चीन की फैक्ट्रियों में बढ़ी आग लगने की घटनाएं

Tuesday, Apr 12, 2022 - 05:52 AM (IST)

चीन ने जिस तेजी के साथ औद्योगिक प्रगति में छलांग लगाई है वह सराहनीय है, लेकिन उसने पश्चिमी शक्तियों के सामने खुद की आर्थिक शक्ति दिखाने के लिए कितना कुछ गंवाया है, इस पर अभी भी रहस्य बना हुआ है। चीन ने फैक्ट्रियां लगाते समय अक्सर सुरक्षा की अनदेखी की, जिसके चलते चीन में फैक्ट्रियों में आग लगने के सबसे अधिक मामले सामने आए। दरअसल कम्युनिस्ट चीन के अस्तित्व में आने के बाद जितनी फैक्ट्रियों में आग लगी है वे बहुत अधिक हैं और उनकी संख्या रहस्यमय भी है। 

अभी हाल ही में 11 मार्च, 2022 को शानतुंग प्रांत के वनचौ मैडीकल कॉलेज के अस्पताल में सुबह आग लगी थी जो लगातार घंटों तक जलती रही, वहीं इस दिन चच्यांग प्रांत के वनचौ में भी आग लगी थी, जो सुबह 4 बजे शुरू होकर लगातार 6 घंटों तक जलती रही। इस अग्निकांड से मात्र 3 दिन पहले 8 मार्च, 2022 को चच्यांग प्रांत के रुईयान शहर में ही तियान दाईयू एन्वायरनमैंट एनर्जी कंपनी में आग लगी थी, जिसे बुझाने में अग्निशमन कर्मचारियों को बहुत परेशानी हुई थी। 

चीनी वाणिज्यिक अग्नि और सुरक्षा संघ ने व्यावसायिक जगहों पर आग लगने की घटना के आंकड़े पेश किए, जो उन्होंने वर्ष 2015 से बनाने शुरू किए थे। इन आंकड़ों के अनुसार पूरे चीन में वर्ष 2021 में आग लगने की 7,48,000 शिकायतें अग्निशमन विभाग में की गई थीं, जो पूरे चीन में आग लगने की घटनाएं वर्ष 2020 की तुलना में 4,96,000 अधिक थीं। इनसे चीन को वर्ष 2021 में 6.75 अरब युआन का घाटा हुआ था, जो वर्ष 2020 से कहीं अधिक था। 

चीन से जारी हुए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में अग्निशमन विभाग ने पूरे चीन में 2 करोड़ अग्निशमन कर्मचारी, 30 लाख फायर टैंडर तैनात कर दिए। अग्निशमन विभाग को रोजाना 5,300 फोन कॉल आती हैं, जिनमें आग लगने की घटना की शिकायत होती है। इसके साथ ही औसतन रोजाना 50,000 अग्निशमन कर्मचारी 10,000 फायर टैंडर गाडिय़ों के साथ आग बुझाने के काम में जुटे रहते हैं। इससे पता चलता है कि चीन ने अपने औद्योगिक विकास को जितनी तरजीह दी उतनी अग्नि सुरक्षा को नहीं दी, इसीलिए चीन में रोजाना आग लगने की घटनाएं दुनिया में सबसे ज्यादा होती हैं। हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार चीन में आंकड़ों पर भी सरकार का अंकुश लगा रहता है, लेकिन जब अंकुश लगने के बाद भी आग लगने के इतने ज्यादा मामले दर्ज हो रहे हैं तो फिर असलियत में ये मामले कितने बड़े होते होंगे, अंदाजा लगाना मुश्किल है। 

इसी वर्ष 22 फरवरी को चीन के चच्यांग प्रांत के फूतियान शहर के यीवू लॉजिस्टिक्स सैंटर में भयानक आग लगी थी। इस मामले में किसी के हताहत होने की खबर नहीं थी लेकिन करोड़ों का माल जलकर स्वाहा हो गया मगर इस मामले को दबा दिया गया। इस घटना के मात्र 2 दिन बाद 24 फरवरी को खबेई प्रांत के तांगशान शहर के छियान अल्कोहल कैमिकल प्लांट में आग लग गई, जो एक रिहायशी इलाके तक फैल गई, जिसमें कई घर जल कर राख हो गए। चीनी वाणिज्यिक अग्नि और सुरक्षा संघ के आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा आग लगने की घटनाओं के पीछे बिजली की तारों में शॉर्ट सॢकट और गैस के उपकरणों में आग लगना बताया गया है। वर्ष 2021 में चीन में शॉर्ट सॢकट और गैस उपकरणों से लगी आग का प्रतिशत 28.4 था। 

चीनी मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार वर्ष 2019 में चच्यांग प्रांत के निंगहाई शहर में एक साधारण-सी रसायन फैक्ट्री में आग लगी थी, जिसे बुझाने में इतना ज्यादा समय लगा कि उस अग्निकांड में 19 लोगों की मौत हो गई। जानकारों का कहना है कि अग्निशमन कर्मचारी अपनी पोशाक पहने ड्यूटी पर तैनात तो दिखेंगे लेकिन जब कहीं आग लगती है तो उसे बुझाने और वहां फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने में इनका रिकार्ड बहुत खराब है। ये सब कुछ इनकी खराब ट्रेङ्क्षनग के कारण होता है। इनमें से कई कर्मचारियों को तो नौकरी पर रखने से पहले कभी ट्रेनिंग में जाने का मौका नहीं मिलता। 

20 फरवरी को आनहुई प्रांत में हुवाईयुवान काऊंटी के बेंगबु शहर की दाफू इलैक्ट्रोमैकेनिकल टैक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड में धमाकों के बाद भीषण आग लगी थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए 5 किलोमीटर दूर तक के इलाके को खाली करवा लिया गया था। 

कोरोना महामारी के दौरान वर्ष 2020 में पूरे चीन में फैक्ट्रियों में लगी आग की घटनाओं में बड़ा इजाफा हुआ था, जिसे लेकर लोगों को शंका होने लगी थी कि कहीं ये अग्रिकांड जान-बूझकर तो नहीं किए जा रहे। चीन में इस दौरान यह अफवाह भी फैलने लगी थी कि कोरोना काल में सबसे ज्यादा छोटी और माइक्रो इकाइयां व्यवसाय मंदा होने के कारण बंद होने लगी थीं, इन छोटी कंपनियों के मालिकों के पास न तो फैक्ट्रियों का किराया देने के पैसे बचे थे, न बैंक का लोन चुकाने और न ही अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए, इसलिए इन्होंने जान-बूझकर अपनी फैक्ट्रियों में आग लगा दी। 

यह भी आशंका जताई जाने लगी थी कि फैक्ट्रियों के मालिक इंश्योरैंस से पैसा वसूलने के लिए भी अपनी फैक्ट्रियों को खुद ही आग के हवाले कर देते थे। चीन में आग लगने की घटनाओं में बढ़ौतरी से विश्व में चीन की साख पर बट्टा लगा है, जिसका असर अब चीन से बाहर जाती विदेशी कंपनियों के रूप में नजर आ रहा है। 

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