पीड़ित होने का नाटक कर रहे इमरान

punjabkesari.in Saturday, Apr 16, 2022 - 04:58 AM (IST)

पाकिस्तान के एक चुने हुए प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान की राजनीतिक पारी का अंत तब हुआ जब पाकिस्तानी सेना को लगा कि उनके द्वारा चुना गया व्यक्ति एक बोझ बन गया है। दो स्थापित राजनीतिक दलों-पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पी.पी.पी.) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पी.एम.एल.-एन) को पीछे छोड़ते हुए नैशनल असैंबली में बहुमत हासिल करने के उपरांत इमरान खान 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे। हालांकि यह व्यापक रूप से माना जाता है कि इस प्रयास में इमरान और उनके राजनीतिक संगठन पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पी.टी.आई.) को सेना ने मदद की थी। 

दुर्भाग्य से ‘नया पाकिस्तान’ बनाने के वायदे के साथ सत्ता में आए इमरान खान पाकिस्तान को ऐसा बनाने में नाकामयाब रहे और देश की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई। हताश इमरान ने जल्द ही ऐसी नीतियों का सहारा लिया जो सेना को पसंद नहीं थीं। हालांकि इमरान ने सत्ता में बने रहने के लिए हर हथकंडा आजमाया। सेना का समर्थन खो देने के बाद उनके लिए चीजें मुश्किल भरी हो गईं। विपक्षी दलों ने एक अवसर को भांपते हुए नैशनल असैंबली में अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया ताकि इमरान सरकार को हटाया जा सके। उन्होंने इमरान सरकार पर अनियंत्रित महंगाई लाने का आरोप लगाते हुए 8 मार्च 2022 को यह प्रस्ताव पेश किया। इसे पी.एम.एल.-एन.के. प्रमुख शहबाज  शरीफ ने 28 मार्च को नैशनल असैंबली में पेश किया था। 

विपक्षी पार्टियों पी.एम.एल.-एन. और पी.पी.पी. ने नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज शरीफ के नेतृत्व में रैली की। इमरान सरकार के लिए दीवार पर लिखावट बहुत स्पष्ट हो गई जब उनकी सरकार ने एक प्रमुख गठबंधन सहयोगी ने कहा कि उसके 7 विधायक विपक्ष के साथ मतदान करेंगे। सत्तारूढ़ दल के एक दर्जन से अधिक सांसदों ने भी संकेत दिया कि वे फ्लोर को पार कर जाएंगे। उनके गठबंधन सहयोगियों के दलबदल ने इमरान सरकार को अल्पमत में ला दिया। 

अविश्वास मत शुरू होने से पहले हुई कैबिनेट की बैठक में इमरान ने इस्तीफा न देने का फैसला किया। हालांकि उनकी सरकार के हारने की आशंका पहले से थी। दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान नैशनल असैंबली के अध्यक्ष असद कैसर और डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी दोनों ने अविश्वास प्रस्ताव शुरू होने से कुछ मिनट पहले ही इस्तीफा दे दिया। 

यह बहुत स्पष्ट हो गया कि वे इमरान खान की बोली पर ऐसा कर रहे थे और तटस्थ नहीं थे जोकि स्पीकर को माना जाता है। नैशनल असैंबली में अविश्वास प्रस्ताव को रोकने के कई प्रयासों के बावजूद मतदान भी हुआ जिसमें 342 संसदीय सदन में 174 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। जबकि सत्ताधारी पी.टी.आई. के सदस्य अनुपस्थित रहे। इससे यह सुनिश्चित हो गया कि इमरान अपने पूर्ववर्तियों की तरह अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं करेंगे। इसने इमरान खान को नैशनल असैंबली में अविश्वास मत हारने वाले पाकिस्तान का पहला प्रधानमंत्री भी बना दिया। 

वर्तमान में पी.एम.एल.-एन. और पी.पी.पी. इमरान खान को अपदस्थ करने के लिए एक साथ आगे आए। लेकिन यह भी संदेह है कि सरकार चलाने के बाद इन दोनों दलों की आपस में राजनीतिक एकता नहीं रहने वाली। हालांकि इस बात को लेकर पाकिस्तान के लिए एक बड़ी चुनौती नहीं माना जाता। वहां चुनाव किसी भी मामले में अगस्त 2023 तक होने हैं। दूसरी ओर इमरान खान तत्काल चुनाव चाहते हैं। 

इमरान एक पीड़ित होने का नाटक कर रहे हैं और वह अपने प्रति लोगों की सहानुभूति जुटाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने एक ‘षड्यंत्र सिद्धांत’ भी तैयार किया है। उन्होंने अमरीका पर उनके और उनकी सरकार के खिलाफ साजिश करने का आरोप भी लगाया है। हालांकि अमरीका ने इन आरोपों का खंडन किया है लेकिन इमरान खान का आरोप यह है कि पाकिस्तान में एक आयातित सरकार लाने का प्रयास किया जा रहा है। इमरान खुद को पाकिस्तान और उसकी सम्प्रभुता के रक्षक के रूप में पेश कर रहे हैं। 

इमरान ने पश्चिमी शक्तियों पर पाकिस्तान पर अपनी विदेश नीति को थोपने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। हैरानी की बात यह है कि उन्होंने एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करने के लिए भारत की भी सराहना की जो उसके लोगों के हित में है।-आनंद कुमार


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