भारत-चीन विवाद: राहुल से कहां हुई चूक?

Sunday, Jul 23, 2017 - 08:05 PM (IST)

नई दिल्ली: राहुल गांधी भी बिना वजह विवादों की चपेट में आ जाते हैं, कहां तो वह चीन के मुद्दे पर पीएम से खम्म ठोंक कर सफाई मांग रहे थे, पर जब से चीनी राजदूत से उनकी मुलाकात के ऊपर पार्टी और उनके स्वयं के मंतव्य में विरोधाभास आया है, वह चहुं ओर से आलोचनाओं से घिर आए हैं। विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि विवादों की इस चिंगारी को हवा देने में भारत स्थित चीन के राजदूत की भी उतनी ही अहम भूमिका है। सूत्र बताते हैं कि राहुल ने जब अपने घर चीन के राजदूत लू झाओई को चाय पर बुलाया तो उनकी जानकारी के बगैर उसी वक्त अपने घर भूटान के भारत स्थित राजदूत को भी आमंत्रित कर लिया। 

चीन और भूटान का नजरिया समझना चाहते थे राहुल 
जब चीन के राजदूत राहुल से मिलने उनके घर पहुंचे तो वहां पहले से भूटान के राजदूत को मौजूद पाकर एकदम से दंग रह गए और कहते हैं कि 45 मिनट की यह तयशुदा मुलाकात मात्र 15 मिनट में सिमट कर रह गई। आमतौर पर भारत में अपनी रातनीतिक मुलाकातों को मीडिया से दूर रखने वाले चीनी राजदूत ने राहुल से हुई मुलाकात की फोटो जारी कर दी। मीडिया ने इसे लपक लिया। भूटानी राजदूत ने भी प्रैस नोट बनाकर उसे पारो भेज दिया। सूत्र बतातें हैं कि दरअसल राहुल डोकलाम पर चीन और भूटान का नजरिया समझना चाहते थे। इसलिए उन्होंने 8 जुलाई इन दोनों राजदूतों को एक साथ अपने घर चाय पर न्यौता भेजा, पर वह मौजूदा सियासी उबाल की तपिश मापने में चूक गए।

वरुण गांधी और भारत-चीन संबंध
एक आेर जहां राहुल गांधी चीन के मुद्दे पर फंस गए, वहीं उनके चचेरे भाई वरुण गांधी सत्ता पक्ष के सांसद होने के बावजूद 12-13 जुलाई को चीन के 2 प्रमुख विश्वविद्यालयों में अपनी विद्वता का डंका बजा आए। वरुण को चीन के शंघाई और पेइङ्क्षचग विश्वविद्यालय में वहां के छात्रों के समक्ष बोलना था, वरुण ने अपनी चीन यात्रा के संबंध में न केवल भारत के विदेश मंत्रालय अपितु राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को इसकी जानकारी दी। वह चीन में जहां-जहां गए, उनके साथ चीन में भारत के राजदूत विजय गोखले की उपस्थिति भी देखी गई। 

वरुण के लैक्चर का विषय था-‘एक चमत्कार जिसका नाम भारत है।’ सबसे दिलचस्प तथ्य तो यह है कि इन दोनों विश्वविद्यालयों में जब वरुण से छात्रों ने वन-टू-वन सवाल पूछे तो उन सवालों में कहीं भी भारत-चीन के संबंधों में आई तल्खी नहीं झलक रही थी। छात्रों के ज्यादातर सवाल टैगोर, बुद्ध और आमिर खान को लेकर थे। यानी भारत व चीन के संबंधों में आई तल्खी से ये चीनी नौजवान बेखबर थे या उनके सवाल प्रायोजित मंशा के द्योतक थे। मिर्च-मसाला(त्रिदीब रमण)
 

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