जम्मू-कश्मीर : ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’

punjabkesari.in Thursday, Jul 30, 2020 - 01:51 AM (IST)

ऐसे क्षेत्र के लिए, जो राजनीतिक उथल-पुथल का केंद्र रहा है, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (ए.बी.पी.एम.- जे.ए.वाई. का प्रदर्शन केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए अंधेरी सुरंग के अंत में चमकते प्रकाशपुंज के समान है। यह महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य आश्वासन योजना पहले के जम्मू और कश्मीर (जे एंड के) राज्य में 1 दिसंबर 2018 को शुरू की गई थी। एस.ई.सी.सी. के अनुसार इसके तहत जम्मू-कश्मीर (लद्दाख समेत) में 6.13 लाख परिवारों को, जो राज्य में कुल परिवारों का 30 फीसदी हैं-प्रति परिवार 5 लाख रुपए की व्यापक वित्तीय सुरक्षा प्रदान की गई। 

जम्मू-कश्मीर में ए.बी.पी.एम.-जे.ए.वाई. से पहले ऐसी कोई योजना लागू नहीं की गई थी, ऐसे में योजना के तहत इसका शानदार प्रदर्शन कई लोगों के लिए सुखद आश्चर्य लेकर आया। योजना लागू होने के 2 साल से भी कम समय में जम्मू-कश्मीर के लोगों के जीवन पर इसका प्रभाव इतना आश्चर्यजनक और आशाजनक रहा कि जम्मू और कश्मीर सरकार ने ए.बी. पी.एम.-जे.ए.वाई .को मिलाकर जम्मू और कश्मीर स्वास्थ्य योजना शुरू करने का फैसला किया, जो ए.बी .पी.एम.-जेएवाई के समान ही कवरेज को बढ़ाकर जम्मू-कश्मीर के सभी निवासियों को लाभ पहुंचाएगी। इसमें जम्मू और कश्मीर सरकार के कर्मचारी/पैंशनर और उनका परिवार भी शामिल है। 

क्षेत्र की मुश्किल स्थलाकृति, सॢदयों के महीनों में कठोर जलवायु परिस्थितियों और घाटी के अन्य मसलों के होते हुए भी राज्य के लाभार्थियों के हित में प्रशासन द्वारा दिखाई गई प्रतिबद्धता ने योजना को लागू करने में जम्मू-कश्मीर को सफलता दिलाई। योजना की शुरूआत के पहले 90 दिनों के भीतर ही 10 लाख ई-कार्ड जारी किए गए। जम्मू-कश्मीर ने शुरू में 6 महीने से भी कम समय में 57 प्रतिशत लक्षित परिवारों को कवर करते हुए ई-कार्ड जारी किए, जिसने कई अन्य राज्यों में मिशन मोड में ई-कार्ड जारी करने को लेकर एक मिसाल कायम की। यह उल्लेखनीय है कि दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में इंटरनैट और मोबाइल कनैक्टिविटी की चुनौतियों के बावजूद जारी किए गए सभी ई-कॉर्डों में से 81 प्रतिशत रियल टाइम में आधार के साथ सत्यापित हैं। 

जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में 85,689 में से करीब 65 प्रतिशत इलाजों के साथ निजी अस्पतालों की रुचि और इस्तेमाल बेहद उत्साहजनक रहा है जबकि पारम्परिक रूप से सरकारी अस्पतालों में क्षेत्र के 90 प्रतिशत भर्ती होने वाले मरीजों का इलाज हो रहा है। सरकारी अस्पतालों की क्षमता की तुलना में अधिक मांग होने पर अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के इलाज में निजी क्षेत्र की पैठ मजबूत करने में मदद मिल सकती है। लाभ की पोर्टेबिलिटी, योजना की एक अनूठी विशेषता है जो लाभार्थियों को देशभर में इस योजना के तहत किसी भी अस्पताल में इलाज कराने का अधिकार प्रदान करती है। इस सुविधा का लाभ उठाते हुए लाभाॢथयों के करीब 864 उपचार दोनों केंद्रशासित प्रदेशों से बाहर के अस्पतालों में दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा और कर्नाटक जैसे दूसरे राज्यों में हुए हैं। 

बिना इंटरनैट कनैक्टिविटी या अन्य पाबंदियों की स्थिति में भी राज्य स्वास्थ्य एजैंसी, जम्मू एवं कश्मीर-जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सहयोग से जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में ए.बी. पी.एम.-जे.ए.वाई. के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार है, ने बिना किसी व्यवधान के लाभार्थियों के इलाज के लिए नया तंत्र विकसित किया। 

लद्दाख में चुनौतीपूर्ण स्थलाकृति और सर्दियों के मौसम के बावजूद कारगिल और लेह (अब केंद्र शासित लद्दाख का हिस्सा) के जिलों में योजना का प्रदर्शन काफी उत्साहजनक था और 70 प्रतिशत परिवारों को ई-कार्ड जारी किए गए। केंद्रशासित क्षेत्र लद्दाख में योजना के तहत 10 सरकारी अस्पताल जोड़े गए और लद्दाख में करीब 750 लाभार्थियों ने (25 जुलाई 2020 तक) अस्पताल में भर्ती होकर 65 लाख रुपए का लाभ उठाया। इनमें से 30 प्रतिशत ने पोर्टेबिलिटी का लाभ उठाकर जम्मू-कश्मीर, दिल्ली और चंडीगढ़ में इलाज कराया।

आश्चर्यजनक रूप से, लद्दाख के लाभार्थियों के औसत उपचार का खर्च जम्मू-कश्मीर के लोगों से 150 फीसदी से अधिक है, जो लद्दाख के लाभार्थियों के बीच स्वास्थ्य प्रणाली के तीसरे स्तर की जरूरत की ओर संकेत करता है। चूंकि लद्दाख में क्लेम मनी का ज्यादा हिस्सा सरकारी अस्पतालों ने कमाया है, ऐसे में आशा की जाती है कि यह बुनियादी ढांचे और सेवाओं में सुधार के लिए जरूरी प्रोत्साहन प्रदान करेगा। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के जीवन में इस वायदे के साथ आई है कि उनके स्वास्थ्य खर्चे को लेकर जरूरी वित्तीय सुरक्षा पर अब उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है।-डा. ए.जी. अहंगर (निदेशक एस.के.आई.एम.एस.)


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