कर्नाटक चुनाव परिणाम का राजस्थान तक असर होगा

punjabkesari.in Saturday, May 20, 2023 - 06:03 AM (IST)

कर्नाटक चुनाव परिणाम की कहानी का राजस्थान तक असर होने वाला है। जनता के जनादेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के लिए संदेश छिपे हैं। यही वजह है कि इस रिजल्ट की रोशनी में दोनों ही दल अपनी नई स्ट्रैटजी बनाने पर जोर दे रहे हैं। नई रणनीति में राज्य स्तर के उन बड़े नेताओं को मौका मिल सकता है, जो अभी हाशिए पर हैं। कर्नाटक के ‘चुनावी नाटक’ से पर्दा उठने के बाद यह तो तय हो गया है कि विधानसभा चुनावों में राजनीतिक दलों का राष्ट्रीय महत्व से जुड़े  बड़े मुद्दों के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों पर भी फोकस होगा। 

राजस्थान की तरह कर्नाटक कांग्रेस में भी डी.के. शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर चुनाव से पहले ही शीतयुद्ध की स्थिति थी। पार्टी ने मार्च 2020 में डी.के. शिवकुमार को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर आगे किया, लेकिन सिद्धारमैया को भी पूरी तवज्जो दी। मुख्यमंत्री की चाहत के बावजूद दोनों नेताओं ने एकजुटता के साथ चुनाव प्रचार किया। कार्यकत्र्ताओं तक भी एकता का मैसेज गया। यह भी बड़ी वजह रही कि कांग्रेस ने कर्नाटक का किला जीत लिया। 

चूंकि अगला विधानसभा चुनाव राजस्थान में है। भाजपा बड़े बहुमत से राज्य की सत्ता पर काबिज होने के लिए तमाम दांवपेंच लगा रही है। आगामी चुनाव को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रदेश दौरे बढ़ते जा रहे हैं। पिछले 8 महीनों यानी 240 दिन में मोदी 5 बार राजस्थान जा चुके हैं। भाजपा के लिए राजस्थान में जीत दर्ज करना जरूरी हो जाता है क्योंकि यह जीत राज्यसभा में अच्छी संख्या हासिल करने में मदद करेगी। साथ ही यह जीत लोकसभा चुनावों में भी फायदेमंद साबित होगी। 

कर्नाटक में मिली हार के बाद भाजपा अपने चुनाव प्रचार अभियान में बदलाव कर सकती है। पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को चुनाव प्रचार में उतारने पर विचार कर सकती है। राजे वर्तमान में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अपने स्वयं के सार्वजनिक कार्यक्रमों का आयोजन कर रही हैं। राजस्थान में भाजपा के पास राजे के कद की कोई महिला नेता नहीं है। उन्होंने लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में अपनी ताकत साबित की है। फिलहाल भाजपा राज्य में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस के खिलाफ जीत के फॉर्मूले की तलाश कर रही है, सवाल यह भी है कि क्या भाजपा सत्तारूढ़ पार्टी के संभावित दल-बदलुओं पर अति निर्भरता का जोखिम उठा सकती है? 

रिपोर्ट्स के मुताबिक राजस्थान में आर.एस.एस. की पृष्ठभूमि वाले नेताओं सहित कई भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस मुक्त भारत के लक्ष्य को आगे बढ़ाते हुए हम कांग्रेस-युक्त भाजपा बन रहे हैं। भाजपा के अंदर ये सवाल भी उठने लगे हैं कि भाजपा सीटें खोने की कीमत पर पारंपरिक राजनीतिक परिवारों को चुनाव टिकट देने से कैसे इंकार करेगी। राजस्थान के चुनाव प्रचार में भाजपा को मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश करने की जरूरत पड़ सकती है, और राजे एक बेहतरीन चेहरा मानी जा रही हैं, लेकिन इसमें पार्टी के अंदर राजे का विरोध करने वाले नेता सबसे बड़ी चुनौती बन सकते हैं। जानकारों का मानना है कि वसुंधरा राजे फैक्टर विधानसभा चुनाव 2023 और लोकसभा चुनाव  2024 में अहम रहेगा। ऐसे में भाजपा को उन्हें लेकर जल्द ही कोई फैसला लेना पड़ेगा। 

अब यदि बात कांग्रेस की करें तो 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की परेशानी मुख्य रूप से चुनाव अभियान के दौरान मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश करने को लेकर हुई थी। चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस के ज्यादातर विधायकों ने व्यक्तिगत रूप से तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से कहा था कि वे तत्कालीन राज्य इकाई के प्रमुख पायलट की जगह गहलोत को मुख्यमंत्री के रूप में पसंद करते हैं। राहुल के पास इस पद के लिए गहलोत को चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। 

फिलहाल भ्रष्टाचार के खिलाफ पायलट की 5 दिवसीय यात्रा 15 मई को खत्म हुई। कांग्रेस ने पायलट की यात्रा से खुद को पूरी तरह से दूर कर लिया है। ये ठीक वैसा ही है जैसे पिछले महीने ‘भाजपा भ्रष्टाचार’ के खिलाफ पायलट के अनशन से कांग्रेस ने खुद को दूर कर लिया था। पायलट समय-समय पर यह मांग भी रख चुके हैं कि मुख्यमंत्री को बदला जाए और पार्टी गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान चुनाव न लड़े। ऐसे में चुनाव के नजदीक आते ही यह सवाल उठने लगा है कि क्या मंत्रिमंडल में गहलोत खेमा पायलट के वफादारों को लाने की सहमति जताएगा। 

हाल ही में भाजपा ने राजस्थान में बड़ा संगठनात्मक फेरबदल किया है। इसके बावजूद अब भी इसे लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है कि भाजपा में अगले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री  का चेहरा कौन होगा। भाजपा नेता अब भी अलग-अलग दावे करते नजर आते हैं। वसुंधरा राजे, गजेंद्र सिंह शेखावत और प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया तक का जिक्र हो चुका है। राजस्थान में कांग्रेस में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कुछ भी साफ नहीं है। पूर्व डिप्टी मुख्यमंत्री  सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग जोर पकड़े हुए है। वहीं अशोक गहलोत सोनिया गांधी के समक्ष राजस्थान के मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष सी.पी.जोशी के नाम की सिफारिश मुख्यमंत्री के लिए कर चुके हैं। 

पायलट समर्थक विधायक वेद प्रकाश सोलंकी और इंद्राज गुर्जर पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की खुलकर पैरवी कर चुके हैं। इससे पहले बसेडर से कांग्रेस विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री  बनाने की मांग करते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को यह समझना चाहिए कि उन्हें पार्टी ने बहुत कुछ दिया है अब युवाओं को मौका दिया जाए।-अशोक भाटिया


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