आई.एस. की पूर्व ‘सैक्स गुलाम’ की कहानी उसी की जुबानी

punjabkesari.in Monday, Feb 05, 2018 - 04:35 AM (IST)

ईराक के शंघिल शहर की एक 18 वर्षीय यजीदी युवती निहाद बरकत शामो अलावसी को सैक्स गुलाम के रूप में आई.एस.आई.एस. को बेच दिया गया था और वह 15 माह तक उनकी कैद में रहने के बाद भाग निकलने में सफल हो गई थी। 

गणतंत्र दिवस समारोह में आए हुए यजीदी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में आई हुई इस युवती ने बताया कि किस प्रकार आज भी सैंकड़ों यजीदी महिलाएं उनकी कैद में बलात्कार से बचने के लिए अपनी कलाई की नसें काट लेने या फिर इमारतों से नीचे छलांग लगा लेने को प्राथमिकता देती हैं। 

आई.एस.आई.एस. के दरिंदों की पाश्विकता से बचने के लिए निहाद ने कई बार वहां से उनकी कैद से भाग निकलने अथवा अपनी जीवन लीला समाप्त करने के प्रयास किए थे। उसने बताया कि जवानी में कदम रख रही यजीदी लड़कियों को सैक्स स्लेव बनाया जाता है और बार-बार उन्हें दुष्कर्म की यातना झेलनी पड़ती है। कई बार आई.एस.आई.एस. के आतंकियों से उनकी जब्री शादी कर दी जाती है। ऐसी शादी और बलात्कार की जिल्लत से बचने के लिए वे घंटों खुद को स्नानागारों में बंद कर लेती हैं और अपनी कलाइयों की नसें काट लेती हैं। यह शिष्टमंडल भारत सरकार से अपने संघर्ष में समर्थन की आशा लिए भारत आया था। उनकी इस यात्रा की व्यवस्था सेवा इंटरनैशनल तथा  यजीदी मानवाधिकार संगठन जैसे समाजसेवी समूहों द्वारा की गई थी। 

ऐन जिस समय इस 8 सदस्यीय शिष्टमंडल के सदस्य राजधानी में घूम रहे थे उसी दौरान उन्हें समाचार मिला कि आई.एस.आई.एस. द्वारा अगवा की गई हनीफा खलफ नामक युवती सैक्स स्लेव के रूप में बेचे जाने से पूर्व ही भागने में सफल हो गई। लेकिन जैसे ही उसके परिवार को एक फोन कॉल मिला कि आतंकी समूह ने उसकी छोटी बहन की रिहाई के लिए 16,000 डालर (यानी 10,20,400 रुपए) की मांग की है तो उनकी दुनिया फिर से अंधेरी हो गई। उल्लेखनीय है कि हनीफा के साथ उसकी 17 और 7 वर्षीय दो छोटी बहनों का भी अपहरण किया गया था और उन्होंने भी दुष्कर्म से बचने के लिए आत्महत्या का प्रयास किया था। 

हनीफा इन दिनों उत्तरी ईराक में रहती है और उसे उम्मीद है कि वह अपने परिवार के अन्य सदस्यों की जान बचा लेगी जो अभी भी आई.एस.आई.एस. की हिरासत में हैं। उसने बताया, ‘‘मुझे खरीदने वाला पहला व्यक्ति जल्दी ही बाद मारा गया तो उसके परिवार ने मुझे मोसुल शहर में आई.एस.आई.एस. के अन्य आतंकी के पास बेच दिया। कई महीनों बाद मुझे पता चला कि वह मुझे अपने चचेरे भाई के पास बेचने का प्रयास कर रहा है। मेरे साथी कैदियों को मेरी स्थिति पर बहुत दया आई और उन्होंने भाग निकलने में मेरी सहायता में मेरे परिवार से किसी तरह सम्पर्क किया जिन्होंने कनाडा के एक यहूदी नागरिक स्टीव मम्मन से सहायता ली और 800 डालर देकर एक स्मगलर को मुझे छुड़ाने के लिए भेजा। 

15 अक्तूबर 2015 को वह मुझे उस समय छुड़ा कर ले जाने में सफल हुआ जब आतंकी का परिवार सोया हुआ था। 5 घंटे लगातार पैदल चलने के बाद मैं मुक्त थी और अपने परिवार के साथ थी, जोकि स्वतंत्र इलाके की सीमा पर पहले से ही मेरे इंतजार में खड़ा था।’’ उल्लेखनीय है कि यजीदी समुदाय के लोग सूर्य की पूजा करते हैं और हिन्दू धर्म की सांस्कृतिक परम्पराओं के साथ उनका घनिष्ठ संबंध है इसीलिए वे भारत की सरकार और भारत के हिन्दुओं से सहायता की उम्मीद लगाए हुए हैं। 


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