केजरीवाल की ‘पंजाब की सुरक्षा’ वाली गारंटी बहुत अहम

Sunday, Dec 26, 2021 - 04:23 AM (IST)

आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल द्वारा पंजाब को सुरक्षा की गारंटी देना राज्य से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए सबसे बड़ा उपाय कहा जा सकता है। पंजाब सुरक्षित नहीं है। पंजाब खडग़ भुजा तो है मगर समय के शासकों ने इसे दिनों-दिन कमजोर किया है। अभी दो दिन पहले लुधियाना में बम फटा। केजरीवाल द्वारा गारंटी सुरक्षा देने वाला वायदा पंजाब के लिए बहुत बड़ी घोषणा है मगर वह पुलिस तंत्र में राजनीतिक दखलअंदाजी बंद करने की गारंटी देते हैं क्योंकि यह भी सुरक्षा का मामला ही है। सीमा पार से ड्रोन हमलों बारे पंजाब की सुरक्षा यकीनी बनाए जाने की गारंटी भी केजरीवाल देते हैं। 

पुलिस अधिकारियों की बदलियों में रिश्वतें पंजाब को सुरक्षा के पहलू से और कमजोर करती हैं। केजरीवाल कहते हैं कि वह इन पर लगाम लगाएंगे। गुरु घरों तथा अन्य धार्मिक स्थानों की सुरक्षा के लिए स्पैशल फोर्स बनाए जाने की गारंटी पंजाब के लिए बहुत अहम है क्योंकि आज पंजाब का समाज असुरक्षित महसूस कर रहा है। सुरक्षा पंजाब का सबसे बड़ा मुद्दा है और केजरीवाल ने सुरक्षा की गारंटी से पंजाब का दिल जीत लिया है। 

हम पंजाबियों को इस बार नेताओं के भाषणों, वायदों तथा दावों में पंजाब का विजन देखना चाहिए। हमने देखा है कि किसान संघर्ष के दौरान आम पंजाबी की सोच विशाल हुई है तथा उसने जागते होने का सबूत भी दिया। संघर्ष के दौरान एकजुटता देखी/महसूस की गई। पहले विभाजनकारी ताकतों के आगे हम कमजोर थे मगर अब आकर सामने अड़ कर खड़े होने के काबिल हुए हैं। मगर हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि समाज विरोधी शक्तियां सिर उठाती ही रहती हैं और लोगों को संवेदनशील मुद्दों पर भड़काने/इस्तेमाल करने से भी गुरेज नहीं करतीं। लिहाजा पंजाबी बंदे का जागते रहना बहुत लाजिमी है। फिर जो राजनीतिक पक्ष हैं, उन्हें भी जगा कर रखना जरूरी है क्योंकि जब तक हम उनके मंसूबों की निशानदेही नहीं कर लेते, हमारे हाथ से कभी भी डोर छूट सकती है। 

इन विचारों की रोशनी में हम आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भाषा, विचार, पंजाब के प्रति पहुंच, जागृति अवस्था, पंजाब के मसलों की थाह पाने का विजन समझने की कोशिश करें तो दावा वह कैसे भी कर रहे हों मगर पंजाब के मसलों की समझ बारे कोई दोराय नहीं नहीं बनाई जा सकती। जब वह पंजाब को सुरक्षा की गारंटी की बात कर रहे हैं तो आप बाकी लीडरों के बार-बार यही रट लगाए रखने कि पंजाब सीमांत राज्य है, यहां हमेशा खतरा है, मगर कुछ भी ऐसा न करने की आदत, जिससे सुरक्षा बढ़ाई जा सके, हमारे सब के सामने है। 

केजरीवाल यदि सुरक्षा की बात करते हैं तो पंजाबी इस मामले में भुगत रहे हैं, यह कौन नहीं जानता? अभी दो दिन पहले तो लुधियाना के अदालत परिसर में बम धमाका पंजाबियों ने झेला है। पठानकोट एयरबेस वाला बम, जालन्धर मकसूदा थाने पर हमला, पटियाला वाला धमाका, टिफिन बम भी झेल लिए। फिर सुरक्षा की बात करने वाला इसका भाव भी समझ आता है और पंजाब की सरकार की आंतरिक हालत भी। वह चाहे कैप्टन की ताकत का पहरा हो, प्रकाश सिंह बादल का या चरणजीत सिंह चन्नी का, हालत हर समय एक जैसी ही रही है। यह मसला बहुत गंभीर है। केजरीवाल ने इसकी ओर ध्यान दिया है, पंजाबी मन को पढ़ा है। 

इस बात का अगला पहलू भी विचार करने वाला है कि उन्होंने कहा है कि पुलिस में राजनीतिक दखलअंदाजी बंद कर देंगे। यह भी बहुत महत्वपूर्ण पहलू है। बेअदबी के मामलों में हमने क्या नहीं देखा। ड्रग्स मामलों में क्या नहीं किया जा रहा? सारा पंजाब देख रहा है लेकिन कोई कह नहीं रहा। केजरीवाल का कहना ही बड़ी बात है। हम पहले मसलों की निशानदेही तो करें, फिर हिसाब भी पूछेंगे कि कौन-सी पार्टी किस मसले का समाधान कर रही है? हमें स्पष्ट तस्वीर ही नहीं दिखाई जा रही। यह तस्वीर दिखाना इस समय बहुत जरूरी है। 

केजरीवाल दरअसल यह तस्वीर ही दिखा रहे हैं  मगर जब वह ऐसी तस्वीर के बदलने की गारंटी की बात करते हैं तो हमें फिर साफ हो जाना चाहिए कि उनको पंजाबी में सवाल करने वाला भी होगा। हम पूछने वाले बनेंगे कि आपने इस बात की गारंटी दी थी। यह ‘गारंटी’ शब्द दरअसल बहुत भयानक है। यह सभी पार्टियों को बांधने वाला एक तरह का बाण ही है। पाॢटयां इस शिकंजे में कस कर घबराएंगी। उनको उत्तर नहीं मिलने। हमारा मानना है कि केजरीवाल पंजाबियों को उनके ही मुद्दे दे रहे हैं जो उन्होंने चुनावों के दौरान वोट मांगने वाले आने वाले नेताओं से पूछने हैं। 

ऐसे ही उन्होंने सीमा पार की देश विरोधी ताकतों को भी ललकारा है। हम जब सुरक्षा की बात करते हैं तो हमारे नेता आसानी से ही कह देते हैं कि यह सब सीमा पार की ताकतों का ही किया-धरा है। मगर कोई यह नहीं कहता कि सीमा पार की विरोधी ताकतों को नकेल डालने की जिम्मेदारी किसकी है? यह तो सरकारों को ही करना होता है। लोग इस मामले में क्या कर सकते हैं। फिर सरकारें किसी विरोधी द्वारा की गई उंगली के जवाब में कलाई नहीं उतार देतीं। मगर इसके लिए राजनीतिक इरादे, इच्छा शक्ति की जरूरत होती है। इनके पास न विजन है और न इच्छा शक्ति। 

फिर केजरीवाल ने बेअदबी के मामलों को लेकर सभी धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए स्पैशल पुलिस फोर्स के गठन की गारंटी भी दी है। इन मामलों ने 2015 से ही हमारी सांसें रोक रखी हैं। लोग कभी भी उकसाहट में आकर कोई भी कदम उठा सकते हैं। सरकारों को चाहिए कि इन मामलों की संवेदना समझें। हमारे लोगों को भी चाहिए कि सांत्वना तथा धीरज से काम लें और सामाजिक भाईचारा कायम रखें।-दीपक बाली(सलाहकार, कला, साहित्य तथा भाषाएं, दिल्ली सरकार)

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