रक्षा बलों में बढ़ता ‘तनाव’ बना मुसीबत

punjabkesari.in Thursday, Mar 10, 2022 - 04:31 AM (IST)

अमृतसर में सीमा सुरक्षा बल (बी.एस.एफ.) के मुख्यालय में ड्यूटी से नाराज एक जवान ने मैस में अंधा-धुंध फायरिंग कर अपने 4 साथी जवानों की जान ले ली और बाद में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। बताया जाता है कि ज्यादा ड्यूटी लगने की वजह से सुतप्पा परेशान था। इसको लेकर उसकी एक अधिकारी से बहस भी हुई थी। 

 

दरअसल यह कोई पहली घटना नहीं है जिसमें जवान ही जवान की मौत का कारण बना हो। मार्च 2019 में जम्मू-कश्मीर के ऊधमपुर में भी ऐसी ही घटना हुई थी। यहां सैंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सी.आर.पी.एफ.) की 187वीं बटालियन के कैंप में जवानों के बीच किसी बात को लेकर हुई बहस देखते ही देखते खूनी झड़प में बदल गई थी। एक जवान का पारा इतना चढ़ा कि उसने अपनी सॢवस राइफल से 3 साथियों की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी और बाद में खुद को भी गोली मार ली थी। इससे पहले जनवरी में श्रीनगर में सी.आर.पी.एफ. के एक जवान ने अपने 2 साथियों को गोली मारने के बाद खुद को भी गोली मार ली थी। छत्तीसगढ़ में 2 साल पहले भी ऐसा हादसा हुआ था। यहां बीजापुर जिले में चिंतलनार इलाके में सी.आर.पी.एफ. की 168वीं बटालियन के एक जवान ने अपने साथियों पर गोलियां चला दी थीं। इस घटना में 4 जवानों की मौत हो गई थी। 

 

भारतीय रक्षा बल किसी आतंकवादी या दुश्मन की गतिविधियों के कारण अपने उतने जवानों को नहीं खोते, जितने वह हर साल आत्महत्या, सहकर्मियों की हत्या और अप्रिय घटनाओं की वजह से खो रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार अधिकांश मामलों में नाते-रिश्तेदार अथवा पड़ोसी ही गैर-कानूनी ढंग से जमीन हड़प लेते हैं और घर से दूर बैठा जवान मजबूरियों के कारण कुछ नहीं कर पाता। ऐसी स्थिति में वह असहाय महसूस करने लगता है और अवसाद से ग्रस्त हो जाता है। भारतीय सशस्त्र सेनाओं की अपनी एक भिन्न कार्यसंस्कृति है। यहां सभी के बीच सौहार्द की भावना बनी रहे इसके लिए संबद्धता और उत्तरदायित्व की समझ विकसित किए जाने का प्रावधान है। लेकिन असल में ऐसा कुछ होता नहीं। आज भी अधिकारियों और जवानों के बीच सौहार्दपूर्ण रिश्ते नहीं बन पाते। अधिकतर मामलों में अधिकारी उन्हें अपना मातहत ही समझते हैं और उनसे अपने छोटे-मोटे घरेलू काम करवाते हैं, जिससे जवानों में रोष बढ़ता जाता है। 

 

नौकरी में मिलने वाले मानसिक दबावों के अलावा पारिवारिक समस्याओं, प्रॉपर्टी के विवाद, वित्तीय समस्याओं और वैवाहिक समस्याओं के कारण भी जवान आत्महत्या कर रहे हैं। ज मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्वी राज्यों में चलाए जा रहे आतंकवाद निरोधी अभियानों में लंबे समय तक शामिल होने के कारण भी जवान भारी दबाव में रहते हैं। इसके अलावा उनको काफी कम सैलरी, छुट्टियां और आधारभूत सुविधाएं दी जा रही हैं। यही नहीं, कुछ वर्ष पहले आई.आई.एम. अहमदाबाद ने अपने एक महत्वपूर्ण शोध में जवानों में अनुशासनहीनता के लिए ‘तनाव’ को एक बड़ा कारण माना था। 

 

इस शोध रिपोर्ट का यह निष्कर्ष था कि जवानों में तनाव के लिए कम नींद, लंबी ड्यूटी, कम छुट्टी, रैंक के अनुसार ड्यूटी न मिलना, हमले की स्थिति में भी फैसला लेने का कम अधिकार, वेतन में असमानता, शिकायतों पर गौर न करना, खराब वर्दी पहनने से आत्मविश्वास कम होना,  मैस का खराब खाना, अफसरों का गाली-गलौच, परिवार के साथ वक्त गुजारने का कम मौका और अधिकारियों का गलत कारणों से प्रताडि़त किया जाना शामिल है। 

 

इस समस्या से निपटने के लिए जवानों के रहने-खाने की व्यवस्था में सुधार के कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। उनको परिवार साथ रखने, आसानी से छुट्टियां देने और तुरंत शिकायत निवारण की व्यवस्था जैसी सुविधाओं में भी सुधार लाया जाना चाहिए। मैंटल वैलनैस वीक आयोजित किए जाने चाहिएं, जिनमें मनोवैज्ञानिकों, ध्यान विशेषज्ञों व योग शिक्षकों की मदद से जवानों और अफसरों को तनावमुक्त किया जा सके। उन्हें यह कतई महसूस नहीं होने दिया जाना चाहिए कि उन्होंने सेना या रक्षा बलों में आकर कोई गलती की है।-देवेन्द्रराज सुथार 
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News