क्रांति के लिए तैयार हैं। बरनाला के गांव सेखा की दसवीं पास किरणपाल जो कभी हवाई जहाज में नहीं बैठी,अब एक ट्रेंड ड्रोन पायलट हैं। वह इलाके के किसानों को किराए पर दिए अपने ड्रोन से खाद व कीटनाशकों का छिड़काव करने जाती हैं। इतना ही नहीं फसलों को नुकसान का जायजा भी वह ड्रोन से करती हैं। मानव रहित हवाई वाहन (यू.ए.वी) यानी ड्रोन खेती को अधिक बेहतर व लाभदायक बनाने का हाईटैक समाधान है। 

इतना ही नहीं ग्रामीण इलाकों की महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों यानी सैल्फ हैल्प ग्रुप (एस.एच.जी)को आर्थिक निर्भर बनाने में भी ड्रोन कारगर हथियार साबित हो सकता है। बीते दिसंबर 2023 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई रियायती स्कीम ‘नमो ड्रोन दीदी’ के तहत 2024 से 2026 तक 1261 करोड़ रुपए से 15,000 सैल्फ हैल्प ग्रुप से जुड़ी हजारों महिलाओं को ट्रेंनिंग के साथ ‘किसान ड्रोन’ से लैस करने का लक्ष्य है। बरनाला की किरण पाल पंजाब की उन 22 महिलाओं में से एक है जिन्हें पहले बैच में देशभर के 300 सैल्फ हैल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाओं में शामिल किया गया।  

भावनाएं : हालांकि एक हाईटैक कृषि ड्रोन की कीमत करीब 15 लाख रुपए होने की वजह से यह ज्यादातर किसानों की पहुंच से दूर है पर सरकार ने इस पर 4 से 8 लाख रुपए सबसिडी व ऋण के तौर पर बाकी रकम पर ब्याज में भी 3 प्रतिशत छूट की पेशकश की है। इस पहल से अगले 5 साल में 25 प्रतिशत की वाॢषक औसत दर की बढ़ौतरी के साथ भारतीय कृषि ड्रोन बाजार सालाना 30,000 करोड़ रुपए का होने का अनुमान है। 

वहीं कृषि ड्रोन का वैश्विक बाजार 31 प्रतिशत वाॢषक बढ़ौतरी दर से 2026 तक 4.7 बिलियन अमरीकी डॉलर होने की संभावना है। खेतों की मैपिंग,ऑटोमैटिक बिजाई,खाद व कीटनाशकों के छिड़काव,फसलों के सर्वे और उनकी हाईटैक फोटोग्रॉफी ने आने वाले समय में कृषि ड्रोन के बाजार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। कृषि ड्रोन टैक्नोलॉजी खेतों में सिंचाई के लिए पानी, खाद व कीटनाशकों जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों की बर्बादी कम करने में भी सहायक है। 

रिमोट सैंसिंग व फसलों की निगरानी अधिक उपज और मुनाफा के लिए फसलों के स्वास्थ्य की असरदार निगरानी महत्वपूर्ण है। ‘हाइपरस्पैक्ट्रल इमेजिंग’ तकनीक से लैस ड्रोन के उपयोग से फसलों के स्वास्थ्य को समझने के पुराने तौर-तरीके में क्रांतिकारी बदलाव आया है। हाल ही में हुए एक शोध से पता चला है कि ड्रोन पारंपरिक निगरानी तरीकों की तुलना में दो हफ्ते पहले ही कीटों के संक्रमण का पता लगने से 30 प्रतिशत फसल को खराब होने से बचाया जा सकता है। 

सटीक फसल प्रबंधन : कृषि उत्पादन व पर्यावरण की संभाल के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है। रसायनों के अधिक उपयोग व पानी की कमी से पर्यावरण को नुकसान एक गंभीर चिंता का विषय है। पानी की जरूरत वाले क्षेत्रों की सटीक पहचान करके ड्रोन पर्यावरण की समस्या को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। पानी के उपयोग को 25 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है जिससे टिकाऊ कृषि को बढ़ावा मिलेगा। ड्रोन खाद और कीटनाशकों के प्रयोग बारे भी सटीक जानकारी देते हैं। ड्रोन द्वारा जुटाए गए डाटा की मदद से 26 प्रतिशत तक खाद का उपयोग घटने से न केवल किसानों की लागत घटेगी बल्कि पर्यावरण की संभाल के साथ खेती को और अधिक टिकाऊ बनाया जा सकता है। 

कुशल स्काऊटिंग : भारत के विशाल भौगोलिक विस्तार को देखते हुए, दूर-दराज पहाड़ी इलाकों में स्थित दुर्गम खेतों की निगरानी एक बड़ी चुनौती है। ऐसे इलाकों में खेतों की निगरानी में घंटों लगाने वाले किसानों का काम ड्रोन कुछ ही मिनटों में कर देते हैं। 200 एकड़ को सिर्फ 30 मिनट में कवर करके ड्रोन से समय पर सटीक डाटा मिलता है। देश के 68 प्रतिशत छोटे किसानों की फसलों को कीड़ों के संक्रमण से होने वाले नुकसान से बचने के लिए सक्षम बनाता है। इफको द्वारा किए गए प्रयोग  के मुताबिक ‘एक एकड़ में खाद या कीटनाशकों का छिड़काव करने में एक आदमी को 4 से 6 घंटे लगते हैं जबकि ड्रोन एक एकड़ में 8 से 10 मिनट में छिड़काव कर देता है।’ 

डाटा संचालित रणनीति : आज हम एक ऐसे युग में हैं जहां डाटा-संचालित नीतियां अपवाद नहीं बल्कि कृषि की गति बनाए रखने के लिए नियम बन गया है ड्रोन व्यापक डाटासैट तैयार करते हैं जो फसलों के स्वास्थ्य उनके विकास पैटर्न पर गहराई से नजर रखते हैं। उदाहरण के लिए एक किसान अब ड्रोन द्वारा जुटाए गए डाटा के आधार पर कम रकबे में गन्ने की अधिक बुआई से 10 प्रतिशत तक अधिक पैदावार पा सकता है। 

बचत : कृषि क्षेत्र में जहां किसानों का लाभ घटता जा रहा है, ड्रोन फसलों पर लागत को घटाने में असरदार साबित हो सकता है। संभावित समस्याओं का जल्दी पता लगने से खर्च घटाया जा सकता है। ड्रोन डाटा की मदद से फसलों संबंधी समस्याएं पैदा होने से पहले जरूरी कदम उठाकर महंगे खर्च से बचा जा सकता है। 

मौसम का पूर्वानुमान : अच्छी उपज के लिए अनुकूल मौसम बहुत महत्वपूर्ण है। भारत में जहां मानसून किसानों के लिए वरदान है वहीं कई बार बाढ़ के रूप में यह किसानों का बड़ा दुश्मन भी बन जाता है। मौसम निगरानी तकनीक से लैस ड्रोन मौसम बारे सटीक डाटा देते हैं। यह जानकारी कृषि कार्यों की योजना बनाने और बदलते मौसम अनुसार फसलों की बुआई, सिंचाई और कटाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 

निचोड़ :  कृषि को सटीक, टिकाऊ व लाभदायक बनाने के लिए सरकार द्वारा ड्रोन टैक्नोलॉजी को खेती का अभिन्न अंग बनाने की तैयारी है। ड्रोन की मदद से जहां खाद व कीटनाशकों की खपत घटने से सरकार को सबसिडी में बचत होगी वहीं इस बचत से सरकार ड्रोन की 80 प्रतिशत कीमत चुकाकर बड़े पैमाने पर छोटे किसानों को भी सस्ती ड्रोन टैक्नोलॉजी से जोड़ सकती है। पारंपरिक कृषि विशेषज्ञता का ड्रोन जैसी उन्नत तकनीक से तालमेल बैठा कर किसान सुखद, समृद्ध भविष्य की उम्मीद कर सकते हैं। (लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एवं प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन भी हैं)-डा. अमृत सागर मित्तल(वाइस चेयरमैन सोनालीका)


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