इंडिगो एयरलाइंस के लिए महत्वपूर्ण सबक

punjabkesari.in Monday, Nov 20, 2017 - 02:45 AM (IST)

महज 10-12 दिन पहले इंडिगो ने जब घोषणा की थी कि वह दिसम्बर में प्रतिदिन 1000 उड़ानों का लक्ष्य  प्राप्त कर लेगी तो उसके हौसले आसमान तक पहुंच गए थे। एयरलाइंस की इस टिप्पणी से एक त्यौहारी-सा माहौल बन गया था और इसकी प्रत्येक उड़ान ‘लाखों लोगों के लिए अपने सपनों का पीछा करने के लिए एक अवसर’ का प्रतिनिधित्व करती थी। 

2 दिन बाद ही कहानी कुछ अलग ही थी और भारत की सबसे बड़ी एयरलाइंस ग्राहक-मित्र संगठन की अपनी छवि को बचाने के लिए सबसे बड़ी लड़ाई लड़ रही थी। यह तब हुआ जब इसके कर्मचारियों द्वारा एक बुजुर्ग यात्री को पीटने के चित्र वायरल हो गए। जहां इसके कुछ कर्मचारियों के बुरे बर्ताव के कारण पूरी एयरलाइंस की छवि को तार-तार करना निश्चित तौर पर उचित नहीं है वहीं यह भी सच है कि इंडिगो ने शुरू में इस घटना पर होने वाली प्रतिक्रियाओं का सही तौर पर अंदाजा नहीं लगाया था। चित्र वायरल होने के बाद घटना बारे वक्तव्य जारी करने से पहले इसने पूरी तरह से चुप्पी साध रखी थी। यह समझ नहीं आया कि दोषी स्टाफ को निलंबित करने से पहले किस कारण एयरलाइंस ने जन आक्रोश की प्रतीक्षा की। 

इंडिगो को अपने मानव संसाधन (एच.आर.) तथा प्रशिक्षण मैनुअल को रिफ्रैश करने की जरूरत है ताकि इस तरह की घटनाओं को न्यूनतम किया जा सके। शुरू में इसे अपनी क्राइसिस रिस्पोंस क्षमताओं का आडिट करना चाहिए क्योंकि स्पष्ट तौर पर ऐसा दिखाई देता है कि इसका स्टाफ घटना को लेकर सोशल मीडिया पर मचे तूफान से निपटने के लिए तैयार नहीं था। यह किसी भी कम्पनी के लिए महत्वपूर्ण है कि उसे अपने कर्मचारियों को किसी भी संकट से बेहतरीन तरीके से निपटने के लिए संभावित संकट स्थिति से गुजारना चाहिए। मुद्दे पर पहले से ही राय बना लेने के लिए बाहरी दुनिया को कोसने से कोई मदद नहीं मिलेगी क्योंकि प्रीसैप्शन मैनेजमैंट किसी भी उपभोक्ता केन्द्रित उद्योग के लिए प्रशिक्षण मैनुअल का एक अभिन्न अंग है। 

दूसरा कार्य है इसके कर्मचारियों को सॉफ्ट स्किल्स का जानकार बनाना, जो कार्य स्थल पर सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। कोई भी कम्पनी आज एक ऐसी दुनिया में नहीं रहती जहां अधिकांश नौकरियों में सफलता के लिए तकनीकी कौशल अत्यंत महत्वपूर्ण तत्व है। इसकी बजाय सॉफ्ट स्किल्स, जिन्हें आम तौर पर अन्य लोगों के साथ अच्छी तरह से काम करने के लिए वांछित निजी व्यवहार के तौर पर परिभाषित किया जाता है, सबसे पहले आते हैं। जहां तक कठिन ग्राहकों से निपटने की बात है, अपने अनुमानों तक छलांग लगाने की बजाय धैर्यपूर्वक सुनना हमेशा महत्वपूर्ण होता है।

तीसरा है तनाव से निपटने में कर्मचारियों की मदद करना। प्रत्येक कर्मचारी को किसी सीमा रेखा तक पहुंचने की चुनौती से निपटना पड़ता है। मगर जब कार्य का तनाव अत्यंत गंभीर बन जाता है तो यह शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। एक कर्मचारी सहयोग कार्यक्रम के तहत तनाव प्रबंधन स्रोत उपलब्ध होना लाभदायक होता है जिनमें आन लाइन जानकारी तथा कौंसलिंग शामिल होती है। तनाव प्रबंधन की विशेष तौर पर एयरलाइंस कर्मचारियों के लिए जरूरत होती है जो निरन्तर बढ़ते जा रहे ट्रैफिक, उच्च सुरक्षा मानकों, लंबे व अनियमित कार्य घंटों तथा पर्याप्त आराम के अभाव के कारण अधिक तनाव में होते हैं।

कुछ वर्ष पहले इंटरनैशनल ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फैडरेशन द्वारा करवाए गए एक अध्ययन में बताया गया है कि दुनिया भर में कई कम लागत की एयरलाइंस अपनी संचालन लागतों को न्यूनतम रखने के लिए अपने कर्मचारियों का अधिकतम सीमा तक इस्तेमाल और न्यूनतम किरायों का प्रचार करती हैं। फैडरेशन का कहना है कि घटिया प्रशिक्षित ‘भावनात्मक मजदूर’ या वे कर्मचारी जिन्हें कई दिशाओं में खींचा जाता है, उन्हें गुस्सैल यात्रियों के साथ अच्छी तरह से काम करने पर ध्यान केन्द्रित करने में संघर्ष करना पड़ता है। जब एक ही विमान पर भ्रमित स्टाफ तथा असंतुष्ट यात्री सवार हों तो सिस्टम में गड़बड़ी आना लाजिमी है। 

इंडिगो ब्रिटिश एयरवेज में सांस्कृतिक बदलाव से भी सबक सीख सकती है, जहां 1990 के दशक में स्टाफ असंतोष ग्राहक असंतुष्टि के मुकाबले कहीं अधिक था। कार्यक्रम के तहत, जो विश्व के कई विश्वविद्यालयों में एक केस स्टडी बना, ब्रिटिश एयरवेज ने ‘पुटिंग पीपल फस्र्ट’ फार्मूला लागू किया, जिसका उद्देश्य कर्मचारियों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करना था कि वे कैसे तनाव से बेहतर तरीके से निपट और अपने निजी लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं। उनके लैपल बैजिस भी लगाए गए जिन पर लिखा था कि ‘वी आर पुटिंग पीपल फस्र्ट’। इसके अतिरिक्त यह सुनिश्चित करने के लिए कि मोबाइल तथा अलग-थलग रहने वाला स्टाफ नजरअंदाज न हो, शीर्ष प्रबंधन तथा कर्मचारियों के बीच सीधा सम्पर्क स्थापित करने के लिए एक सिस्टम की स्थापना की गई। दरअसल ब्रिटिश एयरवेज कर्मचारियों के लिए रोज टी.वी. प्रसारण करने वाली पहली कम्पनी बनी। 

ब्रिटिश एयरवेज के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी कोलिन मार्शल को यह कहते उद्धृत किया गया था कि एयरलाइंस को अपने लोगों तथा सेवा व्यवहार को ठीक वैसे ही ‘डिजाइन’ करना होगा जैसे वह एयरक्राफ्ट की एक सीट को डिजाइन करती है, ग्राहकों की जरूरतों व प्राथमिकताओं के अनुसार इन-फ्लाइट मनोरंजन कार्यक्रम अथवा एक एयरपोर्ट लाऊंज। निश्चित तौर पर कार्यक्रम में ब्रिटिश एयरवेज की सारी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया मगर इससे कोई नुक्सान नहीं होगा यदि इंडिगो इस माडल के अनुसार कोई अपना माडल लागू करे।-एस. मजूमदार


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