मुख्य चुनाव आयुक्त की ‘कुर्सी’ की चाहत में

Thursday, Aug 27, 2020 - 04:20 AM (IST)

पूर्व वित्त सचिव राजीव कुमार को नया चुनाव आयुक्त बनाया गया है। वह अशोक लवासा का स्थान लेंगे जो एशियन डिवैल्पमैंट बैंक के वाइस प्रैजीडैंट के तौर पर शामिल होने जा रहे हैं। जबकि सुनील अरोड़ा मुख्य चुनाव आयुक्त हैं वहीं दूसरे चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा हैं। इस घोषणा की महत्ता इस तथ्य में है कि राजीव कुमार 2024 के अगले आम चुनावों के दौरान भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त हो सकते हैं। वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा का कार्यकाल अगले वर्ष अप्रैल में खत्म होगा जिसके बाद सुशील चंद्रा उनकी जगह नए मुख्य चुनाव आयुक्त हो जाएंगे। चंद्रा का कार्यकाल मई 2022 में समाप्त होगा जिसके बाद राजीव कुमार के लिए राह प्रशस्त हो जाएगी। 

राजीव कुमार को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशासन तथा लोगों की नीतियों में 30 वर्षों का अनुभव है। पिछले वर्ष जुलाई में उन्हें वित्त सचिव नियुक्त किया गया था तथा फरवरी में उनका यह कार्यकाल खत्म हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वित्तीय योजनाओं के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर वह काम कर चुके हैं जिसमें प्रधानमंत्री जन धन योजना तथा मुद्रा लोन स्कीम जैसी योजनाएं भी शामिल हैं। 

कैट ने यू.पी.एस.सी. तथा उत्तराखंड सरकार को भेजे नोटिस 
एक व्हिसल ब्लोअर तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाने वाले बाबू को चुप करवाना मुश्किल होता है। सैंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) ने संघ लोक सेवा आयोग (यू.पी.एस.सी.) तथा उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किए हैं। उन पर आरोप है कि नौकरशाही में पाॢश्वक प्रवेश की स्कीम त्रुटिपूर्ण तथा पक्षपातपूर्ण है। 

यह नोटिस आई.एफ.एस. अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के आवेदन के बाद जारी किए गए हैं जिसमें उन्होंने 330 डिग्री मूल्यांकन प्रणाली को खत्म करने तथा अनुबंध प्रणाली के माध्यम से संयुक्त सचिव स्तर के पदों को भरने से केंद्र को रोकने के लिए कहा था। सूत्रों का कहना है कि यह मामला 2017 का है जब मोदी सरकार ने अनुबंध आधार पर नौकरशाही में पाॢश्वक प्रवेश के लिए प्रक्रिया शुरू की थी। इसके बाद केंद्र ने 9 पेशेवरों को नियुक्त किया था जिनमें अभिनेता मनोज वाजपेयी के भाई सुजीत कुमार वाजपेयी भी शामिल हैं। इसके विरोध में कहना है कि संयुक्त सचिव स्तर के पदों को अनुबंध प्रणाली के माध्यम से भर्ती करने की वर्तमान प्रणाली पूरी तरह से मनमानी तथा तर्कहीन है। चतुर्वेदी ने कहा कि आर.टी.आई. एक्ट के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज से यह पहली नजर में पता चलता है कि इस मामले में कुछ संवेदनशील अनियमितताएं हैं जिन्हें एक उचित एजैंसी के द्वारा जांच की जरूरत है। 

कुछ बाबू रिटायर जरूर होते हैं मगर कुछ देर के लिए
कुछ रिटायर वरिष्ठ बाबू बहुत कम सूर्यास्त के साथ धुंधले पड़ते हैं। वह सरकार में किसी दूसरे फलदायक पद के लिए तैयार रहते हैं। सूत्रों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में अनेकों रिटायर नौकरशाह उन व्यक्तियों में शामिल हैं जिन्होंने एच.पी. प्राइवेट एजुकेशनल इंस्टीच्यूशनल रैगुलेटरी अथॉरिटी में चेयरमैन तथा सदस्य के पद के लिए आवेदन किया है। इस पद के लिए आवेदन करने वालों में पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस अधिकारी तथा आई.एफ.एस. अधिकारी शामिल हैं। यह पद पूर्व चेयरमैन के.के. कटोच तथा सदस्य एस.पी. कत्याल के कार्यकाल के पूर्ण होने के बाद खाली हुए हैं। अब राज्य सरकार स्टेट फूड कमिशन की स्थापना कर रही है जिसके बारे में जल्द ही अधिसूचित किया जाएगा।कई रिटायर नौकरशाह इन पदों के लिए पहले से ही लाइन में हैं। 

इसी तरह कई वरिष्ठ आई.ए.एस. तथा आई.पी.एस. अधिकारी जिनमें सेवानिवृत्त प्रमुख सचिव तथा डी.जी.पी. रैंक के अधिकारी हैं, ने सूचना आयोग में सदस्य के पद के लिए आवेदन किया है। इसके लिए अत्यधिक लॉबी चल रही है जो यह रेखांकित करेगा कि कैसे बाबू-नेता का बंधन देश में कार्य कर रहा है चाहे यह केंद्र में हो या फिर राज्यों में।-दिल्ली का बाबू दिलीप चेरियन
 

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