जेतली के परिवार को नहीं मिला उचित ‘महत्व’

Monday, Sep 02, 2019 - 01:59 AM (IST)

स्व. वित्त मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेतली के निधन के बाद उनकी अस्थियों को हरिद्वार में गंगा में प्रवाहित करने के लिए उनके परिवार के लोग पहुंचे थे। इस दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट हर की पौड़ी में उपस्थित थे। लेकिन इसके शीघ्र बाद ही मुख्यमंत्री और भाजपा अध्यक्ष अरुण जेतली के परिवार को हर की पौड़ी में ही छोड़कर देहरादून चले गए। 

इसके बाद परिवार डैम कोठी गैस्ट हाऊस पहुंचा जहां उन्हें रिसीव करने अथवा खाना खिलाने वाला कोई नहीं था। यह देखते हुए योग गुरु स्वामी राम देव उन्हें पतंजलि योगपीठ ले गए और उन्हें खाने की पेशकश की। हरिद्वार के भाजपा कार्यकत्र्ताओं के अनुसार प्रदेश नेतृत्व ने जेतली परिवार को नजरअंदाज किया। जिन्होंने भाजपा को सत्ता में लाने के लिए कड़ी मेहनत की थी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने विदेश दौरे के बाद सीधे उनके घर पहुंचे थे। अरुण जेतली भाजपा के संकट मोचक और समॢपत नेता थे तथा वह मोदी के करीबी दोस्त थे।

फिर आक्रामक हुईं ममता 
राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सलाह पर लगभग दो महीने तक चुप रहने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद के स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा पर कश्मीर मामले पर यह कहते हुए हमला किया है कि भाजपा कश्मीरियों की आवाज दबा रही है और इसके बाद वह पश्चिम बंगाल में भी ऐसा ही करेगी। 

उन्होंने आगे कहा कि अब भाजपा संसदीय प्रणाली कीसरकार की बजाय एक चुनाव, एक नेता, एक राजनीतिक दल तथा एक आपातकाल के द्वारा अध्यक्षीय प्रणाली की सरकार स्थापित करना चाहती है। इस बीच तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेता और कोलकाता के पूर्व मेयर सोवन चटर्जी और उनकी सहयोगी बैसाखी बनर्जी, जो भाजपा में चले गए थे, ने भाजपा को छोडऩे की इच्छा जताई है। चटर्जी और बनर्जीने वीरवार को भाजपा के पश्चिम बंगाल प्रभारी महासचिव कैलाश विजय वर्गीय से मिलकर भाजपा छोडऩे और टी.एम.सी. में लौटने की इच्छा जाहिर की थी। 

फिलहाल मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं करेंगे गहलोत 
पहलु खान लिंचिंग मामले में कोर्ट द्वारा आरोपी को बरी किए जाने पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनकी सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद ऐसा माना जा रहा था कि बसपा सरकार से समर्थन वापस ले लेगी लेकिन उसके 6 में से 3 विधायकों ने अशोक गहलोत सरकार को खुले तौर पर समर्थन दे दिया। ऐसा लगता है कि बसपा के विधायक कैबिनेट में शामिल होना चाहते हैं और वह पार्टी सुप्रीमो को नजरअंदाज कर रहे हैं। इस समय अशोक गहलोत सरकार को बसपा के 6 और 13 आजाद विधायकों का समर्थन प्राप्त है और यह विधायक कैबिनेट में शामिल होना चाहते हैं लेकिन अशोक गहलोत अपने मंत्रिमंडल में 30 से ज्यादा मंत्रियों को शामिल नहीं कर सकते हैं। बहुत से पुराने कांग्रेसी विधायक भी कैबिनेट में शामिल होना चाहते हैं और इसलिए अशोक गहलोत मंत्रिमंडल का विस्तार टाल कर सरकार चलाना चाहते हैं। 

राज्यसभा में जाना चाहते हैं सम्राट चौधरी 
बिहार में पिछड़े वर्गों से संबंधित 3 मुख्य दल हैं। पहला लालू प्रसाद यादव नीत, दूसरा नीतीश के नेतृत्व वाले कुरमी और तीसरे कुशवाहा जिनका नेतृत्व उपेन्द्र कुशवाहा कर रहे हैं। किसी समय उपेन्द्र कुशवाहा की जगह सकुनी चौधरी उनके नेता थे लेकिन अब उपेन्द्र कुशवाहा ने कमान सम्भाल रखी है। सकुनी चौधरी के बेटे सम्राट चौधरी ने दो साल पहले भाजपा ज्वाइन कर ली थी और इस समय वह भाजपा के उपाध्यक्ष हैं। वह राज्यसभा में जाना चाहते हैं और इससे पहले उन्होंने बिहार में एम.एल.सी. बनने की कोशिश की थी लेकिन भाजपा ने उन्हें एम.एल.सी. नहीं बनाया था। भाजपा में आने से पहले चौधरी राजद, जद(यू) तथा हमपार्टी में रह चुके हैं। अब वह बिहार में भाजपा का मुख्य पिछड़ा चेहरा हैं और यदि उन्हें राज्यसभा में नहीं भेजा गया तो वह भाजपा को छोड़ सकते हैं। ऐसा होने पर तथाकथित पिछड़े नेता भी भाजपा छोड़ देंगे। 

क्या हरियाणा कांग्रेस को मिलेगा नया अध्यक्ष
रोहतक में रैली के बाद हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद के साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ मुलाकात की है। यह मुलाकात विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में कांग्रेस की एकजुटता बरकरार रखने के प्रयासों के बीच हुई है। 

भूपिंद्र सिंह हुड्डा प्रदेश अध्यक्ष को बदलने पर अड़े हुए हैं लेकिन पार्टी की ओर से ऐसी किसी सम्भावना का वायदा नहीं किया गया है। इस बीच गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा सदस्य कुमारी शैलजा सहित प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की है। हालांकि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता हुड्डा के कहने से पार्टी अध्यक्ष को बदलने के पक्ष में नहीं हैं लेकिन पार्टी अध्यक्ष के तौर पर अशोक तंवर का 5 वर्ष का कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है। इसलिए हाईकमान विधानसभा चुनावों से पहले प्रदेश नेतृत्व में परिवर्तन करना चाहता है। ऐसी चर्चा है कि हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष के पदके लिए कुमारी शैलजा और रणदीप सुर्जेवाला का नाम सबसे आगे है।-राहिल नोरा चोपड़ा

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