भारत-पाक संबंध व नवजोत सिंह सिद्धू

Sunday, Oct 21, 2018 - 04:38 AM (IST)

मुझमें कहने की हिम्मत है कि नवजोत सिंह सिद्धू विवादों को आमंत्रित करते हैं। ऐसा लगता है कि वह निश्चित तौर पर इसका आनंद उठाते हैं। इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह पर पाकिस्तानी सेना प्रमुख से गले मिलने के बाद मचे हो-हल्ले के उपरांत अब सिद्धू ने कसौली में आयोजित खुशवंत सिंह साहित्य उत्सव में अपनी टिप्पणियों से एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। हालांकि इस बार मेरा मानना है कि सिद्धू सही हैं, उनके आलोचक गलत हैं। 

सिद्धू ने कसौली में एकत्र श्रोताओं से कहा कि उनके (सिद्धू) जैसे लोग दक्षिण भारतीय राज्यों की बजाय पाकिस्तान के साथ अधिक लगाव महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि ‘जब वह तमिलनाडु जाते हैं तो उनकी भाषा को नहीं समझ पाते ...ऐसा नहीं है कि वह वहां का खाना पसंद नहीं करते मगर अधिक समय तक उसे नहीं खा सकते। वहां की संस्कृति पूरी तरह से भिन्न है।’ फिर उन्होंने कहा कि ‘लेकिन जब वे पाकिस्तान जाते हैं तो भाषा एक जैसी है।’ यह शिरोमणि अकाली दल को गुस्सा दिलाने के लिए काफी था, जिसने इसे ‘देश के लिए एक अपमान’ बताया है। इसने भाजपा के संबित पात्रा को भी क्रुद्ध कर दिया जिन्होंने सुझाव दिया कि सिद्धू को पाकिस्तान की कैबिनेट में शामिल हो जाना चाहिए। 

यद्यपि सच यह है कि पंजाब जैसे राज्य, और यह हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान तथा उत्तराखंड जैसे राज्यों के कुछ हिस्सों के मामले में भी सच हो सकता है, जिनकी भाषा, खान-पान, संस्कृति, रहन-सहन की स्थिति  और यहां तक कि सीमाओं के आरपार लोगों का गाली देने का तरीका भी लगभग एक जैसा है। यह विशेष तौर पर 2 पंजाबों के बारे में सच है, हमारा तथा पाकिस्तान का। यह इतिहास तथा भूगोल द्वारा निर्धारित जुड़ाव हैं जिन्हें यूं ही खारिज नहीं किया जा सकता। वे कुछ लोगों के लिए राजनीतिक तौर पर असहज हो सकते हैं मगर वे ऐसे तथ्य बने रहेंगे जिनसे आप दूर नहीं जाना चाहेंगे। इसके विपरीत भाषा, व्यंजन, संस्कृति तथा रहन-सहन का तरीका पंजाब को केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना से अलग करता है। एक बार फिर इससे इंकार नहीं किया जा सकता। निश्चित तौर पर हम एक देश हैं और इस पर हमें गर्व है, मगर हम भिन्न लोग भी हैं। क्या यही एकता में अनेकता नहीं है? यही विभिन्नता भारत की समृद्धता है। यही इसकी नवीनता भी है। 

इस बात पर जोर देना कि जब सिद्धू अपने भारतीय नागरिकों, जो तमिल, कन्नड़, मलयाली हैं की बजाय पाकिस्तानियों के साथ अधिक लगाव महसूस करते हैं, कह कर देश का अपमान कर रहे हैं, यह इस तथ्य को भी नजरअंदाज करता है कि पाकिस्तान एक समय भारत का हिस्सा था और इसका पंजाब प्रांत मूल पंजाब का एक हिस्सा था। निश्चित तौर पर बहुत से लोग जो आज भारतीय हिस्से में रहते हैं, कई पीढिय़ों तक पंजाब के दूसरे हिस्से में रहे हैं। उनकी पारिवारिक यादें तथा भावनात्मक संबंध हैं, जिन्हें वे धुंधला नहीं होने दे सकते। एक बार फिर ये वे तथ्य हैं जिनसे इंकार अथवा नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। निश्चित तौर पर इसी कारण बहुत से पंजाबियों के लिए पाकिस्तान का मुद्दा आमतौर पर परस्पर विरोधी अथवा प्रतिकूल भावना पैदा करता है। हम जानते हैं कि हमारे बीच एक समस्या है और हम यह जानते हैं कि वे गलत हैं मगर हम यह भी चाहते हैं कि भ्रातृभाव के संबंधों को बहाल किया जाए जो एक समय संयुक्त पंजाब में मौजूद थे। 

अंतत:, सिद्धू के आलोचकों को क्या यह भी लगता है कि उन्होंने जो कहा है, वह इस मामले में भी सच हो सकता है कि पाकिस्तानी पंजाबी कैसा महसूस करते हैं? वे सम्भवत:  अपनी पूर्व सीमा के पार लोगों के अधिक करीब महसूस करते हैं, बजाय  दक्षिण में सिंधियों, पश्चिम में बलोचों और यहां तक कि उत्तर में पठानों से। भारत-पाकिस्तान संबंधों की पेचीदगियां तथा परिणाम वे तथ्य हैं जिन्हें हमें स्वीकार करना होगा। उनको लेकर लडऩे का कोई लाभ नहीं।-करण थापर

Pardeep

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