ऐसे नहीं होगी ब्रज धाम की सेवा योगी जी

punjabkesari.in Monday, Nov 06, 2017 - 03:21 AM (IST)

केन्द्र और राज्य की सरकारें हमारे धर्मक्षेत्रों को सजाएं-संवारें तो सबसे ज्यादा हर्ष हम जैसे करोड़ों धर्म प्रेमियों को होगा, पर धाम सेवा के नाम पर, अगर छलावा, ढोंग और घोटाले होंगे तो भगवान तो रुष्ट होंगे ही, भाजपा की भी छवि खराब होगी।

इसलिए हमारी बात को ‘निंदक नियरे राखिए’ वाली भावना से अगर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी जी सुनेंगे तो उन्हें लोक और परलोक में यश मिलेगा। यदि वह निहित स्वार्थों की हमारे विरुद्ध की जा रही लगाई-बुझाई को गंभीरता से लेंगे तो न सिर्फ ब्रजवासियों और ब्रज धाम के कोप भाजन बनेंगे बल्कि परलोक में भी अपयश ही कमाएंगे। 

वर्तमान संदर्भ में यह चिंता वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी जी के मंदिर को लेकर व्यक्त की जा रही है। पिछले हफ्ते अखबारों में पढ़ा कि उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग, मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण और ब्रज तीर्थ विकास परिषद मिलकर विश्व बैंक के 27 करोड़ रुपए के कर्ज से बिहारी जी की 3 गलियां सजाएंगे। यह सब ब्रज की गरीबी दूर करने के नाम पर, ‘प्रो-पूअर टूरिज्म’ योजना के तहत होगा। उल्लेखनीय है कि 27 करोड़ रुपया उत्तर प्रदेश की जनता पर कर्ज होगा, अनुदान नहीं, जो उसे भविष्य में बढ़े हुए टैक्स देकर चुकाना पड़ेगा। यह समाचार हर धर्मप्रेमी को विचलित करने के लिए काफी है। 

पहली बात तो यह कि विश्व बैंक के कत्र्ता-धत्र्ता गौमांसभक्षी और ईसाई धर्म के सर्वोच्च केन्द्र वैटिकन से संचालित होते हैं, जो शुद्ध रूप से हमारे हिन्दू धर्म को नष्ट कर ईसाईयत फैलाने के काम पर लगा रहता है। ऐसे हिन्दू धर्म विरोधी लोग हिन्दू धर्म की आस्था के केन्द्रों पर क्यों कब्जा करना चाहते हैं? क्या उन्हें हिन्दू मंदिर ही गरीबी दूर करने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान लगे? या उनकी निगाह बैंकों में जमा बिहारी जी के 100 करोड़ रुपए और भविष्य की आमदनी पर है? क्या इसीलिए वे पिछले दरवाजों से घुसकर हमारे धर्मक्षेत्रों पर कब्जा करना चाहते हैं? 

क्या बांके बिहारी जी के भक्त इतने दरिद्र हो गए कि उन्हें बिहारी जी की गलियां सजाने के लिए भी इन ईसाइयों से कर्ज लेना पड़ेगा? क्या 3 गलियों को सजाने के लिए 1 करोड़ रुपया काफी नहीं है? चूंकि, मैं 2003-05 में बांके बिहारी मंदिर का रिसीवर रहा हूं, इसलिए मुझे खूब पता है कि कितने कम पैसों में कितना काम हो सकता है और अंतिम प्रश्न यह है कि साधन संपन्न लोगों से युक्त इन गलियों पर 27 करोड़ रुपया खर्च करके ब्रजवासियों की गरीबी कैसे दूर होगी? क्या इस रुपए से ब्रज के गांवों में हजारों बेरोजगार नौजवानों को रोजगार मिलेगा या गरीबों को मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ सेवाएं मिलेंगी? 

दुनिया की समझ रखने वाला हर व्यक्ति जानता है कि विश्व बैंक जहां भी गया, उसने उस क्षेत्र को लूटा और बर्बाद किया है। अफ्रीका के तमाम देश इसका उदाहरण हैं, जो दशकों से विश्व बैंक के चंगुल में फंसकर अपनी प्राकृतिक संपदा लुटवा रहे हैं और उनकी लाखों जनता भुखमरी और अकाल झेल रही है। इस ज्ञान में हमें ताजा वृद्धि तब हुई, जब खुद हमारा विश्व बैंक से सामना हुआ। हमने सबूतों के साथ इस बात को पकड़ा कि विश्व बैंक किस तरह ‘प्रो-पूअर टूरिज्म’ के नाम पर उत्तर प्रदेश शासन में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा था। 

ब्रज के प्राचीन 9 कुंडों के जीर्णोद्धार के लिए विश्व बैंक की इसी योजना के तहत 77 करोड़ रुपए के ठेके इसी वर्ष उठा दिए गए थे, पर जब हमारी ब्रज फाऊंडेशन की तकनीकी टीम के प्रबुद्ध प्रोफैशनल्स ने शोर मचाया तो यह ठेका रुका और अब हमने जो योजना बनाकर सरकार को दी है, वह कहीं बेहतर, आकर्षक और मात्र 27 करोड़ रुपए की है। मतलब 50 करोड़ रुपया विश्व बैंक नाहक स्वीकृत करने जा रहा था जो केवल भ्रष्टाचार की बलि चढ़ जाता जिसे हमने रोका और हम निहित स्वार्थों के आंखों की किरकिरी बन गए। बिहारी जी की गलियों की दुर्दशा के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के वे अधिकारी हैं, जो गत 20 वर्षों से इस एजैंसी के मुखिया रहे हैं। 

फिर भी उन्होंने इन तंग गलियों में पुराने छोटे मकानों को तोड़कर बनने वाले बहुमंजिला व्यावसायिक भवनों को अवैध रूप से बनने दिया और इन गलियों में आना-जाना और भी कठिन कर दिया। विश्व बैंक की हिन्दू धर्म क्षेत्रों में अवैध दखल की साजिश का पर्दाफाश हमने इसी कॉलम 24 अप्रैल, 2017 को किया था, जिसे हमारी वैबसाइट पर ऑनलाइन पढ़ा जा सकता है। आश्चर्य है कि कुछ महीनों की शांति के बाद निहित स्वार्थों ने फिर उस साजिश को अंजाम तक पहुंचाने की खुराफात शुरू कर दी है, जिसका कड़ा विरोध बिहारी जी के भक्तों, सेवादारों, ब्रजवासियों द्वारा किया जाना चाहिए। इस विरोध को प्रखर करने में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद की अहम भूमिका होनी चाहिए। 

इन सशक्त संस्थाओं के रहते और मोदी और योगी जैसे शासकों की मौजूदगी में भी अगर हिन्दू धर्म क्षेत्रों में विश्व बैंक दखल देने में सफल हो जाता है, तो यह हम सब हिन्दुओं के लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरने की स्थिति होगी। विश्व बैंक पूरी दुनिया में हमारा मजाक उड़ाएगा कि हिन्दू धर्म का डंका पीटने वाले अपने तीर्थों तक को नहीं सजा सकते। इसके लिए भी ईसाइयों से कर्ज मांग रहे हैं। क्या हम विश्व बैंक के हाथों लुटने और अपमानित होने को तैयार हैं?-विनीत नारायण              
 


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