अमीरों पर पलायन टैक्स लगाइए

punjabkesari.in Tuesday, Aug 03, 2021 - 06:57 AM (IST)

एफ्रो एशियन बैंक द्वारा 2018 में प्रकाशित ‘ग्लोबल वैल्थ माइग्रेशन रिव्यू’ में बताया गया कि उस वर्ष चीन से 15000 अमीरों ने, रूस से 7000, तुर्की से 4000 और भारत से 5000 अमीरों ने पलायन किया। इन 4 में पहले 3 देश चीन, रूस एवं तुर्की में तानाशाही सरकार है जबकि भारत लोकतांत्रिक है। हम मान सकते हैं कि चीन आदि देशों से पलायन का कारण वहां की तानाशाही और घुटन हो सकता है लेकिन भारत का इस सूची में सम्मिलित होना खतरे की घंटी है क्योंकि हमारे यहां लोकतंत्र है। 

एफ्रो एशियन बैंक ने यह भी बताया है कि इन देशों से पलायन किए अमीरों में से 12000 ऑस्ट्रेलिया, 10000 अमरीका, 4000 कैनेडा और 100 से अधिक मॉरिशस को गए। इनमें ऑस्ट्रेलिया आदि पहले 3 देशों की बात समझ में आती है क्योंकि ये विकसित देश हैं लेकिन 100 से अधिक अमीरों का मॉरिशस को पलायन चिंता का विषय है क्योंकि यदि मॉरिशस अमीरों को आकॢषत कर सकता है तो निश्चित रूप से भारत के लिए भी इन्हें आकर्षित करना संभव होना चाहिए था लेकिन हमारी चाल उलटी है और तेज होती जा रही है। 

कोविड के संकट से पलायन की यह गति और तीव्र हो गई है। हेनेली एंड पार्टनर्स कंपनी द्वारा अमीरों को एक से दूसरे देश में पलायन करने में मदद की जाती है। इनके अनुसार वर्ष 2020 में भारत से पलायन करने वालों में 63 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हमारे यहां से पलायन किए अमीर जिस दूसरे देश में जाकर बसे हैं, वहां भी कोविड का संकट था, इसलिए कोविड को पलायन में वृद्धि का कारण नहीं बताया जा सकता। 

भारतीय विद्वानों द्वारा पलायन के तीन कारण बताए जा रहे हैं। पहला यह कि भारत में आयकर की दर अधिक है, नहीं टिकता क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में भी आयकर की दरें ऊंची हैं। दूसरा, भारत में शिक्षा के अवसर उपलब्ध नहीं हैं, भी नहीं टिकता क्योंकि भारत की तुलना में मॉरिशस में शिक्षा के अवसर बहुत ही कम हैं। तीसरा, तकनीक और बैंकिंग क्षेत्रों में अवसर कम हैं, यह भी नहीं टिकता क्योंकि इंफोसिस एवं टाटा कंसल्टैंसी जैसी तमाम कंपनियां भारत में काम कर रही हैं। निजी बैंकों में भी पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं। 

भारत से पलायन का पहला सच्चा कारण सुरक्षा का है। लोग पुलिस को अकर्मण्य और अक्सर भ्रष्ट मानते हैं। अमीरों को अपने परिवार की सुरक्षा की विशेष ङ्क्षचता होती है। वे नहीं चाहते कि किसी चौराहे पर उनके परिवार को अगवा कर लिया जाए। दूसरा कारण धार्मिक उन्माद है। अमीर लोग धन कमाना चाहते हैं। उन्हें शांत और स्थिर सामाजिक वातावरण चाहिए होता है। अपने देश में धार्मिक विवाद पहले से ही थे, वर्तमान में ये बढ़ ही रहे हैं। तीसरा कारण मीडिया और मनोरंजन की स्वतंत्रता का अभाव है। वर्तमान समय में सरकार द्वारा पूरा प्रयास किया जा रहा है कि आलोचना को दबाया जाए, आलोचकों को देशद्रोह के मामलों में उलझाया जा रहा है। सरकार द्वारा आलोचक मीडिया पर भी विभिन्न प्रकार से दबाव बनाया जा रहा है। 

मेरी दृष्टि से इन 3 कारणों से भारत से अमीरों का भारी सं या में पलायन हो रहा है और इस पलायन का परिणाम है कि देश की आॢथक विकास दर 2014 से 2019 के पिछले 5 वर्षों से लगातार गिर रही थी, वर्तमान समय में कोविड के संकट में इसमें और तीव्र गिरावट आई है। भारत की अर्थव्यवस्था एक वैक्यूम क्लीनर द्वारा संचालित की जा रही है, जो देश की संपत्ति को खींच कर विदेशों को भेज रहा है। कोई आश्चर्य नहीं है कि कोविड के संकट के कारण हम चीन से आगे निकलने के स्थान पर और पीछे होते जा रहे हैं। 

इस परिस्थिति में सरकार को नि न कदमों पर विचार करना चाहिए- पहले, सुरक्षा का वातावरण सुधारने के लिए शीर्ष पुलिस अधिकारियों का बाहरी मूल्यांकन कराना चाहिए। पांचवें वेतन आयोग ने सुझाव दिया था कि सभी क्लास-ए अधिकारियों का हर 5 वर्ष में बाहरी मूल्यांकन कराया जाए। इससे सरकार को पता चल जाएगा कि कौन अधिकारी देश के नागरिकों की सुरक्षा वास्तव में कर सकते हैं। इसके अलावा सरकार द्वारा एक अलग  पुलिस भ्रष्टाचार जासूस तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए, जो पुलिस महकमे में व्याप्त भ्रष्टाचार को स्वसंज्ञान लेकर ट्रैप करे। 

दूसरा विषय धार्मिक उन्माद का है। इस दिशा में सरकार को हर राज्य में ‘इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी’ की तरह ‘इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ रिलीजन’ स्थापित करना चाहिए, जहां विभिन्न धर्मों के विभाग हों और एक ही छत के नीचे सभी धर्मों के बीच सौहार्दपूर्ण वार्तालाप हो। तब समाज में भी यह सौहार्द फैलेगा। 

तीसरा विषय मीडिया का है। सरकार को आलोचकों को अपना विरोधी मानने के स्थान पर अपना सहयोगी मानना चाहिए। कोई नेता ब्रह्मज्ञानी नहीं होता। गलतियां हर किसी से होती हैं। यदि गलतियों की ओर शीघ्र ध्यानाकर्षण कर दिया जाए तो नेता अपने को शीघ्र सुधार लेता है और अधिक समय तक शीर्ष पर बना रहता है इसलिए सरकार को चाहिए कि वह आलोचक मीडिया को अपना विरोधी मानने की बजाय अपने सहयोगी के रूप में देखे और ऐसे मीडिया को विशेष तौर पर पुरस्कृत करे, जिसकी आलोचना से सरकार को अपने कदम सुधारने में लाभ मिला है। 

अंत में एक और कदम सरकार को उठाना चाहिए। जो शिक्षित एवं अमीर लोग देश छोड़ कर पलायन करना चाहते हैं, उनसे भारत की नागरिकता छोडऩे के लिए विशेष टैक्स लगाकर भारी रकम वसूल करनी चाहिए। मेरे संज्ञान में ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने किसी समय अमरीका की नागरिकता ले ली थी और बाद में वे उसे छोडऩा चाहते थे। अमरीकी सरकार ने नागरिकता छोडऩे के लिए उनसे भारी एग्जिट टैक्स वसूल किया। अमरीकी सरकार का कहना था कि अमरीकी नागरिक के रूप में उन्होंने जिन सुविधाओं का उपयोग किया है, उनका उन्हें भुगतान करना होगा। इसी प्रकार भारत से पलायन करने वाले शिक्षित और अमीरों पर एग्जिट टैक्स लगाना चाहिए।-भरत झुनझुनवाला


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