‘रामराज्य’ के लिए ‘भ्रष्टाचार’ का खात्मा जरूरी

Sunday, Dec 20, 2020 - 04:53 AM (IST)

आज देश की मुख्य समस्याओं का 50 प्रतिशत कारण भ्रष्टाचार है। इसकी जड़ें इतनी गहरी हैं कि विभिन्न सरकारें दिखाने के लिए तो बहुत कुछ करती रही हैं पर जमीनी सुधार के लिए कभी प्रतिबद्ध नहीं दिखीं। एक तरफ जहां मंच से बड़े-बड़े भाषण लोगों का दिल जीतते रहे, वहीं दूसरी तरफ भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ता रहा। भ्रष्टाचार आज कई रूपों में व्याप्त है।

कुछ दशक पहले लोग भ्रष्टाचार को अपराध समझते थे, पर आधुनिक जरूरतों को अपने ऊपर भारी होने से, लोग कई सार्वजनिक अवसरों पर भी ऊपरी कमाई की बात करने से गुरेज नहीं करते। कई ऐसे लोग आपको मिल जाएंगे जो भ्रष्टाचार को बुरा नहीं मानते। आजादी के दशकों पश्चात् आम आदमी से जुड़ी कई सेवाओं में भ्रष्टाचार न केवल बड़ा है बल्कि उसका स्वरूप भी आधुनिक हुआ है।  ऊपरी सतह पर आप परिवर्तन महसूस कर सकते हैं, पर आन्तरिक रूप से आपको अनेकों चुनौतियों का सामना आज भी करना पड़ेगा। 

आज कितने थाने भ्रष्टाचार मुक्त हैं, किन लाइसैंंस के लिए घूस नहीं देना पड़ता, कितने सरकारी विभाग बिना घूस के काम कर रहे हैं यह दावा या आंकड़े न सरकार के पास हैं न ही विभाग के पास है। आम आदमी लाख रुपए के कर्ज का भुगतान न करने पर जेल चला जाता है जबकि करोड़ों रुपयों का घोटाला करने वाले लोगों को विदेश जाने से कोई नहीं रोक सकता। कहने को कई सरकारी एजैंसियां भी कार्य कर रही हैं पर परिणाम! 

आज प्रश्न उठाने वालों पर ही प्रश्न खड़ा कर दिया जाता है। आज देश में कितनी राजनीतिक पाॢटयां हैं जो टिकट देने के बदले बड़ी धनराशि नहीं लेतीं? अरबों रुपयों का चुनावी खर्च कहां से आता है? विभाग का बाबू करोड़ों की संपत्ति का मालिक कैसे बन बैठता है? कौन सा चुनाव ऐसा है जिसमें खुले पैसे नहीं बांटे जाते? फाइल बनवाने के लिए घूस, फाइल बढ़ाने के लिए घूस, छोटे काम के लिए छोटा, बड़े काम के लिए बड़ी घूस कहां नहीं दिखती। अमीरों के लिए कोई भी काम मुश्किल नहीं, गरीबों के काम के बीच ढेरों अड़चन। आम आदमी को न्याय पाने में वर्षों लग सकते हैं जबकि मजबूत और पहुंच वाले व्यक्तियों का कार्य कुछ समय में हो जाता है। दरअसल  भ्रष्टाचार देश के कोने-कोने में पहुंच चुका है और अनेकों लोगों की रग - रग में समाया हुआ है। 

सरकारें चाहे जितना दावा करती रहें, पर आज तक रजिस्ट्री कार्यालय, पुलिस विभाग, आर.टी.ओ. कार्यालय भ्रष्टाचार मुक्त नहीं करा सकी है। अनेकों अधिकारियों और बाबुओं की पोसिं्टग ऊपरी कमाई के आधार पर आज भी जारी है । कई न्याय देने वाले माननीय के न्याय के मंदिर की गेट पर उनका अर्दली घूस लेते हुए अक्सर पाए जाते हैं। शहरों में जहां अलग तरह का भ्रष्टाचार व्याप्त है वहीं गांवों की कहानी भी इससे अलग नहीं है। जनता के अन्दर ऐसी भावना, विचार सरकारों द्वारा तैयार किया जा रहा है कि किसी भी मुद्दों से बड़ा मुद्दा जाति धर्म और मजहब का बना रहे, जबकि दशकों से चल रहे भ्रष्टाचार का न कोई मुद्दा है और न ही जरूरत क्योंकि इनकी पकड़ इतनी मजबूत हो चुकी है कि इसे दूर करने की सोचने वालों को ही सिस्टम से ही बाहर कर दिया जाता है। 

हाल ही में ट्रांसपेरैंसी ग्लोबल इंटरनैशनल की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार एशिया रीजन में भारत में सबसे अधिक 39 प्रतिशत भ्रष्टाचार मौजूद है। 47 प्रतिशत लोगों का मानना है कि पिछले 12 महीनों में भ्रष्टाचार बड़ा है। 50 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिनसे सीधे घूस की बात की गई है। ये आंकड़े इस लिए भी ङ्क्षचताजनक हैं कि मालदीव और जापान में मात्र 2 प्रतिशत भ्रष्टाचार मौजूद है। पुलिस के कांटैक्ट में आए 42 प्रतिशत लोगों ने घूस देना स्वीकार किया है, 41 प्रतिशत लोगों ने किसी प्रपत्र के लिए घूस देना स्वीकार किया है। भ्रष्टाचार में 180 देशों की सूची में भारत का 80वां स्थान चिंताजनक है। हाल ही में भ्रष्टाचार के मामले में उम्रकैद की सजा देने और गलत तरीके से अर्जित कालाधन और बेनामी सम्पत्तियों को जब्त करने की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार से इंकार करते हुए माननीय सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि कानून बनाना या उसमें संशोधन करना न्यायपालिका का काम नहीं है। 

विभिन्न राज्य सरकारें, केंद्र सरकार चाहे जितना अधिक दावा रामराज्य को लेकर करें पर जमीनी हकीकत तभी बदलने वाली है जबकि कठोर निर्णय लेकर भ्रष्टाचार को खत्म किया जाए। राम राज्य भी तभी संभव है जबकि भ्रष्टाचार मुक्त देश हो। किसी भी संस्कृति, समाज, देश, व्यक्तियों के विकास के लिए सबसे अधिक खतरा भ्रष्टाचार से ही है। देश में आज भी घूसखोरी, मिलावटखोरी, काला-बाजारी, नशा-तस्करी, मानव-तस्करी, हवाला कारोबार, कबूतरबाजी, भू-माफिया, राजनीतिक अपराधीकरण आपको आसानी से देखने को मिल जाएगा। 

सरकार को देश हित और वास्तविक विकास के लिए न केवल प्रतिबद्ध होना होगा बल्कि दिखावे और वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए 100 रुपए से बड़े नोट प्रचलन से बंद करने होंगे। 5000 से महंगे सामान का क्रय-विक्रय कैश में बंद करना होगा। 50000 से महंगी सम्पत्ति को अनिवार्यत: आधार से ङ्क्षलक करने का निर्देश जारी करना होगा। जिस भी व्यक्ति के पास कालाधन, बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति मिले उसे न केवल जब्त कर लिया जाए बल्कि आजीवन कारावास दिया जाए। केंद्र सरकार को इस विषय पर गंभीरता से सोचते हुए त्वरित कार्रवाई की जरूरत है। सरकार यदि प्रस्तावित कार्रवाई करती है तो एक वर्ष के अंदर ही 80 प्रतिशत और दो वर्ष के अंदर शत-प्रतिशत भ्रष्टाचार समाप्त हो सकता है। हालांकि केंद्र में मोदी सरकार के आने के पश्चात् से भ्रष्टाचार पर कार्रवाई हुई है परन्तु राम राज्य की आवश्यकता के अनुपात में यह नगण्य है।-डा. अजय कुमार मिश्रा 
 

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