आयकर अधिकारी और पाक से निशाना

Monday, Apr 03, 2017 - 12:20 AM (IST)

आंकड़ों और निजता सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच मोदी सरकार का लगातार आधार कार्ड पर जोर देना, कई नई चिंताओं और डर को भी जन्म दे रहा है। भारतीय राजस्व सेवा (आई.आर.एस.) अधिकारियों से संबंधित आधिकारिक वैबसाइट 'irsofficersonline.gov.in, जो कि आयकर विभाग से संबंधित है, को बीते दिनों पाकिस्तान स्थित हैकर्स के एक ग्रुप ने हैक कर लिया। सूत्रों के अनुसार वैबसाइट को हैक कर उसकी वॉल पर संदेश पोस्ट किया गया कि ‘‘पाक साइबर थंडर्स हैक्ड बॉय पाक मोन्स्टर!’’ दरअसल, यह दूसरी बार था कि पोर्टल को हैक किया गया है। इस पर पहला हमला बीते साल फरवरी में किया गया था। 

इस बारे में जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि यह वैबसाइट केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर निगम (सी.बी.डी.टी.) और आयकर विभाग के देश भर में फैले कार्यालयों में आधिकारिक संवाद के लिए उपयोग में लाई जाती है। ऐसे में किसी भी प्रकार की संवेदनशील और गुप्त जानकारी के लीक होने के मामले में कोई समझौता नहीं किया जा सकता है और इस घटना से लोगों को भी यहभरोसा नहीं होता है कि उनकी आम जानकारियां सरकार के पास पूरी तरह से सुरक्षित हैं जबकि सरकार इस संबंध में पूरा जोर लगा रही है। आई.आर.एस. अधिकारी भी इस संबंध में अधिक कुछ नहीं बोल रहे हैं और वे भी इस मामले में चिंतित लग रहे हैं! 

बिहार में बाबू नीतीश के सामने
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार और राज्य के नौकरशाहों के बीच संघर्ष अब बढ़ता जा रहा है और इससे संकट गहरा रहा है। नौकरशाही पर नजर रखने वालों का स्पष्ट कहना है कि इस समय बिहार के आई.ए.एस. अधिकारियों और सरकार में आपसी संबंध सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बी.एस.एस.सी.) के चेयरमैन सुधीर कुमार की गिरफ्तारी के बाद से आई.ए.एस. अधिकारियों में भड़का असंतोष अभी तक शांत नहीं हुआ है और न ही कोई आसार दिख रहे हैं। 

इससे आई.ए.एस. अधिकारियों में यह भावना घर कर गई है कि राज्य में कोई भी सकारात्मक काम करने का माहौल नहीं है। बताया जा रहा है कि कई अधिकारी अब राज्य में काम करने की बजाय केन्द्र में काम करने के अधिक इच्छुक बताए जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने करीब 2 दर्जन आई.ए.एस. अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिए हैं जो कि इस समय जिला मैजिस्ट्रेट के तौर पर कार्यरत हैं और उन्हें कहा गया है कि उन्होंने बीते महीने सुधीर कुमार की गिरफ्तारी के बाद राज भवन पर मानव शृंखला बनाने या राज्य आई.ए.एस. अधिकारी एसोसिएशन की बैठक में हिस्सा लेने के लिए अपने वरिष्ठों (डिवीजनल आयुक्तों) से अनुमति ली थी या नहीं। 

कई जिला मैजिस्ट्रेट, सचिव स्तर के कई आई.ए.एस. अधिकारी, अंडर सैक्रेटरी, संयुक्त सचिव और पिं्रसीपल सचिव स्तर के कई अधिकारियों ने 26 फरवरी को राज्यपाल आवास के सामने मौन रोष प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। राज्य आई.ए.एस. अधिकारी एसोसिएशन ने दावा किया है कि राज्य में राजनीतिक नेतृत्व यानी मंत्रियों से कोई भी मौखिक आदेश न लेने संबंधी प्रस्ताव को पारित करने वाली एसोसिएशन की बैठक में 120 से अधिक सदस्यों ने हिस्सा लिया था। अब जिस प्रकार से नीतीश कुमार ने इस मामले में कड़ा रवैया अपना लिया है, उससे अब किसी को उम्मीद नहीं है कि यह मामला जल्द शांत होने वाला है। 

कहीं का गुस्सा कहीं पर निकाला आई.पी.एस. ने
उत्तर प्रदेश के आई.पी.एस. अधिकारी हिमांशु कुमार द्वारा अपने बॉस डी.जी.पी. जावीद अहमद के खिलाफ सोशल मीडिया पर छेड़ा गया अभियान, आखिरकार उनके सस्पैंशन का मुख्य कारण बन गया। 2010 बैच के आई.पी.एस. अधिकारी ने हाल ही में ट्विटर पर आरोप लगाया कि डी.जी.पी. एक खास जाति वाले अधिकारियों को निशाना बना रहे हैं और उन्हें लगातार तबादलों का शिकार बना रहे हैं और आधारहीन आरोपों के आधार पर उनको सस्पैंड भी किया जा रहा है।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि डी.जी.पी. मेरठ, नोएडा और गाजियाबाद जिलों में यादव जाति से संबंधित जूनियर कर्मियों को भी प्रताडि़त कर रहे हैं। इस तरह के आरोपों के बाद कुमार को भी सस्पैंशन आदेश थमा दिया गया। दुर्भाग्य से कुमार सिर्फ इसी झंझावात में नहीं फंसे हैं, वह कुछ और मामलों में भी विवादित हैं। 

सूत्रों के अनुसार कुमार पर अपने वैवाहिक विवाद और दहेज मांगने के एक मामले में पटना हाईकोर्ट से गिरफ्तारी का वारंट भी जारी हो चुका है पर, वे उल्टा डी.जी.पी. को ही निशाना बना रहे हैं कि वह पैसे के लिए अधिकारियों के तबादलों और नियुक्तियों में लिप्त हैं। कुमार की आवाज इस समय कोई नहीं सुन रहा है क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्य में भाजपा की सत्ता आने के बाद से नौकरशाही में लगातार बदलाव होने की खबरें हैं और ऐसे में उनकी बातों पर कान देने के लिए किसी के पास कोई समय नहीं है।     

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