यूक्रेन विवाद में भारत की तटस्थ भूमिका

Thursday, Feb 03, 2022 - 06:52 AM (IST)

इन दिनों रूस और अमरीका में यूक्रेन को लेकर तनातनी चल रही है। हाल ही में व्लादिमीर पुतिन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों में यूक्रेन मुद्दे पर बातचीत भी हुई, जिसमें पुतिन की मैक्रों से मांग थी कि रूस को इस बात की गारंटी दी जाए कि यूक्रेन को कभी भी नाटो देशों में शामिल न किया जाए और साथ ही नाटो सेनाओं ने जो पूर्वी यूरोप के देशों में डेरा डाल रखा है, उसे भी सामान्य स्थिति के स्तर तक कम किया जाए। रूस की इस मांग पर नाटो का एक भी देश सहमत नहीं है। इसी बात को लेकर इस बैठक में किसी भी मुद्दे पर सहमति नहीं बनी और यह बेनतीजा रही और रूस का नाटो और अमरीका के साथ तनाव बना हुआ है। 

इस मुद्दे पर भारत का स्टैंड एकदम न्यूट्रल है, यह यूक्रेन विवाद में न तो रूस के साथ खड़ा है और न ही अमरीका के साथ। अब यह बात चीन को हजम नहीं हुई। चीन ने भारत के पक्ष को कमजोर करने के लिए खुल कर रूस का साथ दिया, शी जिनपिंग ने पुतिन से पूरा सहयोग जताते हुए कहा कि यूक्रेन विवाद में चीन उनके साथ खड़ा है। 

साथ ही चीन ने रूस के पक्ष में बोलना भी शुरू कर दिया है। अपने एक बयान में चीन ने कहा कि अगर रूस का साथ देने के लिए जरूरत पड़ी तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी चीन रूस का साथ देगा। चीन ने ऐसा कुचक्र रचा है कि वह रूस की मुसीबत के समय खुद को रूस का साथी और भारत को एक मतलबी देश के तौर पर दिखाना चाहता है। 

अमरीका चाहता है कि भारत यूक्रेन मुद्दे पर अमरीका का साथ दे और दूसरी तरफ रूस भी यही चाहता है। हालांकि भारत इस पूरे मुद्दे पर एकदम तटस्थ बना हुआ है। ऐसे में जब चीन खुल कर रूस का साथ दे रहा है और चीन की तरफ से यह भी कहा गया है कि अगर रूस के लिए चीन को अमरीका से भिडऩा भी पड़े तो वह इसके लिए भी तैयार है, तो फिर रूस का झुकाव चीन की तरफ होगा ही। ऐसे में जब भविष्य में भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ेगा तब चीन अपना तुरुप का पत्ता निकाल कर रूस से यह कह सकता है कि यूक्रेन विवाद में भारत आपके साथ नहीं था, जबकि हम आपके साथ खड़े थे अब आपकी बारी है भारत के खिलाफ हमारा साथ दीजिए। 

वहीं जानकारों का कहना है कि इस समय भारत को अमरीका का साथ देना चाहिए क्योंकि भविष्य में अगर भारत-चीन विवाद होता है, तब अमरीका भारत का साथ देगा अन्यथा अमरीका यह कह सकता है कि यूक्रेन मुद्दे पर जब भारत ने हमारा साथ नहीं दिया तो हम भारत-चीन विवाद में उसका साथ क्यों दें। भारत के लिए असमंजस की स्थिति है। 

वहीं कुछ जानकारों का कहना है कि इस समय भारत को पूरी तरह से तटस्थ रहना चाहिए। इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि इस समय अमरीका चीन के खिलाफ भारत का साथ इसलिए दे रहा है क्योंकि उसको भारत की जरूरत है और अकेले दम पर अमरीका चीन को नहीं पछाड़ सकता। वैसे भी अब तक जितने भी युद्धों में अमरीका ने किसी देश के विरुद्ध कोई कार्रवाई की है, किसी एक विरोधी पक्ष के साथ मिल कर की है। चीन से अमरीका का विवाद भी चल रहा है और चीन के विरुद्ध अमरीका को एशिया में सहयोगी देशों की जरूरत है। अत: भविष्य में जब भी भारत-चीन विवाद होगा तो अमरीका भारत का साथ देगा। चीन के मुद्दे पर वर्तमान वैश्विक स्थिति में अमरीका को भारत के साथ मिल कर चलना ही होगा।

वहीं यूक्रेन मुद्दे पर अगर भारत रूस का साथ नहीं देगा तो भारत की इस स्थिति पर भी अमरीका खुश रहेगा। अब बात करते हैं रूसी पक्ष की। भारत के यूक्रेन मुद्दे पर तटस्थ रहने पर अगर रूस भारत से साथ देने को कहता है तो वर्ष 2020 में जब भारत और चीन के बीच विवाद के दौरान गलवान घाटी में ङ्क्षहसक झड़प हुई थी और चीनी सैनिकों  ने भारतीय सैनिकों पर अचानक हमला कर दिया था, तब रूस भी इस मुद्दे पर तटस्थ रहा था। भारत रूस को इस बात की याद दिला सकता है। भारत रूस से यह कह सकता है कि अमरीका चाहता था कि भारत यूक्रेन विवाद में उसका साथ दे, वह चाहता तो यूक्रेन और अमरीका के साथ जा सकता था, लेकिन रूस की वजह से भारत अमरीका के पाले में नहीं गया। 

भविष्य में अगर भारत-चीन विवाद होता है तो भारत रूस को इस बात की याद दिला कर उसे तटस्थ रहने को कह सकता है। जहां तक भारत की चीन से निपटने की बात है तो भारत अकेले अपने दमखम पर चीन का सामना कर सकता है। 

अगर रूस भविष्य में होने वाले भारत-चीन विवाद में चीन का साथ देता है तो रूस के यूरोपीय देशों, नाटो संगठन और अमरीका के साथ अक्सर विवाद होते रहते हैं तो भारत भी अपना पक्ष चुनने के लिए मुक्त होगा, लेकिन जानकारों की राय में रूस कभी भारत के विरुद्ध नहीं जाएगा क्योंकि रूस के हथियारों का वह सबसे बड़ा ग्राहक है और जब रूस खुद आॢथक तंगी का सामना कर रहा है तो ऐसे में भारत के विरुद्ध जाकर अपना हथियारों का इतना बड़ा ग्राहक कभी नहीं खोना चाहेगा।
 

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