कर्नाटक का स्कूल जहां छात्रों से साफ करवाया गया मानव मल का गटर

punjabkesari.in Wednesday, Dec 20, 2023 - 05:11 AM (IST)

छुआछूत और जाति आधारित भेदभाव मिटाने के लिए स्वामी दयानंद, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी तथा अन्य महापुरुषों ने अनथक प्रयास किए, परंतु स्वतंत्रता के 76 वर्ष बाद भी देश में अनेक स्थानों पर दलितों के साथ भेदभाव और अमानवीय व्यवहार जारी है। 

इसका नवीनतम उदाहरण बेंगलुरू (कर्नाटक) के ‘कोलाक’ में सामने आया है जहां ‘मोरारजी देसाई आवासीय विद्यालय’ में दलित भाईचारे से सम्बन्धित बच्चों को पढ़ाने की बजाय उन्हें स्कूल के सैप्टिक टैंक में उतर कर अपने नन्हे हाथों से मल-मूत्र के गड्ढे साफ करने के लिए विवश किए जाने का एक वीडियो सामने आया है। एक टीचर द्वारा बनाए गए इस घटना के वीडियो में सातवीं से नौवीं कक्षा में पढऩे वाले 5-6 छात्रों से स्कूल की प्रिसिंपल की मौजूदगी में शौचालय और मल-मूत्र के गड्ढे की सफाई कराई जा रही थी। यह इस तरह की अकेली घटना नहीं है। 

अभी कुछ ही समय पूर्व उत्तराखंड में पौड़ी जिले के लालढांग क्षेत्र में ‘राजकीय माध्यमिक विद्यालय,‘बाहर पीली’ में सफाई कर्मचारी न होने के कारण, प्रिसिंपल द्वारा स्कूली बच्चों से टॉयलैट साफ करवाने का मामला सामने आया था तथा हाथ में बाल्टी, ब्रश और झाड़ू लिए टॉयलैट साफ कर रहे बच्चों का वीडियो वायरल हुआ था। देश में हाथ से मैला उठवाने पर प्रतिबंध के दृष्टिगत ऐसा करवाना घोर अपराध है और वह भी शिक्षा के मंदिर में जहां ऐसी कुरीतियों से दूर रहने की शिक्षा दी जाती है। अत: उक्त घटना के लिए जिम्मेदार अध्यापकों का केवल निलम्बन काफी नहीं है, उन्हें कड़ी सजा देनी चाहिए।-विजय कुमार 


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