राजनीति में स्वच्छ लोगों से मजबूत होगा भारत का लोकतंत्र
punjabkesari.in Saturday, Mar 01, 2025 - 05:51 AM (IST)
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राजनीति में अच्छे लोगों को आगे आना चाहिए। समाज को दिशा मिलेगी। स्वच्छ व साफ-सुथरी राजनीति होगी तो इससे बड़ा बदलाव होगा। नगर निगम से लेकर विधानसभा और संसद में जनता के महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी बात रखने और निराकरण करने में उनका नजरिया व महाअभियान जरूर बहुत बड़े परिणाम सामने लाएगा। डाक्टर, वकील, शिक्षक, कारोबारी, इंजीनियर व अन्य इससे प्रेरित होकर आगे आएंगे। स्वच्छ और उद्देश्यपूर्ण राजनीति को बड़ा बल मिलेगा। शिक्षित लोगों की राजनीति में भागीदारी बढऩे से समाज का भला होगा। इस तरह के प्रयास होना बहुत जरूरी है। अच्छे लोगों की आवश्यकता सामाजिक जीवन में हमेशा बनी रहती है। जब अच्छे लोग ज्यादा संख्या में किसी भी क्षेत्र में आएंगे तो गलत प्रवृत्ति वाले लोग निरुत्साहित होंगे। समाज में आज भी 95 फीसदी लोग अच्छे हैं लेकिन वे आवाज नहीं उठाते जबकि 5 प्रतिशत ही बुरे लोग हल्ला करते हैं। अच्छे लोग मिलकर राजनीति को और अच्छी तरह से बनाएं, इसलिए गुणवान लोगों और विद्वान लोगों को आगे आना चाहिए।
देश की राजनीति को स्वच्छ और साफ-सुथरा बनाने के लिए युवाओं को आगे आने की जरूरत है। राजनीति के जरिए ही देश और समाज का विकास संभव है। वर्तमान में युवा केवल सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं, जबकि उन्हें जमीन पर उतर कर कार्य करना चाहिए। आने वाला भविष्य युवाओं का है। आप 18 साल के हो चुके हैं, आपके पास अब लोकतंत्र की असीम ताकत है जिसका नाम वोट है। आप एक वोट से किसी की तकदीर बना और बिगाड़ सकते हैं। राजनीति में ऐसे कई युवाओं ने अपनी राय रखी कि चुनाव के समय राजनीतिक दल और प्रत्याशी थोड़ा लालच देकर 5 साल के लिए जाकर जम जाता है, फिर उसे कोई मतलब नहीं रहता है। राजनीति की वर्तमान में परिभाषा बदल गई है। अब राजा का बेटा राजा नहीं है, अब प्रजातंत्र में आमजन अहम हैं। लेकिन इसके लिए वोटरों को जागरूक होने की जरूरत है। बिना जागरूकता के बदलाव की उम्मीद करना बेमानी होगा। तस्वीर बदलनी है तो सभी को लोकतंत्र के यज्ञ में आहूति देने हेतु आगे आना होगा। जब भी राजनीति में एक व्यक्ति की कीमत, मात्र एक वोट के आधार पर तय होने लगती है तो राजनीति पथभ्रष्ट एवं दिग्भ्रमित हो जाती है। सामाजिक सरोकार के अपने मूल उद्देश्य से हटते ही राजनीति, मात्र वोट बटोरने का एक साधन बनकर रह जाती है और विभाजन एवं विद्वेष करने लगती है। ऐसे में ये सेवा करने का माध्यम न रहकर, सत्ता पाने का अवसर मात्र रह जाती है।
यह सच है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई भी व्यक्ति, राजनीति के प्रभाव से वंचित नहीं रह सकता है। एक स्वस्थ लोकतंत्र की जीवंतता इस बात से तय होती है कि शासन-प्रशासन द्वारा सामाजिक-आर्थिक न्याय को अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक कितनी आसानी से पहुंचाया जा सकता है। यह पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी का स्वप्न था और यहीं पर राजनीति की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। आज भी देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती है और अभी भी इन गांवों में विकास का स्तर शहरों की अपेक्षा बराबर करना है। गांवों की अधिकांश जनसंख्या या तो निरक्षर या नाममात्र साक्षर होती है। सरकार के अनेक प्रयासों के बावजूद अभी भी गांवों में पूर्ण रूप से शिक्षित जनसंख्या कम है। ऐसी स्थिति में ही यदि राजनीति कुछ ऐसे गलत हाथों में चली जाती है जो अशिक्षित और कम जानकारी वाले लोगों का फायदा उठाते हैं तो समाज के साथ अनेक प्रकार का अन्याय होने लगता है। क्योंकि शासन प्रणाली से संबंधित जिन नीतियों को जन-उपयोगी बनाकर लागू किया जाता है वे भ्रष्टाचार के चलते अपने वांछित उद्देश्यों को प्राप्त नहीं कर पाती हैं। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार बना कर देश की जनता ने भ्रष्टाचार खत्म करने पर सहमति प्रकट की।
एक युगद्रष्टा एवं क्रांतिकारी समाज सुधारक के रूप में बाबा साहेब डा. भीम राव आम्बेडकर जैसे उच्चकोटि के विद्वानों, महापुरुषों एवं नीति-निर्माताओं ने जिन संकल्पों के साथ हमें हमारा संविधान दिया, उसमें समस्त राजनीति ने एक संरक्षक की भांति अपनी भूमिका निभाई। लेकिन कालांतर में राजनीति पर गलत दृष्टि डालने वालों ने जनप्रतिनिधि का मुखौटा लगाकर राजनीति का नायकत्व मतदाता से राजनेता की ओर स्थानांतरित कर दिया और इसी कारण राजनीति में अनेक प्रकार की विसंगतियां पैदा होने लगीं। राजनीति को स्वच्छ बनाने के लिए अच्छे नागरिकों को राजनीति में भाग लेना चाहिए व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के स्वप्न 2047 में विकसित व आत्मनिर्भर भारत बनने के लिए एकजुट होकर भारत को दुनिया की पहली अर्थव्यवस्था, विश्वगुरु, विश्वशक्ति व एक बार फिर सोने की चिडिय़ा बनाएं।-श्वेत मलिक(पूर्व सांसद व पूर्व भाजपा पंजाब अध्यक्ष)