कनाडा में बिगड़ते हालात के बीच भारतीय प्रवासी

punjabkesari.in Thursday, Oct 24, 2024 - 05:40 AM (IST)

पिछले वर्ष से लगातार भारत और कनाडा के संबंध पतन की ओर चलते आ रहे हैं लेकिन पिछले दिनों के दौरान ये अब चरम पर पहुंच चुके हैं। ऐसे में कई बातें हैं, जिनका असर साफ तौर पर कनाडा में रह रहे भारतीय प्रवासियों और व्यापार पर पड़ेगा। गत वर्ष कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपनी संसद में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारतीय एजैंसियों के हाथ होने की आशंका जताई थी, जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। ट्रूडो के इस बयान के बाद से ही कनाडा और भारत के बीच पहले से तनावपूर्ण महौल चल रहा था। अब तो आपसी रिश्ते टूटने की कगार पर पहुंच गए हैं। दोनों देश एक-दूसरे के शीर्ष राजनयिकों को निष्कासित कर चुके हैं और भारत ने गत वर्ष 21 सितंबर को अपने नए एक्शन में कनाडा के नागरिकों की एंट्री देश में बैन करते हुए वीजा सेवाओं पर रोक लगा दी थी। 

उधर, कनाडा ने भी अपने राजनयिकों को भारत से वापस बुलाना शुरू कर दिया था। इन सबके बीच भारत ने कनाडा में रहने वाले नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह भी दी थी। अब सवाल यह है कि दोनों देशों के बीच बिगड़ रहे इन संबंधों का प्रवासियों और व्यापार पर क्या असर पड़ेगा। भारत और कनाडा के खराब हो चुके संबंधों का असर जिन बातों पर पड़ेगा, उसमें वहां बड़े पैमाने पर पढऩे गए छात्र, परमानैंट रैजीडैंट्स, भारतीय समुदाय और व्यापार पर पड़ सकता है। कनाडा एक ऐसा देश है, जो भारतीय समुदाय की तादाद के लिहाज से सातवां बड़ा देश है। जो खबरें आ रही हैं, वह कहती हैं कि इस समय कनाडा में पढऩे और नौकरी करने में भारतीय समुदाय चिंतित है। लंबे समय से कनाडा में परमानैंट रैजीडैंसी आवेदन करने वाले भी अब आशंका से भर गए हैं कि अब उनके आवेदन पर कनाडा सरकार का रवैया क्या होगा। ‘द इंडियन एक्सप्रैस’ की रिपोर्ट में बताया गया कि सबसे ज्यादा भारतीय प्रवासी कनाडा के टोरंटो, ओटावा, वॉटरलू और ब्रैम्टन आदि शहरों में बसे हैं। इनमें से टोरंटो भारतीयों के गढ़ की तरह है। इस शहर को कनाडा के विकास के लिहाज से शीर्ष माना जाता है। इनके अलावा ब्रिटिश कोलंबिया में भी भारतीयों की अच्छी-खासी संख्या है। बता दें कि ब्रिटिश कोलंबिया के गुरुद्वारे में ही हरदीप सिंह निज्जर को गोली मारी गई थी। 

अगर दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ता है तो इन पर असर पडऩे की आशंका है। आंकड़े बताते हैं कि अमरीका, ब्रिटेन के बाद सबसे ज्यादा भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए कनाडा जाते हैं। एमीग्रेशन रिफ्यूजी एंड सिटीजनशिप कनाडा के आंकड़े कहते हैं कि वर्ष 2002 में 2,26,450 भारतीय छात्र कनाडा के विभिन्न संस्थानों में पढऩे के लिए गए। ये आंकड़े इसलिए ज्यादातर असरदार लगते हैं क्योंकि इस साल में लगभग 5,51,405 छात्र दुनियाभर से वहां पढऩे गए। इस लिहाज से जाहिर है वहां पढऩे आए कुल छात्रों में भारत से गए छात्रों की तादाद 40 फीसदी है। वहां सबसे ज्यादा छात्रों की संख्या भारतीयों की ही है। दूसरे नंबर पर चीन के छात्र होते हैं, तो तीसरे नंबर पर फिलीपींस से गए छात्र। ये तबका आशंकित है कि अगर दोनों देशों के संबंध बिगड़े तो उनका क्या होगा। उनकी शिक्षा पर तो इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। कुछ भारतीय छात्रों ने वहां के लिए अप्लाई किया हुआ है। 

कनाडार्ई सरकार के अनुसार, कनाडा-भारत के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 2022 में लगभग $12 बिलियन कनाडाई डॉलर ($9 बिलियन अमरीकी डॉलर) था, जो एक साल पहले की तुलना में  57 प्रतिशत बढ़ गया। कनाडा में भारत से कोयला, कोक, उर्वरक और ऊर्जा उत्पाद भेजे जाते हैं जबकि कनाडा से उपभोक्ता वस्तुएं, वस्त्र परिधान, इंजीनियरिंग उत्पादों जैसे ऑटो पार्ट्स, विमान उपकरण और इलैक्ट्रॉनिक वस्तुएं आती हैं। कनाडा भारत का 17वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है, जिसने 2000 के बाद से 3.6 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है, जबकि कनाडाई पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय स्टॉक और ऋण बाजारों में अरबों डॉलर का निवेश किया है। दोनों देशों के बीच अरबों डॉलर का करोबार होता है। अगर राजनयिक रिश्ते खराब होते हैं, तो इसका असर कारोबारी रिश्ते पर पडऩा तय है जिस कारण दोनों देशों के कारोबारियों की नींद उड़ गई है। रिपोर्ट के अनुसार भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इसके चलते 2022-23 में 8.16 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत और कनाडा के बीच ताजा तनाव से दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश पर असर पडऩे की संभावना नहीं है क्योंकि आर्थिक संबंध व्यावसायिक विचारों से प्रेरित होते हैं।-प्रि. डा. मोहन लाल शर्मा


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