‘चीनी डिप्लोमैट्स की बढ़ती बदजुबानी’

punjabkesari.in Sunday, Dec 20, 2020 - 04:56 AM (IST)

चीन की विदेश विभाग की प्रवक्ता ह्वा छुनङ्क्षयग ने एक प्रैस वार्ता में जर्मन मीडिया द्वारा चीन के लिए ‘वुल्फ वॉरियर’  जैसे शब्दों का इस्तेमाल किए जाने पर चीन को हॉलीवुड की डिज़्नी एनिमेशन फिल्म ‘द लायन किंग का सिम्बा’ बताया है। दरअसल कुछ दिनों पहले एक जर्मन अखबार ‘डेर तागेस्पियेगेल’  में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन के हाल के दिनों में तेज हुए आक्रामक रुख को देखते हुए उसे वुल्फ वॉरियर की संज्ञा से नवाज़ा था जिस पर चीन भड़क गया और बड़बोलेपन पर आ गया। लेकिन सवाल यह उठता है कि विदेशी मीडिया की बातों का जवाब देने के लिए चीन के पास उसका अपना मीडिया भी तो है, फिर चीन के विदेश विभाग को क्यों जवाब देने आगे आना पड़ा? 

जानकारों की राय में चीन अब दुनिया को अपनी ताकत का एहसास कराना चाहता है। अगर हम चीन के प्राचीन युद्धकला के विद्वान सुन जू की बात मानें तो उनके मुताबिक, जब आप ताकतवर रहें तो दुनिया के लिए नर्म रुख़ अख्तियार करें, विनम्र व्यवहार करें, लेकिन जब आप अंदरुनी तौर पर कमजोर रहें तब आपको दुनिया के सामने अपनी ताकत का प्रदर्शन करना चाहिए, अपने वचन में सख्ती लाएं, अपने कर्मों में आक्रामकता लाएं। 

पिछले कुछ वर्षों से अमरीका के साथ चल रहे व्यापार संघर्ष के कारण चीन के निर्यात उद्योग को बहुत नुक्साान उठाना पड़ा, उसके बाद चीन ने जिस तरह से पूरी दुनिया को कोरोना की सौगात दी उसके बाद दुनिया की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई, इसका नतीजा भी चीन को भुगतना पड़ा, चीन में निर्यात के लिए तैयार माल का खरीदार कोई नहीं मिला इससे चीन को आॢथक तौर पर दोहरी मार झेलनी पड़ी, इसका नतीजा यह निकला कि चीन इस समय अंदरुनी तौर पर खोखला हो गया है। अपनी इस कमी को छिपाने के लिए चीन दुनिया को अपने तेवर दिखा रहा है। ह्वा छुनयिंग ने इस घटना पर दुख जताने की बजाय बेतुकी बयानबाज़ी को बढ़ावा देते हुए यह  कहा कि अगर चीन पर कोई ऐसे आरोप लगाएगा तो चीन उसे मुंहतोड़ जवाब देगा। 

अगर यह बात कोई सैनिक बोले तो समझा जा सकता है लेकिन अगर देश का राजनयिक ऐसा बोले तो स्वत: ही समझा जा सकता है कि अंदरुनी उथल-पुथल कितनी अधिक है जो वाक्युद्ध के स्तर पर बात उतर आई है। यह चीन के दिमागी दिवालिएपन को दिखाता है जो आक्रामकता की हदें लांघता जा रहा है। हद यहां तक पार हो गई कि ह्वा छुनयिंग ने यह कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी रक्षा और न्याय के लिए वुल्फ वॉरियर बनने में हर्ज़ ही क्या है? ह्वा ने आज के डिप्लोमैट्स की बदजुबानी का बेशर्मी से बचाव करते हुए चीन के कॉमरेड माओ त्से तुंग की बात को दोहराया कि चीन किसी पर आक्रमण नहीं करता लेकिन जब चीन पर आक्रमण होगा तो चीन भी पलटवार करेगा। हालांकि सच्चाई माओ की इस बात से एकदम उलट है। पंचशील की बात करने वाले माओ ने ही भारत पर 1962 में धोखे से आक्रमण किया था। 

चीन की इस बदजुबानी के झंडाबरदार बने त्साओ लीचियान, त्साओ युवा राजनयिकों में सबसे आक्रामक बदजुबान हैं, अभी हाल ही में इन्होंने ऑस्ट्रेलिया को नाराज कर दिया। इन्होंने ट्वीट कर ऑस्ट्रेलियाई सैनिक पर अफगानिस्तान में एक बच्चे की हत्या का आरोप लगाया। हालांकि चीन की बदजुबानी अब उसकी दुश्मन बनती जा रही है, जैसे-जैसे चीन का असली रंग दुनिया देख रही है वो अपनी दूरी चीन से बढ़ाती जा रही है, इसका असर चीन को आॢथक नुक्सान उठाकर चुकाना होगा साथ ही उसकी साख पर बट्टा भी लग चुका है। इसका मतलब यह हुआ कि अब चीन का असल संघर्ष शुरु होगा। विदेशों से उसके व्यापारिक रिश्ते खऱाब होंगे, दुनिया का सरगना बनने की उसकी चाहत को धक्का लगेगा क्योंकि कोई भी देश अब चीन को बर्दाश्त नहीं करना चाहता। 


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