‘भारत हिंदू राष्ट्र बने, इसमें हर्ज ही क्या है’

punjabkesari.in Tuesday, Aug 11, 2020 - 04:01 AM (IST)

यह आरोप लगाया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भाजपा भारत को एक ङ्क्षहदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। मैं सवाल करता हूं कि भारत के बारे में ऐसा क्या गलत है कि इसे एक ङ्क्षहदू राष्ट्र न बनाया जा सके? इसके बारे में मैं कुछ तर्क देता हूं। 

भारत वर्ष नामक एक सभ्यता 5 हजार वर्ष पुरानी है जिसे कोई भूमिका नहीं चाहिए। विश्व में यह 95 प्रतिशत हिंदुओं की मातृभूमि है और सनातन हिंदू धर्म की जन्मस्थली भी है। भारत को अपने आपको ङ्क्षहदू राष्ट्र के तौर पर पहचान कराने में कोई शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए। इसमें कोई हर्ज नहीं। 

उदारवादी वामदलों को 53 मुस्लिम प्रभावित देशों के साथ कोई परेशानी नहीं। 15 राष्ट्रों में 100 प्रतिशत ईसाई प्रभावित देश भी हैं जहां पर ईसाई धर्म आधिकारिक धर्म है। इन ईसाई राष्ट्रों में इंगलैंड, ग्रीस, आइसलैंड, नार्वे, हंगरी, डेनमार्क तथा 6 बौद्ध देश हैं। इसराईल एक यहूदी देश है। मगर जब हम भारत की बात करते हैं तो उनका तर्क मेरे समझने के लिए असफल क्यों हो जाता है कि हिंदू धर्म भारत का क्यों नहीं राज्य धर्म हो सकता है।

ऐसा कोई प्रमाण नहीं कि हिंदू धर्म में लोगों का धर्म परिवर्तन किया जाता है
ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि यह देश की साम्प्रदायिक प्रकृति के लिए खतरा है। ऐसा कोई प्रमाण नहीं कि ङ्क्षहदू धर्म में लोगों का धर्म परिवर्तन किया जाता है। विश्व में ईसाई तथा मुस्लिम देश हैं, जो मुसलमानों तथा ईसाइयों की विश्व भर में मानवाधिकार उल्लंघन तथा धार्मिक उत्पीडऩ की आवाजें उठाते हैं। विश्व म्यांमार, फिलस्तीन, यमन इत्यादि को याद करता है। मगर पाकिस्तान या फिर अफगानिस्तान या अन्य इस्लामिक राष्ट्रों के ङ्क्षहदुओं और सिखों की बात नहीं की जाती। क्या मुझे कोई बता सकता है कि 1971में बंगलादेश में ङ्क्षहदुओं के साथ क्या किया गया। पाकिस्तानी सेना द्वारा वहां पर कत्लेआम किया गया और कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से देश निकाला दिया गया। 

एक नीति के तहत पाकिस्तान से हिंदुओं को बाहर निकाला गया। अरब देशों खासकर मस्कट में ऐतिहासिक मंदिरों तथा हिंदू धर्म को बाहर निकाल दिया गया। भारत की नीतियां धर्मनिरपेक्ष विरोधी रही हैं। हिंदुओं के प्रति कई धार्मिक भेदभाव की घटनाएं हुई हैं जहां पर हिंदू समुदाय बहुमत में है। यहां पर कई उदाहरणें हैं कि आपने कभी हज सबसिडी के बारे में सुना। 2000 से लेकर 1.5 मिलियन मुसलमानों ने सबसिडी का इस्तेमाल किया। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि इस सबसिडी को 10 वर्षों के भीतर खत्म करे।

कौन सा धर्मनिरपेक्ष देश एक ही धर्म को मानने वाले समूह के धार्मिक पर्यटन के लिए सबसिडी देगा। 2008 में औसतन हवाई किराए की सबसिडी प्रति मुस्लिम श्रद्धालु के लिए 1000 अमरीकी डॉलर थी। जबकि भारत सरकार अपने नागरिकों की धार्मिक यात्रा का समर्थन कर रही थी। सऊदी अरब जैसे देश जहां पर हिंदुओं की मूर्ति पूजा के कारण भत्र्सना होती है, वह विश्वव्यापी व्हाबी आतंकवाद को फैला रहा है। हिंदुओं को मंदिर निर्माण की अनुमति नहीं है तथा भारतीय करदाताओं का पैसा श्रद्धालुओं को सबसिडी देने के लिए लगाया जाता है और सऊदी अर्थव्यवस्था को सहूलियत दी जाती है। एक सही धर्मनिरपेक्ष देश में धार्मिक भेदभाव के बिना सभी नागरिक एक ही कानून के दायरे में लाए जाते हैं। भारत में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोगों को विभिन्न निजी कानूनों द्वारा कवर किया जाता है।

हज के लिए तो सबसिडी है मगर अमरनाथ यात्रा या फिर कुंभ मेले के लिए नहीं
सरकार मंदिरों का नियंत्रण करती है मगर मस्जिदें तथा चर्च स्वायत्तत हैं। यहां पर हज के लिए तो सबसिडी है मगर अमरनाथ यात्रा या फिर कुंभ मेलेके लिए सबसिडी नहीं है। सही दिखने वाला कोई धर्मनिरपेक्ष देश किसी भी यात्रा के लिए सबसिडी नहीं देगा। हिंदुओं ने हमेशा ही अल्पसंख्यकों का स्वागत किया तथा उनका बचाव किया है। आइए हम सहनशीलता के इतिहास पर नजर दौड़ाते हैं। ङ्क्षहदू समुदाय  ने भारत में पारसियों का  स्वागत किया जबकि विश्व भर में उनका उत्पीडऩ हुआ है। यहां पर वे एक हजार वर्षों से भी ज्यादा समय के लिए फले-फूले। 2000 वर्ष पूर्व के करीब यहूदी जनजाति ने भारत में शरण ली और यही बात 1800 वर्ष पहले सीरियाई ईसाइयों के लिए भी है। 

यह समय हिंदू होने के लिए गर्व महसूस करने का है। इसमें शर्माने की कोई बात नहीं। यहां तक कि आज भारत धर्मनिरपेक्ष है, जो न केवल 1976 के संवैधानिक संशोधन, वकीलों तथा कानून निर्माताओं के कारण है बल्कि इसलिए क्योंकि भारत के लोगों में बहुल आबादी हिंदुओं की है। यह हिंदू धर्म की प्रकृति है कि यह धर्मनिरपेक्षता को यकीनी बनाती है। असहनशीलता का यहां पर कोई प्रमाण नहीं। भारत अपने अपाको खुले तौर पर एक हिंदू (हिंदू, सिख तथा जैन) राष्ट्र घोषित कर सकता है। भारत सभी लोगों के हितों का संरक्षण करता है और ऐसा अन्य कोई दूसरा देश नहीं कर पा रहा। 

हिंदू राष्ट्र को घोषित करना कुछ नए दरवाजों को खोलेगा, जिसमें धर्म परिवर्तन को रोकना तथा अल्पसंख्यकों में शांति स्थापित करना है। भारत तब तक एक तरक्की करने वाला देश बना रहेगा, जब तक यह एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र रहेगा। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश तभी बना रहेगा, यदि अपनी जनसांख्यिकी में हिंदुओं का वर्चस्व फैलाए रखेगा। 

धर्मनिरपेक्षता तथा हिंदू धर्म एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जब इसे आप ऊपर उछालेंगे तो आप दोनों तरफ से ही जीतते दिखाई देंगे। यदि भारत एक हिंदू राष्ट्र बन जाता है तो यह सबसे बढिय़ा बात होगी। यहां पर यह एक यूनीफार्म सिविल कोड होगा, जहां पर किसी के लिए (हिंदुओं सहित) कोई भी भत्ता नहीं होगा। कानून का नियम किसी भी देश में तरक्की के लिए उसका मुख्य कारण है। जर्मनी, जापान तथा अमरीका जैसे सब देश कानून के नियम पर आधारित हैं। धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध लगना चाहिए। धार्मिक टकराव को बंद किया जाना चाहिए और ज्यादा तब्लीगी नहीं होने चाहिएं। एक बार जब धर्म परिवर्तन पर लगाम लग जाए तब एक व्यक्ति किसी भी धर्म को अपना सकता है या उसका अनुसरण कर सकता है। 

धर्मनिरपेक्षता तथा धार्मिक सहनशीलता इस क्षेत्र के निवासियों की प्रकृति रही है और यह मुस्लिम हमलावरों के इस भूमि पर कदम रखने के पहले से व्याप्त है। मुस्लिम भारत के उपमहाद्वीप में करीब एक हजार ईस्वी से शुरू हुए जोकि 1739 तक कई शताब्दियों तक रहे। 100 बिलियन ङ्क्षहदुओं की तबाही शायद विश्व इतिहास में सबसे बड़े सर्वनाश की मिसाल है। इन हमलावरों से ङ्क्षहदुओं ने कभी भी बदले की भावना नहीं रखी। ङ्क्षहदू राष्ट्र में गैर-ङ्क्षहदुओं की धार्मिक आजादी नहीं काटी जानी चाहिए। (लेखक : पाकिस्तान से संबंधित है और यू.के. में बैरिस्टर के तौर पर कार्यरत हैं)-खालिद उमर


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